राष्ट्रपति का राष्ट्र के नाम संबोधन: बेटियों को मिलें बेटों के बराबर मौके, पढ़ें भाषण की 7 बातें
Advertisement
trendingNow1367993

राष्ट्रपति का राष्ट्र के नाम संबोधन: बेटियों को मिलें बेटों के बराबर मौके, पढ़ें भाषण की 7 बातें

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 26 जनवरी की पूर्व संख्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के जीवन को खुशहाल बनाने को लोकतन्त्र की सफलता की कसौटी बताया और एक ऐसे समाज की वकालत की जहां किसी दूसरे नागरिक की गरिमा और निजी भावना का उपहास किए बिना किसी के नजरिये से या इतिहास की किसी घटना के बारे में भी हम असहमत हो सकते हैं.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पहली बार गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराएंगे. तस्वीर साभार: presidentofindia.gov.in

नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 26 जनवरी की पूर्व संख्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के जीवन को खुशहाल बनाने को लोकतन्त्र की सफलता की कसौटी बताया और एक ऐसे समाज की वकालत की जहां किसी दूसरे नागरिक की गरिमा और निजी भावना का उपहास किए बिना किसी के नजरिये से या इतिहास की किसी घटना के बारे में भी हम असहमत हो सकते हैं. गणतंत्र दिवस की पूर्वसंध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कोविंद ने कहा कि ऐसे उदारतापूर्ण व्यवहार को ही भाईचारा कहते हैं.

  1. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का 26 जनवरी की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संदेश
  2. कहा, दूसरे नागरिक की गरिमा या भावना का उपहास किये बिना असहमत हों
  3. राष्ट्रपति रामनाथ बोले- हम सबका सपना है कि भारत एक विकसित देश बने

राष्ट्रपित ने कहा, 'जहां बेटियों को, बेटों की ही तरह, शिक्षा, स्वास्थ्य और आगे बढ़ने की सुविधाएं दी जाती हैं, ऐसे समान अवसरों वाले परिवार और समाज ही, एक खुशहाल राष्ट्र का निर्माण करते हैं. महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए, सरकार कानून लागू कर सकती है और नीतियां भी बना सकती है - लेकिन ऐसे कानून और नीतियां तभी कारगर होंगे जब परिवार और समाज, हमारी बेटियों की आवाज को सुनेंगे. हमें परिवर्तन की इस पुकार को सुनना ही होगा.

राष्ट्र के नाम संबोधन की 7 अहम बातें
1. राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कहा कि अनुशासित और नैतिकतापूर्ण संस्थाओं से एक अनुशासित और नैतिक राष्ट्र का निर्माण होता है. ऐसी संस्थाएं, अन्य संस्थाओं के साथ, अपने भाई-चारे का सम्मान करती हैं. वे अपने कामकाज में ईमानदारी, अनुशासन और मर्यादा बनाए रखती हैं.

2. राष्ट्रपति ने कहा, ‘किसी दूसरे नागरिक की गरिमा और निजी भावना का उपहास किए बिना, किसी के नजरिये से या इतिहास की किसी घटना के बारे में भी हम असहमत हो सकते हैं.’ 

3. राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, ‘हमारे संविधान निर्माता बहुत दूरदर्शी थे. वे ‘कानून का शासन’ और ‘कानून द्वारा शासन’ के महत्त्व और गरिमा को भली-भांति समझते थे. वे हमारे राष्ट्रीय जीवन के एक अहम दौर के प्रतिनिधि थे.’ उन्होंने कहा, ‘हम सौभाग्यशाली हैं कि उस दौर ने हमें गणतंत्र के रूप में अनमोल विरासत दी है.’ 

ये भी पढ़ें: डियर PM, दावोस को बताइये कि एक फीसदी भारतीयों के पास ही क्यों है 73% संपत्ति: राहुल गांधी

4. राष्ट्रपति ने कहा कि लेकिन उन्होंने पल भर भी आराम नहीं किया. बल्कि दुगने उत्साह के साथ संविधान बनाने के महत्त्वपूर्ण कार्य में पूरी निष्ठा के साथ जुट गए. उनकी नजर में हमारा संविधान, हमारे नए राष्ट्र के लिए केवल एक बुनियादी कानून ही नहीं था, बल्कि सामाजिक बदलाव का एक दस्तावेज था. कोविंद ने कहा कि हमें आजादी एक कठिन संघर्ष के बाद मिली थी. इस संग्राम में, लाखों लोगों ने हिस्सा लिया. उन स्वतंत्रता सेनानियों ने देश के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया. महात्मा गाँधी के नेतृत्व में, ये महान सेनानी, मात्र राजनैतिक स्वतंत्रता प्राप्त करके संतुष्ट हो सकते थे.

5. राष्ट्रपति ने कहा, ‘हम सबका सपना है कि भारत एक विकसित देश बने. उस सपने को पूरा करने के लिए हम आगे बढ़ रहे हैं. हमारे युवा अपनी कल्पना, आकांक्षा और आदर्शों के बल पर देश को आगे ले जाएंगे. उन्होंने कहा कि सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए लोगों के जीवन को खुशहाल बनाना ही हमारे लोकतन्त्र की सफलता की कसौटी है. गरीबी के अभिशाप को, कम-से-कम समय में, जड़ से मिटा देना हमारा पुनीत कर्तव्य है. यह कर्तव्य पूरा करके ही हम संतोष का अनुभव कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें: गणतंत्र दिवस: जब PAK गवर्नर जनरल को भारत ने दिया चीफ गेस्ट का दर्जा

6. राष्ट्रपति पद पर आने के बाद गणतंत्र दिवस पर राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में कोविंद ने कहा कि वर्ष 2022 में हमारे गणतन्त्र को 70 वर्ष हो जाएंगे. उन्होंने कहा, ‘साल 2022 में, हम अपनी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाएंगे. ये महत्वपूर्ण अवसर हैं. स्वतंत्रता सेनानियों और संविधान के निर्माताओं द्वारा दिखाए रास्तों पर चलते हुए, हमें एक बेहतर भारत के लिए प्रयास करना है.’

7. राष्ट्रपति ने कहा, 'इनोवेटिव बच्चे ही एक इनोवेटिव राष्ट्र का निर्माण करते हैं. इस लक्ष्य को पाने के लिए, हमें एक जुनून के साथ, जुट जाना चाहिए. हमारी शिक्षा- प्रणाली में, खासकर स्कूल में, रटकर याद करने और सुनाने के बजाय, बच्चों को सोचने और तरह-तरह के प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. हमने खाद्यान्न उत्पादन में काफी बढ़ोतरी की है, लेकिन अभी भी, कुपोषण को दूर करने और प्रत्येक बच्चे की थाली में जरुरी पोषक तत्व उपलब्ध कराने की चुनौती बनी हुई है. यह हमारे बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए, और हमारे देश के भविष्य के लिए, बहुत ही महत्वपूर्ण है.' राष्ट्रपति का पूरा संबोधन पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

Trending news