चंद्रग्रहण: इस कारण 27 जुलाई को बदला बांके बिहारी मंदिर में दर्शन का समय
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चंद्रग्रहण: इस कारण 27 जुलाई को बदला बांके बिहारी मंदिर में दर्शन का समय

मंदिर के प्रबंधक उमेश सारस्वत ने बताया कि आगामी शुक्रवार को बांकेबिहारी के भक्त करीब पांच घंटे ही प्रभु के दर्शन कर पाएंगे.

भारत के साथ यह चंद्रग्रहण नेपाल, अफ्रीका, अंटाकर्टिका, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में दिखाई देगा. (फाइल फोटो)

मथुरा: आषाढ़ पूर्णिमा के दिन (27 जुलाई) लगने वाले सदी के सबसे लंबे पूर्ण चंद्रग्रहण के चलते वृन्दावन के प्रसिद्ध ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में सेवा, आरती और दर्शन के समय में परिवर्तन किया गया है. मंदिर के प्रबंधक उमेश सारस्वत ने बताया कि आगामी शुक्रवार को बांकेबिहारी के भक्त करीब पांच घंटे ही प्रभु के दर्शन कर पाएंगे. श्रद्धालु 28 जुलाई से पहले की तरह ही निर्धारित समय पर ही ठाकुरजी के दर्शन कर सकेंगे. सभी अनुष्ठान परंपरागत रूप से होंगे.

  1. 27 जुलाई को सदी का सबसे लंबी अवधि का चंद्रग्रहण
  2. 104 साल बाद आ रहा चंद्रग्रहण पौने चार घंटे का होगा
  3. बांकेबिहारी मंदिर में दर्शन उस दिन 5 घंटे ही होगा

104 साल बाद बन रहा संयोग
गुरु पूर्णिमा के दिन यानी 27 जुलाई को सदी का सबसे लंबी अवधि वाला चंद्रग्रहण पड़ेगा. 104 साल बाद आ रहा चंद्रग्रहण पौने चार घंटे का होगा. पंडित भरत दुबे शास्त्री ने बताया कि शुक्रवार को रात 11 बजकर 55 मिनट से शुरू होकर 3:49 बजे खत्म होगा. यह चंद्रग्रहण 3 घंटे 54 मिनट तक चलेगा. 2:55 बजे से सूतक लगेगा और 3:54 मिनट पर पर्वकाल रहेगा.   

उधर, आषाढ़ माह की अमावस्या (13 जुलाई) को सूर्यग्रहण भी पड़ रहा है. जो भारत में दिखाई नहीं देगा. ऑस्ट्रेलिया, मेलबॉर्न, अंटार्कटिका, ऑस्ट्रिया के उत्तरी भाग में नजर आएगा. वहीं, 11 अगस्त को लगने वाला सूर्यग्रहण चीन, तिब्बत, नार्वे और मंगोलिया में दिखेगा.  

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कब होता है चंद्र ग्रहण?
चंद्रग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते हैं जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रतिच्छाया में आ जाता है. ऐसे में सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में आ जाते हैं. चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण हमेशा साथ-साथ होते हैं और सूर्यग्रहण से दो सप्ताह पहले चंद्रग्रहण होता है.

वैज्ञानिक मान्यता
ग्रहण के वक्त वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इसलिए यह समय को अशुभ माना जाता है. इस दौरान अल्ट्रावॉयलेट किरणें निकलती हैं जो एंजाइम सिस्टम को प्रभावित करती हैं, इसलिए ग्रहण के दौरान सावधानी बरतने की जरूरत होती है. इस समय चंद्रमा, पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है, जिससे गुरुत्वाकर्षण का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है. इसी कारण समुद्र में ज्वार भाटा आते हैं.  भूकंप भी गुरुत्वाकर्षण के घटने और बढ़ने के कारण ही आते हैं.

पौराणिक मान्यता
ज्योतिष के अनुसार राहु ,केतु को अनिष्टकारण ग्रह माना गया है. चंद्रग्रहण के समय राहु और केतु की छाया सूर्य और चंद्रमा पर पड़ती है. इस कारण सृष्टि इस दौरान अपवित्र और दूषित को हो जाती है.

ग्रहण के दौरान ये न करें -
- ग्रहण के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए.
- ग्रहण के दौरान सोना भी नहीं चाहिए.
- ग्रहण को नग्न आखों से न देखें
- चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को खास ध्यान रखने की जरूरत है. क्योंकि ग्रहण के वक्त वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो कि बच्चे और मां दोनों के लिए हानिकारक हैं.

(इनपुट: भाषा से भी)

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