संघ के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए न्योता स्वीकार करने को लेकर प्रणब मुखर्जी को कांग्रेस के ही कई नेताओं की आलोचना झेलनी पड़ी थी. कई कांग्रेस नेताओं ने प्रणब दा से इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होने की अपील की थी.
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नई दिल्लीः राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के तृतीय वर्ष शिक्षा वर्ग के दीक्षांत समारोह में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की. ‘राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशप्रेम’’ के बारे में आरएसएस मुख्यालय में अपने विचार साझा करते हुए पूर्व राष्ट्रपति एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत की आत्मा ‘‘बहुलतावाद एवं सहिष्णुता’’ में बसती है. मुखर्जी ने कहा कि भारत में हम अपनी ताकत सहिष्णुता से प्राप्त करते हैं और बहुलवाद का सम्मान करते हैं. हम अपनी विविधता का उत्सव मनाते हैं.
संघ के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए न्योता स्वीकार करने को लेकर प्रणब मुखर्जी को कांग्रेस के ही कई नेताओं की आलोचना झेलनी पड़ी थी. कई कांग्रेस नेताओं ने प्रणब दा से इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होने की अपील की थी. कुछ नेताओं इस बारे में प्रणब दा को पत्र लिखा था तो कुछ नेताओं ने ट्विटर के जरिए 'दादा' के सामने अपनी बात रखी थी. खैर, प्रणब मुखर्जी के संघ के कार्यक्रम में शामिल होने की खबर आने के बाद से ही सियासी गलियारों में हड़कंप था. लेकिन गुरुवार को प्रणब मुखर्जी की इस कार्यक्रम में संबोधन के बाद कुछ दिन पहले तक प्रणब दा को लेकर अलग मत रखने वाली कांग्रेस का रुख बदल गया.
नागपुर में संघ मुख्यालय में प्रणब दा का संबोधन खत्म होने के बाद ही कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला मीडिया के सामने आए और प्रणब मुखर्जी के भाषण को लेकर प्रतिक्रिया दी. सुरजेवाला ने कहा, 'डॉ.प्रणब मुखर्जी के संघ मुख्यालय दौरे ने व्यापक चर्चाओं और चिंताओं को जन्म दिया था. लेकिन आज प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस को उसके मुख्यालय में ही आईना दिखा दिया है. उन्होंने बहुलता, सहिष्णुता और बहुसंस्कृतिवाद की बात की. '
सुरजेवाला ने आगे कहा, 'प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस को भारत का इतिहास याद दिलाया है. उन्होंने आरएसएस को पढ़ाया कि भारत की सुंदरता अलग-अलग विचारों, धर्मों और भाषाओं के प्रति सहिष्णुता में निहित है. क्या आरएसएस सुनने के लिए तैयार है?' सुरजेवाला ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति ने नरेंद्र मोदी सरकार को भी राजधर्म की याद दिलाई. उन्होंने कहा कि मोहन भागवत को इसका जवाब देना चाहिए.
Shri Pranab Mukherjee has reminded the RSS of the history of India. He taught the RSS that India's beauty lies in its tolerance for difference ideas, religions and languages. Is RSS ready to listen? :Randeep Surjewala,Congress pic.twitter.com/D6dg60ccpn
— ANI (@ANI) June 7, 2018
संघ के तृतीय वर्ष शिक्षा वर्ग के कार्यक्रम में शामिल होने से पहले प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार के स्मृति स्थल पहुंचकर उन्हें नमन किया. प्रणब दा ने विजिटर बुक में हेगडेवार को भारत माता का महान सपूत कहा. इस पर कांग्रेस पार्टी से जब प्रतिक्रिया मांगी गई तो सुरजेवाला ने कहा, 'एक अतिथि के रूप में प्रणव मुखर्जी जी ने कहा कि चर्चा की जानी चाहिए और हाइलाइट किया जाना चाहिए, अनचाही औपचारिकताएं नहीं होनी चाहिए.'
आपको बता दें कि प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत में हम अपनी ताकत सहिष्णुता से प्राप्त करते हैं और बहुलवाद का सम्मान करते हैं। हम अपनी विविधता का उत्सव मनाते हैं। उन्होंने प्राचीन भारत से लेकर देश के स्वतंत्रता आंदोलत तक के इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारा राष्ट्रवाद ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ तथा ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:..’ जैसे विचारों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रवाद में विभिन्न विचारों का सम्मिलन हुआ है। उन्होंने कहा कि घृणा और असहिष्णुता से हमारी राष्ट्रीयता कमजोर होती है।
(इनपुट भाषा से भी)