एक आईएएस अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फॉर्मूले पर अब उत्तर प्रदेश भी आगे बढ़ने जा रहा है.
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दलित आंदोलन के उबाल, बीजेपी के पांच दलित सांसदों के 'बागी' तेवर और एसपी-बीएसपी के संभावित तालमेल के बीच पार्टी अध्यक्ष अमित शाह बुधवार को लखनऊ पहुंच रहे हैं. इन बागी नेताओं में से अधिकांश यूपी के ही हैं. यूपी, बीजेपी के लिए इसलिए बेहद अहम है क्योंकि पिछली बार यहां की 80 में से 71 सीटें बीजेपी ने अपने दम पर जीती थीं. सिर्फ इतना ही नहीं लोकसभा की 66 आरक्षित सीटों में से 40 यानी करीब 60 फीसद सीटें बीजेपी ने जीती थीं. इन परिस्थितियों में माना जा रहा है कि बीजेपी अध्यक्ष इन चुनौतियों से निपटने के लिए किसी खास फॉर्मूले के साथ लखनऊ के दौरे पर हैं.
महादलित-अतिपिछड़ा कार्ड
उत्तर प्रदेश के दो दिग्गज पूर्व मुख्यमंत्रियों अखिलेश यादव एवं मायावती के एक साथ आने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. न्यूज एजेंसी IANS ने यूपी सरकार से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से कहा है कि बिहार की तर्ज पर जल्द ही प्रदेश सरकार भी महादलित और अतिपिछड़ा कार्ड खेलेगी, जिससे इस गठबंधन के प्रभाव को कम किया जा सके और महादलितों एवं अतिपिछड़ों के भीतर सरकार को लेकर एक सकारात्मक माहौल बनाया जा सके. शासन से जुड़े एक आईएएस अधिकारी ने IANS से नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फॉर्मूले पर अब उत्तर प्रदेश भी आगे बढ़ने जा रहा है.
कोटे में कोटा की शुरुआत
उन्होंने बताया, "अखिलेश और मायावती के गठबंधन के असर को कम करने के लिए राज्य सरकार लोकसभा चुनाव से पहले ही आरक्षण को लेकर बड़ी कवायद शुरू करने जा रही है. इसके जरिए उत्तर प्रदेश में भी अब कोटे में कोटा की शुरुआत होगी. सरकार की ओर से महादलित और अतिपिछड़ा को लेकर जल्द ही अधिसूचना जारी की जाएगी." अधिकारी ने बताया कि ओबीसी और एससी/एसटी को मिलने वाले आरक्षण में अब राज्य सरकार भी बिहार सरकार की तरह समाज में अति पिछड़ी जातियों एवं महादलितों को आरक्षण की सीमा तय करेगी. अति पिछड़ा और महादलित की श्रेणी में आने वाली जातियों को लेकर मंथन जारी है.
उन्होंने बताया कि सरकार यह भी तय करने जा रही है कि महादलित एवं अतिपिछड़ा कार्ड सिर्फ झुनझुना न रहे. इसको अमल में भी लाया जाएगा. कैराना लोकसभा उपचुनाव से पहले होने वाली कई भर्तियां आने वाली अधिसूचना के आधार पर ही करवाई जाएंगी, जिससे अतिपिछड़े और महादलितों के भीतर सरकार के प्रति सकारात्मक माहौल बनाया जा सके. अधिकारी ने बताया कि महादलित और अतिपिछड़ा कार्ड का लोकसभा चुनाव में काफी दूरगामी असर पड़ेगा. इससे उन जातियों को झटका लगेगा, जिनको ओबीसी और अतिपिछड़ा कोटे का लाभ ज्यादा मिलता रहा है. अब उनकी एक निर्धारित सीमा होगी. उससे ज्यादा उन जातियों को कोटे का लाभ नहीं मिलेगा.
अधिकारी ने बताया कि हालांकि इस अधिसूचना को जारी करने से पहले सरकार हर स्तर पर इसके नफा-नुकसान को लेकर आकलन में जुटी हुई है. यदि सब कुछ सही रहा तो अगले महीने तक यह अधिसूचना जारी हो जाएगी. शासन से जुड़े सूत्रों ने भी स्वीकार किया है कि सरकार दलितों और अतिपिछड़ों के बीच अपनी पकड़ बनाने की कवायद तेज करने जा रही है. इसी एजेंडे के तहत सोमवार को उत्तर प्रदेश के पिछड़े जिलों को लेकर एक बैठक योजना भवन में हुई थी. इस बैठक में मुख्मयंत्री योगी, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय रेल राज्य मंत्री एवं संचार मंत्री मनोज सिन्हा भी मौजूद थे.
सूत्र ने बताया कि इस बैठक का एजेंडा यही था कि सरकार के मंत्री इन पिछड़े जिलों में कैंप करें और दलितों और अतिपिछड़ों में अपनी पैठ बनाने का प्रयास करें. इन जिलों में राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं को तेजी से लागू कराने के प्रयास किए जाएंगे. यूपी के आठ जिले विकास की मुख्यधारा से अलग-थलग हैं, जिसमें सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, सोनभद्र, चित्रकूट, चंदौली व फतेहपुर ऐसे जिले हैं, जो उत्तर प्रदेश में अति पिछड़े घोषित किए गए हैं.
(इनपुट IANS का भी)