चारा घोटाला : लालू यादव को आज सुनाई जाएगी सजा, कल वकील के निधन से टला था फैसला
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चारा घोटाला : लालू यादव को आज सुनाई जाएगी सजा, कल वकील के निधन से टला था फैसला

सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा कल बुधवार को सजा का ऐलान किया जाना था, लेकिन एक वरिष्ठ अधिवक्ता विंदेश्वरी प्रसाद का निधन हो जाने के कारण अदालती कार्रवाई नहीं हो सकी और फैसले को आज के लिए टाल दिया गया. 

दोषी करार दिए जाने के बाद 23 दिसंबर से लालू यादव जेल में हैं (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : चारा घोटाले में दोषी पाए गए राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख तथा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को आज गुरुवार को सजा सुनाई जाएगी. सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा कल बुधवार को सजा का ऐलान किया जाना था, लेकिन एक वरिष्ठ अधिवक्ता विंदेश्वरी प्रसाद का निधन हो जाने के कारण अदालती कार्रवाई नहीं हो सकी और फैसले को आज के लिए टाल दिया गया. 

  1. रांची में CBI की विशेष अदालत आज सुनाएगी सजा
  2. कल एक वकील के निधन पर टला था फैसला
  3. 23 दिसंबर को कोर्ट ने लालू को ठहराया था दोषी

लालू समेत 16 लोगों को 23 दिसंबर को सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाले से जुड़े देवघर कोषागार से 89 लाख़, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मामले में दोषी ठहराया था. पुलिस ने उसी दिन सभी को हिरासत में लेकर रांची की बिरसा मुंडा सेंट्रल भेज दिया था. सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू यादव को धोखाधड़ी करने, साजिश रचने और भ्रष्टाचार के आरोप में आईपीसी की धारा 420, 120-बी और पीसी एक्ट की धारा 13(2) के तहत दोषी ठहराया था. 1994 से 1996 के बीच देवघर जिला कोषागार से फर्वीवाड़े तरीके से 84.5 लाख रुपये निकाले गए थे. 

रांची की सीबीआई स्‍पेशल कोर्ट के जज शिवपाल सिंह की अदालत ने अहम फैसला सुनाया. इस दौरान लालू के साथ अदालत में उनके बेटे तेजस्‍वी यादव, आरजेडी नेता अब्‍दुल बारी सिद्दीकी एवं अन्‍य नेता, समर्थक मौजूद रहे. दोषी ठहराए जाने के बाद लालू, उनके पुत्र एवं अन्‍य नेता एवं समर्थक बेहद तनाव में नजर आए. इस मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, विद्यासागर निषाद, आर के राणा, जगदीश शर्मा, ध्रुव भगत, समेत 22 लोग आरोपी थे. इससे पहले चाईबासा कोषागार से 37 करोड़, 70 लाख रुपये की अवैध ढंग से निकासी करने के चारा घोटाले के एक अन्य मामले में इन सभी को सजा हो चुकी है.

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बता दें कि सीबीआई ने इस मामले में देवघर कोषागार से फर्जी बिल बना कर राशि की निकासी करने का आरोप सभी पर लगाया था. आपूर्तिकर्ताओं पर सामान की बिना आपूर्ति किए बिल देने और विभाग के अधिकारियों पर बिना जांच किए उसे पास करने का आरोप है. लालू प्रसाद पर गड़बड़ी की जानकारी होने के बाद भी इस पर रोक नहीं लगाने का आरोप है. डॉ. जगन्नाथ मिश्र पर पशुपालन विभाग के उन अधिकारियों को सेवा विस्तार की सिफारिश करने का आरोप था, जो इस घोटाले में शामिल थे. 

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