नजरबंद चल रही भारद्वाज ने हाथ से लिखकर एक बयान में शुक्रवार को प्रतिक्रिया दी कि पुणे पुलिस द्वारा दिखाया गया कथित पत्र ‘मनगढ़ंत’ है.
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नई दिल्ली : माओवादियों से कथित तौर पर संबंध होने के मामले में नजरबंद मानवाधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज ने ‘कॉमरेड प्रकाश’ को पत्र लिखने के महाराष्ट्र पुलिस के दावे को खारिज करते हुए कहा कि यह पत्र ‘पूर्ण रूप से मनगढ़ंत’ है और उन्हें तथा अन्य मानवाधिकार संगठनों को अपराधी बताने की साजिश है. पुलिस ने शुक्रवार को दावा किया था कि भारद्वाज ने किसी ‘कॉमरेड प्रकाश’ नाम के व्यक्ति को पत्र लिखा है.
इस पर नजरबंद चल रही भारद्वाज ने हाथ से लिखकर एक बयान में शुक्रवार को प्रतिक्रिया दी कि पुणे पुलिस द्वारा दिखाया गया कथित पत्र ‘मनगढ़ंत’ है. उन्होंने दावा किया कि मानवाधिकार वकीलों, कार्यकर्ताओं और संगठनों पर जानबूझकर लांछन लगाया जा रहा है, उनके काम में रूकावट डाली जा रही है और लोगों में ऐसे कार्यकर्ताओं के प्रति घृणा को भड़काया जा रहा है.
बयान में उन्होंने कहा है, 'यह पत्र पूर्णरूप से मनगढ़ंत है और मुझे और अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, संगठनों तथा वकीलों को अपराधी बताने के लिए ऐसा किया जा रहा है.' मानवाधिकार कार्यकर्ता-वकील ने कहा कि उन्हें पुणे ले जाने से पहले इस ‘मनगढ़ंत पत्र' को न तो पुणे की अदालत में दिखाया गया और न ही फरीदाबाद के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को दिखाया गया.
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शुक्रवार को मीडिया ब्रीफिंग में पुलिस ने जनवरी में हुई भीमा-कोरेगांव हिंसा के संबंध में जून में गिरफ्तार किये गये कुछ कार्यकर्ताओं से जुड़े जब्त किए गए पत्रों की जानकारियां जारी की थी. इस सप्ताह की शुरुआत में पुलिस ने पांच कार्यकर्ताओं के घरों पर छापा मारा था.