18 साल बाद पता चला, जांबाजों ने इस टेक्नि‍क से जीता था कारगिल युद्ध
Advertisement
trendingNow1334304

18 साल बाद पता चला, जांबाजों ने इस टेक्नि‍क से जीता था कारगिल युद्ध

एयर चीफ मार्शल धनोवा ने बताया कि ऑपरेशन सफेद सागर, करगिल ऑपरेशन 1999 की बात है. करगिल इलाके में नेशनल हाईवे 1ए की बर्फीली पहाड़ियों पर पाकिस्तानी सेना और आतंकियों ने घुसपैठ कर ली थी. उन्हें हटाने के लिए ये ऑपरेशन लॉन्च किया गया था.

भारतीय वायु सेना ने घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए स्ट्राइक मिशन उड़ाए. (file pic)

नई दिल्ली : कारगिल विजय दिवस के 18 साल पूरे होने पर एयर चीफ मार्शल बीएस धनोवा ने एक प्रमुख समाचार पत्र से बातचीत करते हुए युद्ध के अनुभव साझा किए. जंग को याद करते हुए उन्‍होंने बताया कि मैं उस समय 17 स्क्वाड्रन गोल्डन ऐरो का कमांडिंग ऑफिसर था और फाइटर प्लेन उड़ाता था. कारगिल जंग में पहला मौका था जब मिग-21 ने पहाड़ी इलाकों में रात के वक्त हमलावर मिशन चलाए.

बर्फ पिघलने से पहले ही कब्जा शुरू कर दिया

धनोवा ने बताया कि ऑपरेशन सफेद सागर, करगिल ऑपरेशन 1999 की बात है. करगिल इलाके में नेशनल हाईवे 1ए की बर्फीली पहाड़ियों पर पाकिस्तानी सेना और आतंकियों ने घुसपैठ कर ली थी. उन्हें हटाने के लिए ये ऑपरेशन लॉन्च किया गया था. नियंत्रण रेखा (एलओसी) में भारतीय सीमा की चोटियों पर दुश्मन ने बर्फ पिघलने से पहले ही कब्जा शुरू कर दिया था. उनका इरादा लद्दाख और कश्मीर घाटी के बीच संपर्क खत्म करना था.

घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए स्ट्राइक मिशन उड़ाए

"ये तब हो रहा था जब भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री दोनों देशों के बीच शांति की पहल का जश्न मना रहे थे. तब मेरी रैंक विंग कमांडर थी और मैं मिग 21 उड़ाता था. हमारा स्क्वाड्रन जंग जैसे हालात के लिए हर तौर पर तैयार था. उसे 1997 में पश्चिमी एयर कमान की बेस्ट फाइटर स्क्वाड्रन का अवॉर्ड मिला था. जब सरकार ने एयरफोर्स से ऑपरेशन शुरू करने को कहा, हमारा 17 स्क्वाड्रन उन पहली टीमों में था जो कारगिल आई. शुरुआत में हम फोटो के जरिए टोह लेने के मिशन पर निकले थे. उसके तुरंत बाद हमने घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए स्ट्राइक मिशन उड़ाए."

बंकरों में सुरक्षित स्थिति में था दुश्‍मन

धनोवा ने बताया 26 मई 1999 की बात है. मैं और तब फ्लाइट लेफ्टिनेंट रहे आरएस धालीवाल ने टाइगर हिल और तोलोलिंग की पहली बार टोह ली थी. मुझे याद है कि जो फोटो हमने खींची थी उसमें दुश्मन यहां-वहां फैला हुआ था और भारतीय इलाकों के पहाड़ों में बने बंकरों में सुरक्षित स्थिति में था. हम दुश्मन के लॉजिस्टिक्स, गोला-बारूद के ठिकानों और कम्युनिकेशन लाइन को टारगेट करना चाहते थे, ताकि वह भूखा मर जाए या मजबूरन हमारे इलाके से कब्जा छोड़ दे.

एलओसी पार करने की इजाजत नहीं थी

हमारे ऑपरेशन पर काफी पाबंदियां थीं. हमें एलओसी पार करने की इजाजत नहीं थी. यदि आपको एक पेड़ पर हमला करना है तो आप भले जड़ों पर निशाना न लगाएं कम से कम तने तक तो जाएंगे. लेकिन हमें कहा गया था सिर्फ टहनियों और पत्तियों पर हमला करो. वो भी उन पत्तियों पर जो हमारे इलाके में हैं.

जब दुश्मन की मिसाइल के निशाने पर आए आहूजा

27 मई 1999 को हमारी स्क्वाड्रन के सेकंड इन कमांड स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा के एयरक्राफ्ट को स्टिंगर मिसाइल के जरिए दुश्मन ने गिरा दिया था. अजय तब फ्लाइट लेफ्टिनेंट के. नचिकेता को ढूंढने निकले थे. नचिकेता का विमान क्रैश हुआ था. वह सुरक्षित बाहर निकल आए थे, पर लापता थे. उन्हें ढूंढते हुए आहूजा दुर्भाग्य से दुश्मन की मिसाइल के निशाने पर आ गए.

हमें आहूजा पर गर्व है

एयरफोर्स का मानना है कि अजय विमान से सुरक्षित बाहर निकले थे. उन्हें दुश्मन ने पकड़ लिया और हत्या कर दी. दो दिन बाद उनका शव हमें सौंपा गया. गले और दिल पर गोलियों के निशान मिले थे. वह मेरी यूनिट के लिए सबसे दुखद दिन था. हमें आहूजा पर गर्व है, जिन्होंने एयरफोर्स के मूल्यों और परंपरा को कायम रखा और अदम्य साहस दिखाते हुए अपने साथी को बचाने की कोशिश की."

आहूजा की शहादत ने और हौसला दिया

धनोवा ने कहा कि आहूजा की शहादत ने हमें और ज्यादा ताकत के साथ हमला करने को प्रेरित किया. वो भी तब तक, जब तक कि दुश्मन का सफाया न कर दें. हमारा स्क्वाड्रन दुश्मन की पोजिशन के फोटो लेने लगा और दिए गए टारगेट पर बम गिराने लगा. ऑपरेशन खत्म हुआ तो गोल्डन ऐरो इतिहास बना चुका था. हमारे विमान 100% काम कर रहे थे. हमने कई नाइट स्ट्राइक मिशन पूरे किए थे.

ये पहला मौका था जब मिग-21 ने पहाड़ी इलाकों में नाइट मिशन चलाए थे. हम अपना एक फाइटर पायलट खो चुके थे, पर मुश्किल हालात में जीत कर आए थे. हमारा स्क्वाड्रन सबसे डेकोरेटेड यूनिट बन गया था. यूनिट को एक वीर चक्र (मरणोपरांत), एक जंग सेवा मेडल, दो एयरफोर्स मेडल और दो मेंशन इन डिस्पेचेस भी दिए किए गए. मैं बस यही कहूंगा कि ये मशीन के पीछे मौजूद सैनिक का प्रोफेशनलिज्म और लीडरशिप है, जो आपको जीत दिलवाती है.

 

Trending news