अपने निर्णयों से चौंकाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर राष्ट्रपति पद के लिए रामनाथ कोविंद का नाम आगे कर सभी को हैरत में डाल दिया है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने सोमवार को राष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवार के रूप में रामनाथ कोविंद के नाम की घोषणा की. रामनाथ कोविंद दलित समुदाय से आते हैं. कोविंद यदि राष्ट्रपति बन जाते हैं तो वह देश के 14वें, उत्तर प्रदेश से आने वाले पहले और दूसरे दलित राष्ट्रपति होंगे. पूर्व राष्ट्रपति के आर नारायणन दलित समुदाय से थे.
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नई दिल्ली : अपने निर्णयों से चौंकाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर राष्ट्रपति पद के लिए रामनाथ कोविंद का नाम आगे कर सभी को आश्चर्य में डाल दिया है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने सोमवार को राष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवार के रूप में रामनाथ कोविंद के नाम की घोषणा की. रामनाथ कोविंद दलित समुदाय से आते हैं. कोविंद यदि राष्ट्रपति बन जाते हैं तो वह देश के 14वें, उत्तर प्रदेश से आने वाले पहले और देश के दूसरे दलित राष्ट्रपति होंगे. पूर्व राष्ट्रपति के आर नारायणन दलित समुदाय से थे.
रामनाथ कोविंद पर कांग्रेस लेफ्ट समेत अन्य पार्टियां और मुख्यमंत्रियों ने दी ये प्रतिक्रियाएं
उत्तर प्रदेश ने देश को कई प्रधानमंत्री दिए हैं लेकिन कोविंद यदि राष्ट्रपति बन जाते हैं तो वह यूपी से आने वाले पहले राष्ट्रपति होंगे. कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के पीछे समझा जाता है कि भाजपा 2019 का आम चुनाव देखते हुए दलित वोटों पर अपना पकड़ और मजबूत करना चाहती है.
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भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान 71 वर्षीय कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने की घोषणा की. शाह ने कहा कि कोविंद की उम्मीदवारी के बारे में पीएम मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह से बात की और एनडीए के फैसले के बारे में उन्हें अवगत कराया. शाह ने संवाददाताओं को बताया कि सोनिया गांधी अपने फैसले से पहले पार्टी में चर्चा करेंगी.
आम चुनावों पर है भाजपा की नजर
कोविंद यदि राष्ट्रपति बनते हैं तो आगामी चुनावों में भाजपा को इसका फायदा पहुंच सकता है क्योंकि देश में दलितों की आबादी करीब 15 प्रतिशत है और कई राज्यों में दलित समुदाय की चुनाव में अहम भागीदारी है.
एनडीए के इस निर्णय का विरोध करना विपक्ष के नेताओं-बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद के लालू प्रसाद यादव, बसपा की मायावती और सपा के अखिलेश को मुश्किल में डाल सकता है. क्योंकि चुनावों में अपने दलित वोटों की चिंता उन्हें कोविंद की उम्मीदवारी का विरोध करने से रोकेगी.
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कोविंद दो साल पहले बिहार के राज्यपाल बने. कोविंद ने कानपुर विश्विद्यालय से कानून की पढ़ाई की है. कोविंद ने 1991 में बीजेपी ज्वाइन की. 1994 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए. 2000 में फिर से उत्तर प्रदेश राज्य से राज्य सभा के लिए निर्वाचित हुए. कोविंद लगातार 12 वर्ष तक राज्यसभा सांसद रहे. कोविंद कई महत्वपूर्ण संसदीय कमेटियों के मेंबर भी रहे हैं.
कोविंद यूपी के कानपुर देहात के रहने वाले हैं
भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद अमित शाह ने कोविंद के नाम का ऐलान किया. कोविंद यूपी के कानपुर देहात के रहने वाले हैं. इसके पहले सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि राष्ट्रपति पद के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नाम पर एनडीए में करीब-करीब सहमति बन गयी है और एनडीए की तरफ से सुषमा राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हो सकती हैं. हालांकि, सुषमा ने मीडिया की इस चर्चा को खारिज कर दिया कि वह राष्ट्रपति पद की दौड़ में हैं.
23 जून को किया जाएगा नामांकन पत्र दाखिल
अमित शाह ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में भाजपा तथा राजग ने विभिन्न दलों के साथ राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर विचार-विमर्श किया. इससे सामने आए विचारों के आधार पर आज संसदीय बोर्ड की बैठक में लंबी सूची पर विचार किया गया और अंत में बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद का नाम तय किया गया. उन्होंने कहा कि कोविंद अनुसूचित जाति समुदाय से आते हैं और 12 वर्ष तक राज्यसभा सदस्य रहे हैं. वह भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रमुख भी रहे हैं. इसके अलावा वह उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में वकालत भी कर चुके हैं. भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि नामांकन भरने की तिथि श्री कोविंद से बातचीत कर तय की जाएगी लेकिन संभावना है कि 23 जून को नामांकन पत्र दाखिल कर दिया जाएगा.