आपको बता दें कि पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम और तेल कंपनियों के मनमाने रवैया पर अब सरकार चाबुक चलाने की तैयारी कर रही है.
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भुवनेश्वरः पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से निपटने के लिए सरकार ‘ तत्काल समाधान ’ पर विचार कर रही है. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को इस संबंध में जानकारी दी. उन्होंने ओडिशा सरकार से भी अनुरोध किया किया कि वह पेट्रोलियम उत्पादों पर मूल्यवर्द्धित कर (वैट) घटाए. प्रधान ने भुवनेश्वर में पत्रकारों से बातचीत में कहा , ‘‘ पेट्रोलियम मंत्रालय पेट्रोल - डीजल की कीमतों को कम करने के लिए पेट्रोलियम उत्पादों को माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के दायरे में लाने के पक्ष में है. लेकिन तब तक के लिए हम किसी तत्काल समाधान पर विचार कर रहे हैं. ’’
उन्होंने कहा , ‘‘ हम निश्चित तौर पर समाधान के लिए कोई रास्ता निकाल लेंगे. ’’ उन्होंने कहा कि पिछले साल अक्तूबर में केंद्र सरकार ने गरीबों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए ईंधन पर दो रुपये प्रति लीटर का उत्पाद शुल्क घटाया था. इस बार केंद्र सरकार लघु एवं दीर्घवधि दोनों तरह के समाधान पर विचार कर रही है.
#WATCH: Petroleum Minister Dharmendra Pradhan speaks about fuel price hike, says, 'GST is one way that is being looked into to ease the situation, many other options are being explored for both short & long term solutions.' pic.twitter.com/ssfnXmTNFa
— ANI (@ANI) May 24, 2018
आपको बता दें कि पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम और तेल कंपनियों के मनमाने रवैया पर अब सरकार चाबुक चलाने की तैयारी कर रही है. दरअसल, सरकार तेल उत्पादक कंपनी ओएनजीसी पर विंडफॉल टैक्स लगाने की तैयारी कर रही है. इससे पेट्रोल-डीजल के दाम में दो रुपए तक की कटौती संभव है.
ONGC पर लगेगा टैक्स!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई थी, जिसके बाद सरकार की तरफ से कहा गया कि वह इसके लॉन्ग टर्म सॉलुशंस पर काम कर रही है. इस बैठक से जुड़े सूत्रों ने बताया कि भारतीय तेल उत्पादक कंपनियों के लिए कच्चे तेल की कीमत 70 डॉलर प्रति बैरल तक सीमित की जा सकती है. उन्होंने बताया कि अगर यह योजना अमल में लाई जाती है तो भारतीय ऑयल फील्ड से तेल निकाल कर उसे अंतरराष्ट्रीय दरों पर बेचने वाली तेल उत्पादक कंपनियां अगर 70 डॉलर प्रति बैरेल की दर से ज्यादा पर पेट्रोल बेचती हैं, तो उन्हें आमदनी का कुछ हिस्सा सरकार को देना होगा.
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क्या है विंडफॉल टैक्स
विंडफॉल टैक्स एक तरह का विशेष तेल टैक्स है. इससे मिलने वाले रेवेन्यू का फायदा फ्यूल रिटेलर्स को दिया जाएगा, जिससे वह कीमतों में बढ़ोत्तरी को अब्जॉर्ब कर सके. कंज्यूमर को तत्काल राहत देने के लिए सरकार विंडफॉल टैक्स लगा सकती है. विंडफॉल टैक्स दुनिया के कुछ विकसित देशों में प्रभावी है. यूके में 2011 में तेल की कीमतें 75 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाने पर टैक्स रेट बढ़ा दिया गया, जो नॉर्थ सी ऑयल और गैस से मिलने वाले प्रॉफिट पर लागू हुआ था. इसी तरह चीन ने 2006 में घरेलू तेल प्रोड्यूसर्स पर स्पेशन अपस्ट्रीम प्रॉफिट टैक्स लगाया.
एक्साइज ड्यूटी में भी कटौती
सूत्रों के मुताबिक, मोदी सरकार विंडफॉल टैक्स को तेल कीमतों में तेजी को काबू में रखने के एक स्थायी समाधान के विकल्प के रूप में देख रही है. सरकार की तरफ से यह टैक्स सेस के रूप में लगाया जा सकता है और तेल की कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर जाने पर यह देना होगा.
राज्य भी घटाएंगे वैट
तेल कंपनियों पर टैक्स और एक्साइज ड्यूटी में कटौती के अलावा, सरकार राज्यों से भी वैट और सेल्स टैक्स में कटौती करने को लेकर कह सकती है. पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से परेशान लोगों को इन कदमों से तत्काल थोड़ी राहत मिलने का अनुमान है. सरकारी और निजी दोनों तरह की पेट्रोल उत्पादक कंपनियों को सेस लगाने की सोच रही है. कुल मिलाकर ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इन सबको मिलाकर पेट्रोल की कीमतों में 5-7 रुपए की कटौती हो सकती है. हालांकि, यह एक अनुमान है, अभी सरकार की तरफ से ऐसा कोई कटौती निर्धारित नहीं की गई है.