जब इस तरह भारत में पहली बार मनाया गया गणतंत्र दिवस, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे मेहमान
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जब इस तरह भारत में पहली बार मनाया गया गणतंत्र दिवस, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे मेहमान

भारत में पहला गणतंत्र दिवस साल 1950 में पहली बार मनाया गया था. 26 जनवरी, 1950 को हमें भारत का संविधान और डॉ. राजेंद्र प्रसाद के रूप में भारत के प्रथम राष्ट्रपति मिले थे.

साल 1950 में शुरू हुई थी गणतंत्र दिवस पर अतिथि बुलाने की परंपरा (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: भारत में पहला गणतंत्र दिवस साल 1950 में पहली बार मनाया गया था. 26 जनवरी, 1950 को हमें भारत का संविधान और डॉ. राजेंद्र प्रसाद के रूप में भारत के प्रथम राष्ट्रपति मिले थे. पहला गणतंत्र दिवस मनाते हुए प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इरविन स्टेडयिम में भारतीय तिरंगा फहराया था.

  1. भारत में पहली बार साल1950 में मनाया गया था गणतंत्र दिवस
  2. 26 जनवरी 1950 को 10:18 मिनट पर लागू हुआ था संविधान
  3. 26 जनवरी 1950 को पहली बार देश को मिला था पहला राष्ट्रपति

संविधान लागू होने के 6 मिनट बाद देश को मिले पहले राष्ट्रपति
जानकारी के मुताबिक, 26 जनवरी 1950 को सुबह 10:18 मिनट पर भारत का संविधान लागू किया गया था. इसके कुछ ही मिनट बाद 10:24 पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी. राजेंद्र प्रसाद ने उसी दिन 26 जनवरी को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया था.

1950 से ही शुरू हुई अतिथि बुलाने की परंपरा
साल 1950 में ही गणतंत्र दिवस पर अतिथि बुलाने की परंपरा की भी शुरुआत हुई थी. पहले गणतंत्र दिवस पर इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति सुकर्णो मुख्य अतिथि बनकर आए थे.

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अब 68 साल बाद ये इतिहास फिर से दोहराया जाएगा. इस साल भी गणतंत्र दिवस पर आमंत्रित किए गए 10 अतिथियों में से एक इंडोनेशिया के राष्ट्रपति होंगे.

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आसियान के नौ अन्य राष्ट्राध्यक्षों के साथ ही इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विदोदो भारत के गणतंत्र दिवस के मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे.

अलग-अलग जगह मनाया जाता था गणतंत्र दिवस
1950 और 1954 के बीच भारत में गणतंत्र दिवस समारोह के लिए एक निश्चित स्थान नहीं था. शुरू में इसे लाल किला, नेशनल स्टेडियम, किंग्सवे कैंप और फिर रामलीला मैदान में आयोजित किया गया था. साल 1955 में पहली बार राजपथ को गणतंत्र दिवस मनाने के स्थायी स्थान के रूप में चुना गया.

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इस दिवस को मनाते हुए सेना द्वारा परेड की गई और तोपों की सलामी दी गई थी. परेड में सशस्त्र सेना के तीनों बलों ने हिस्सा लिया था. आज भी गणतंत्र दिवस राजपथ पर ही मनाया जाता है.

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