ऊंटनी का दूध पीएम मोदी की खास पसंद में शामिल है, क्योंकि इस दूध के फायदे ही कुछ ऐसे हैं. प्रधानमंत्री इस दूध के सहारे भारत में व्याप्त कुपोषण की समस्या को दूर करने का भी प्लान बना रहे हैं.
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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऊंटनी का दूध बहुत पसंद करते हैं और गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान उन्होंने ऊंटनी के दूध को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए थे. ऊंटनी का दूध पीएम मोदी की खास पसंद में शामिल है, क्योंकि इस दूध के फायदे ही कुछ ऐसे हैं. प्रधानमंत्री इस दूध के सहारे भारत में व्याप्त कुपोषण की समस्या को दूर करने का भी प्लान बना रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के आणंद में अमूल के अति आधुनिक चॉकलेट प्लांट का उद्घाटन करते हुए कहा था कि ऊंटनी के दूध के उत्पाद बाजार में आने से उनका वर्षों पुराना सपना साकार हो गया है. उन्होंने कहा कि जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब ऊंटनी के दूध को बढ़ावा देने की बात करते थे, उनकी इस बात का माखौल उड़ाया जाता था, लेकिन जब अमूल ने इस क्षेत्र में कदम बढ़ाया है तो उनका सपना साकार हो गया है. उन्होंने कहा कि ऊंटनी का दूध गाय के दूध से ज्यादा पौष्टिक होता है. ऊंटनी के दूध की प्रोसेसिंग होने से ऊंट पालकों को भी फायदा होगा.
क्या गुण हैं ऊंटनी के दूध में-
राजस्थान के बीकानेर स्थित राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र में ऊंट पर अनुसंधान किए जाते हैं. यहां ऊंटनी के दूध के तमाम उत्पाद भी तैयार किए जाते हैं. ऊंटनी के दूध की पौष्टिकता के लिए हमने अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. एनवी पाटिल से बात की.
मां के दूध के समान पौष्टिक है ऊंटनी का दूध
डॉ. पाटिल ने बताया कि तमाम शोधों के बात यह साबित हो गया है कि ऊंटनी का दूध एक मां के दूध जितना पौष्टिक होता है. इसमें वे सभी तत्व पाए जाते हैं जो एक मां के दूध में होते हैं और जो एक बच्चे के लिए जरूरी होते हैं. ऊंटनी के दूध में एलर्जी नहीं होती है. इसके दूध में केसीन और आयरन भी प्रचूर मात्रा में होता है. विटामिन सी की मात्रा अन्य दूध के मुकाबले चार गुना अधिक होती है. और इसमें बीमारियों से लड़ने की क्षमता कहीं ज्यादा पाई जाती है.
सेहत का खजाना
डॉ. एनवी पाटिल बताते हैं कि ऊंटनी का दूध सेहत का खजाना होता है. इसके दूध में प्रोटिन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेड, फाइबर, लैक्टिक अम्ल, विटामिन-ए, ई, बी-2 और सी प्रचूर मात्रा में होता है. इसके लगातार सेवन करने से त्वाचा में निखार आता है, हड्डियां मजबूत होती हैं और शरीर में बीमारियों से लड़ने की क्षमता विकसित होती है.
ऑर्टिम के लिए रामबाण
डॉ. पाटिल ने बताया कि यह बात शोध में साबित हो चुकी है कि दिमागी रूप से कमजोर बच्चे यानी ऑर्टिम से पीड़ित बच्चों के लिए यह दूध बहुत ही फायदेमंद साबित होता है. लगातार तीन महीने तक सेवन करने से बच्चों के मानसिक विकार में काफी सुधार देखा गया है.
उन्होंने बताया कि स्पेशल बच्चों के लिए काम कर रही जर्मनी की एक संस्था ने ऑर्टिम से पीड़ित बच्चों को लगातार कई महीने तक ऊंटनी का दूध दिया तो उनमें चमत्कारिक असर देखने को मिला. डॉ. पाटिल ने बताया कि स्पेशल बच्चों के लिए काम कर रहे संस्थान उनसे नियमित दूध ले रहे हैं.
डायबिटीज के लिए इंसुलिन है यह दूध
डॉ. पाटिल के मुताबित, ऊंटनी के एक लीटर दूध में लगभग 50 यूनिट तक इंसुलिन की मात्रा पाई जाती है. इंसुलिन शरीर में प्रतिरोधक क्षमता तैयार करता है और डायबिटीज जैसी बीमारियां ठीक करता है. उन्होंने बताया कि टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज में ऊंटनी के दूध का लगातार सेवन करने से मधुमेह को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है.
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हड्डियों को करता है मजबूत
एनआरसीसी के निदेशक डॉ. पाटिल ने बताया कि ऊंटनी के दूध में अल्फा हाइड्रोक्सिल अम्ल होता है, जो स्कीन को निखारने का काम करता है. इसके अलावा इसमें कैल्शियम काफी मात्रा में होता है. और लेक्टोफेरिन नामक तत्व कैंसर जैसी घातक बीमारी से लडऩे के लिए शरीर को तैयार करता है.
ऊंटनी के दूध की आइसक्रीम और मिठाइयां
बीकानेर के उष्ट्र अनुसंधान केंद्र में ऊंट को एक दूधारू पशु के रूप में स्थापित करने के लिए ऊंटनी के दूध से सुंगधित दूध, चाय, कॉफी एवं कुल्फी तैयार करके उनकी बिक्री की जा रही हैं. खासबात ये हैं कि इन उत्पादों की मांग भी तेजी से बढ़ रही है. डॉ. पाटिल ने बताया कि अब तो ऊंटनी के दूध से पेड़ा, बर्फी, गुलाबजामुन और चॉकलेट भी तैयार की जा रही है. इसके दूध से पनीर, मक्खन और घी भी निकाला जा रहा है.
FSSAI ने दी मान्यता
संस्थान के निदेशक डॉ. पाटिल ने बताया कि पहले ऊंटनी के दूध को खाद्य पदार्थ नहीं माना जाता था, इसलिए ऊंट पालक इसका दूध नहीं बेच सकते थे. और जो चोरी-छिपे ऊंटनी का दूध बेचने की कोशिश भी करता था तो उसे खाद्य पदार्थों में मिलावट करने के जैसे आरोपों का सामना करना पड़ता था. लेकिन एनआरसीसी के अथक प्रयासों से भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने फरवरी, 2017 में इसे खाद्य पदार्थ की मान्यता दी और FSSAI से हरी झंडी मिलने के बाद अब इसके दूध की बिक्री बाजार में की जा रही है.