कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अब तक दो बार ये बात बोल चुके हैं कि वे यदि सदन में राफेल डील और नीरव मोदी के मुद्दे पर बोलेंगे तो पीएम नरेंद्र मोदी उनके सामने खड़े नहीं हो सकेंगे और संसद से चले जाएंगे.
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नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कई बार ये कहते दिख चुके हैं कि वे संसद में बोलेंगे तो भूकंप आ जाएगा... वे राफेल डील और नीरव मोदी पर 15 मिनट भी बोला तो पीएम नरेंद्र मोदी खड़े नहीं हो सकेंगे और संसद से चले जाएंगे. लेकिन संसद के रिकॉर्ड की बात करें तो सितंबर 2016 में राफेल डील पर हस्ताक्षर किए जाने और पीएनबी घोटाले के उजागर होने के बाद से राहुल गांधी ने एक बार भी इन मुद्दों को व्यक्तिगत रूप से सदन में नहीं उठाया है. यहां तक कि उन्होंने पिछले चार साल में संसद में एक भी सवाल नहीं पूछा है. इतना ही नहीं सोनिया गांधी ने भी पिछले चार सालों में संसद में कोई सवाल नहीं पूछा. लोकसभा की आधिकारिक वेबसाइट जिसमें सभी सांसदों के सवालों की पूरी लिस्ट मौजूद रहती है, उससे इस बात की पुष्टि हुई है.
लोकसभा में पहले देना होता है नोटिस
संसद में किसी भी सांसद को कोई मुद्दा उठाने के लिए लोकसभा सचिवालय को नोटिस देना होता है. 12 से 1 बजे के बीच शून्यकाल में मुद्दे पर बोलने का मौका दिया जाता है. हालांकि, ये स्पीकर पर भी निर्भर करता है कि वे इसकी अनुमति देते हैं या नहीं.
राफेल डील पर सवाल करने वालों में राहुल नहीं
विपक्ष राफेल डील के मुद्दे पर 12 अगस्त 2016 से अब तक पांच बार संसद में सवाल उठा चुका है. आखिरी सवाल 14 मार्च 2018 को किया गया था. वहीं पीएनबी घोटाले को लेकर भी विपक्ष ने पांच बार वित्त मंत्रालय से सवाल किए. हालांकि, संसद के रिकॉर्ड के अनुसार राहुल गांधी ने इन मामलों को संसद में उठाने के लिए खुद कभी नोटिस नहीं दिया और न ही सवाल पूछा.
पिछले चार साल में राहुल गांधी ने संसद में 11 बार अपनी बात रखी. इस दौरान उन्होंने करीब 1 घंटा 41 मिनट बोला. वहीं पीएम नरेंद्र मोदी 14 बड़ी बहसों में हस्तक्षेप कर चुके हैं और वे आठ घंटे 19 मिनट बोल चुके हैं.
राहुल गांधी का आरोप- देश के 10 प्रतिशत रक्षा बजट को ‘जेब में डाल लिया गया
राफेल डील को लेकर कांग्रेस आरोप लगाती आई है कि इस समझौते के लिए मोदी सरकार ने ज्यादा कीमत दी है. मार्च 2018 में राहुल गांधी ने इसे लेकर एक विस्तृत ट्वीट भी किया था, जिसमें उन्होंने सरकार पर 36 राफेल विमान की कीमत के जरिये देश के 10 प्रतिशत रक्षा बजट को ‘जेब में डाल देने’ का आरोप लगाया था. राहुल ने राफेल लड़ाकू विमान बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी डसाल्ट की वार्षिक रिपोर्ट के जरिए इन विमानों की तुलनात्मक कीमत बताई और कहा कि, ‘‘डसाल्ट ने आरएम (रक्षा मंत्री) के झूठ को खोला और रिपोर्ट में प्रति राफेल विमान की कीमतें जारी की गईं.’’
उन्होंने कहा कि कतर को यह प्रति विमान 1319 करोड़ रुपए में बेचा गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार को यह 1670 करोड़ रुपए में बेचा गया. पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान इसके लिए प्रति विमान 570 करोड़ रुपए का सौदा हुआ था. राहुल ने कहा, ‘‘प्रति विमान 1100 करोड़ रुपये या 36,000 करोड़ रुपये (36 विमानों की कीमत) यानी हमारे रक्षा बजट का 10 प्रतिशत जेब में गया.’’