जन्माष्टमी 2018: दो दिन मनाया जाएगा दही-हांडी का त्योहार, व्रत-पूजा में इन बातों का रखें ख्याल
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जन्माष्टमी 2018: दो दिन मनाया जाएगा दही-हांडी का त्योहार, व्रत-पूजा में इन बातों का रखें ख्याल

कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल कृष्ण जन्माष्टमी दो दिन 2 और 3 सितंबर को पड़ रही है. 

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल कृष्ण जन्माष्टमी दो दिन 2 और 3 सितंबर को पड़ रही है. मथुरा वृंदावन सहित उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में इस त्योहार पर लोग व्रत रखते हैं और कृष्ण भगवान से अपनी मनोकामना पूरी होने की मांग करते हैं. इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती हैं और भगवान कृष्ण को झूला झूलाने की परंपरा भी है. 

क्यों मानते हैं कृष्ण जन्माष्टमी
भगवान विष्णु ने कृष्ण रूप में भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को धरती पर आठवां अवतार लिया था. भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे इसलिए इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी और जन्माष्टमी के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. बता दें कि कृष्ण जन्माष्टमी दो अलग-अलग दिनों पर होती है. पहले दिन वाली जन्माष्टमी मंदिरों और बाह्मणों के यहां मनाई जाती है और दूसरे दिन वाली जन्माष्टमी वैष्णव सम्प्रदाय के लोग मनाते हैं. 

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी: इस दिन धूमधाम से मनाया जाएगा त्योहार, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

कृष्ण जन्माष्टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस साल 2 सितंबर रात 8 बजकर 46 मिनट से अष्टमी तिथि शुरू होकर और 3 सितंबर को अष्टमी तिथि 7 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी. वहीं रोहिणी नक्षत्र का प्रारंभ 2 सितंबर को रात 8 बजकर 48 से होगा और 3 सितंबर की रात 8 बजकर 08 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र समाप्त होगा. 

व्रत रखने की विधि और नियम 
व्रत के पहले वाली रात को हल्का भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें. व्रत के दिन सुबह स्नानादि नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं. व्रत वाले दिन फलाहार  और सात्विक भोजन करें. मांस, मदिरा और मसालेदार भोजन से से परहेज करें. किसी की बुराई न करें और मन में दुस्भाव न लाएं. व्रत वाले दिन मन में भगवान कृष्ण का ध्यान करते रहे हैं. पूजा करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. मूर्ति में बालक श्रीकृष्ण को स्तनपान कराती हुई देवकी हों और लक्ष्मीजी उनके चरण स्पर्श किए हों अगर ऐसा चित्र मिल जाए तो बेहतर रहता है. इसके बाद विधि-विधान से पूजन करें. पूजन में देवकी, वसुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी इन सबका नाम क्रमशः लेना चाहिए.

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