सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में शासन के मोटे तौर पर मापदंड तय किये थे. उसने उपराज्यपाल का क्षेत्राधिकार जमीन , पुलिस और कानून व्यवस्था तक सीमित कर दिया है.
Trending Photos
नई दिल्लीः दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच सत्ता संघर्ष पर सुप्रीम कोर्ट के 4 जुलाई के फैसले से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा करने के लिए बुधवार को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की. केजरीवाल ने गृह मंत्री के निवास पर पहुंचकर उनसे मुलाकात की. दिल्ली के सीएम ने सिंह से शीर्ष अदालत के फैसले को लागू करने का अनुरोध करते हुए पिछले सप्ताह उनसे मिलने का समय मांगा था. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में शासन के मोटे तौर पर मापदंड तय किये थे. उसने उपराज्यपाल का क्षेत्राधिकार जमीन , पुलिस और कानून व्यवस्था तक सीमित कर दिया है.
केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात के बाद अरविंद केजरीवाल ने बताया, 'दिल्ली सरकार की शक्तियों के लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लेकर गृह मंत्री से मुलाकात की. उन्हें बताया कि एलजी और केंद्र सरकार अपने तरीके से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की व्याख्या कर रहे है. इस आदेश के मुताबिक, सेवाएं- जिसमें दिल्ली सरकार के तहत आने वाले प्रशासनिक अधिकारियों का प्रबंधन भी शामिल है, लेकिन एलजी और केंद्र सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने से इंकार कर रहे हैं. '
Delhi CM meets HM Rajnath Singh,says,"Met him over SC's order on powers of Delhi govt.Told him LG & Centre is interpreting order in their own way.Order mentions 'Services' -management of administrative officers lies with Delhi govt but LG&Centre are refusing to abide by the order pic.twitter.com/UA36X71RYS
— ANI (@ANI) July 11, 2018
बता दें कि आम आदमी पार्टी का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हिसाब से दिल्ली सरकार के अधिकारियों के तबादले एवं तैनाती समेत सेवा विषयक मामलों पर उसका नियंत्रण है. पिछले हफ्ते शीर्ष अदालत के फेसले के कुछ ही घंटे बाद दिल्ली सरकार ने नौकरशाहों के तबादले एवं तैनाती की नयी व्यवस्था शुरु की थी जिसमें मुख्यमंत्री को मंजूरी प्रदान करने वाला प्राधिकार बनाया गया था. लेकिन सेवा विभाग ने यह कहते हुए उसे मानने से इनकार कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने 2015 की वह अधिसूचना खारिज नहीं की है जो गृहमंत्री को तबादले एवं तैनाती का प्राधिकार बनाती है.
केजरीवाल ने कहा था कि यह बड़ा खतरनाक है कि केंद्र सरकार राज्यपाल को शीर्ष अदालत के आदेश का पालन नहीं करने की सलाह दे रही है. गृह मंत्रालय एक बयान जारी कर आरोपों से इनकार कर चुका है. केंद्र और उपराज्यपाल कह चुके हैं कि यथास्थिति बनाए रखने की जरुरत है क्योंकि सेवा पर नियंत्रण संबंधी मामला की नियमित पीठ के सामने लंबित है.
(इनपुट भाषा से)