ISRO के इतिहास रचने में रामपुर के इस वैज्ञानिक का बड़ा हाथ, पूरा देश कर रहा सलाम
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ISRO के इतिहास रचने में रामपुर के इस वैज्ञानिक का बड़ा हाथ, पूरा देश कर रहा सलाम

 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को एक और इतिहास रचते हुए अपने 100वें उपग्रह का अंतरिक्ष में प्रक्षेपण किया. 

श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से इस 100वें उपग्रह के साथ 30 अन्य उपग्रह भी अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किए गए.(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को एक और इतिहास रचते हुए अपने 100वें उपग्रह का अंतरिक्ष में प्रक्षेपण किया. इस सफल प्रक्षेपण में रामपुर के डा. संदीप  ने अहम भूमिका निभाई है. जिसमें रामपुर के युवा वैज्ञानिक डा. संदीप चौहान और उनकी टीम ने इस राकेट की फर्स्ट एंड थर्ड स्टेज ही नहीं लांचिंग पैड भी तैयार किया था. रामपुर में उनके परिवार ने अब बताया कि बेटे की देश को बहुत कुछ दिया है ये सम्मान की बात है.

  1. संदीप ने देश का नाम रोशन किया है. 
  2. संदीप का वैज्ञानिक बनने का लक्ष्य था
  3. 100वें उपग्रह का अंतरिक्ष में प्रक्षेपण किया. 

चेन्नई से 110 किलोमीटर दूर स्थित श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से इस 100वें उपग्रह के साथ 30 अन्य उपग्रह भी अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किए गए. अपने इस 42वें मिशन के लिए इसरो ने भरोसेमंद कार्योपयोगी ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी40 को भेजा, जो कार्टोसेट-2 श्रृंखला के उपग्रह और 30 सह-यात्रियों (जिनका कुल वजन करीब 613 किलोग्राम है) को लेकर सुबह 9 बजकर 28 मिनट पर उड़ान भरी. छोटे से शहर रामपुर के वैज्ञानिक संदीप सिंह चौहान ने मिशन चन्द्रयान से इसरों में अपनी पारी की शुरूआत की थी.

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मंगलयान सहित अब तक 67 अभियानों में भागीदारी कर चुके है. पीएसएलवी-सी40 के सफल प्रक्षेपण से भारत को और आर्थिक मजबूती मिली है. संदीप ने व्हीकल लांच पैड और राकेट के निर्माण में प्रथम चरण और तृतीय चरण में सहयोग किया था. अभियान की सफलता इन्हीं चरणों पर टिकी होती है. पीएसएलवी-सी40 ने कार्टोसेट-2 श्रृंखला के उपग्रह को सूर्य स्थित कक्षा में सफलता पूर्वक स्थापित कर दिया है. पीएसएलवी-सी40 की पहली अंतरिक्ष सफल परियोजना है. संदीप इसरो में तैनात है और रामपुर में उनका परिवार रहता है. संदीप के पिता चंद्र पाल सिंह जो कि सीआरपीएफ से एस आई रिटायर है.

लोगों का कहना है कि संदीप पढ़ने में बहुत होशियार थे. केंद्रीय स्कूल सीआरपीएफ से संदीप ने फर्स्ट डिवीजन में इंटर पास किया. इसके बाद पॉलिटेक्निक से 3 साल का डिप्लोमा किया, फिर पंजाब के सेंट लोंगेवाला से बीटेक किया, उसके बाद चेन्नई में पहजी जॉब मिली. संदीप की माता कृष्णा चौहान एक हाउस वाईफ है, संदीप की माता का कहना है कि हर मां अपने बच्चों के काम से खुश होती हैं.

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रामपुर के  वैज्ञानिक  डा. संदीप चौहान 

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संदीप की सफलता से हम सब बहुत खुश है. ये बहुत गर्व की बात है. संदीप ने देश का नाम रोशन किया है. मेरे पास कुछ बोल पाने को शब्द नही है. मां ने बताया कि संदीप शुरू से ही टॉपर था. बहुत मेहनत करता था. वैज्ञानिक बनना उसका लक्ष्य था. संदीप पढ़ाई में बहुत ध्यान देता था. यही वजह थी उसके दोस्त बहुत कम रहें. संदीप की इस सफलता के बाद इलाके के लोगगर्व कर  रहे हैं.

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यहां के निवासी राजा भैया बताते है कि संदीप शुरू से ही मेहनती है और उनका परिवार का भी बहुत सपोर्ट रहा. संदीप रामपुर की शान है. हम ईश्वर दुआ करते है कि है कि वो पूरी दुनिया मे भारत का नाम रोशन करे. 

पीएम मोदी ने दी इसरो को बधाई 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) की अंतरिक्ष में एक और उपलब्धि पर बधाई दी है. प्रधानमंत्री ने अपने बधाई संदेश में देश के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए इसे नए साल का तोहफा करार देते हुए कहा कि तकनीकी में ये बदलाव देश के नागरिकों, किसानों और मछुआरों की मदद में सहयोगी देगी. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा 'पीएसएलवी के सफल प्रक्षेपण पर इसरो और उसके वैज्ञानिकों को हार्दिक बधाई, नए साल में यह कामयाबी हमारे देश के लिए के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारे नागरिकों, किसानों और मुछआरों के लिए लाभ लाएगी. ' पीएम मोदी ने कहा कि 'इसरो द्वारा 100 उपग्रह का शुभारंभ अपनी शानदार उपलब्धियों और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के उज्ज्वल भविष्य को दर्शाता है'

पीएम मोदी ने कहा कि, ' भारत की सफलता के लाभ हमारे भागीदारों के लिए उपलब्ध हैं! आज लॉन्च किए 31 उपग्रहों में से 28 अन्य 6 देशों से संबंधित हैं' आपको बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को एक और इतिहास रचते हुए अपने 100वें उपग्रह का अंतरिक्ष में प्रक्षेपण किया. चेन्नई से 110 किलोमीटर दूर स्थित श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से इस 100वें उपग्रह के साथ 30 अन्य उपग्रह भी अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किए गए.

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