सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के न्यायाधीश (Judge) ने 14 साल की लड़की की तस्करी (Trafficking) की पीड़ा (Pain) को याद किया.
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नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के एक न्यायाधीश ने आलिया भट्ट अभिनीत (Starring Alia Bhatt) भंसाली प्रोडक्शंस (Bhansali Productions) की फिल्म 'गंगूबाई काठियावाड़ी' (Gangubai Kathiawadi) को रिलीज करने से मना करने की मांग वाली एक याचिका (Petition) की गुरुवार को सुनवाई (Hearing) के दौरान तस्करी (Trafficking), यौन उत्पीड़न (Sexual Harrasment) और चार वक्त का भोजन हासिल करने के लिए संघर्ष करने वाली 14 साल की लड़की की पीड़ा को याद किया.
वरिष्ठ अधिवक्ता सी.ए. सुंदरम ने इस मामले में प्रतिवादियों में से एक की ओर से पेश हुईं न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी ने कहा कि अनुमान है कि गंगूबाई को अपमानजनक (Offensive) तरीके से दिखाया गया है और याचिकाकर्ता (Petitioner) ने फिल्म देखी भी नहीं है. इस मामले में प्रतिवादी (Defendant) हैं : अभिनेत्री आलिया भट्ट (Actress Alia Bhatt), 'गंगूबाई काठियावाड़ी' के निर्माता और लेखक एस. हुसैन जैदी (Producer and Writer S. Hussain Zaidi) और जेन बोर्गेस (Jane Borges), जिन्होंने किताब लिखी है. सुंदरम ने दावा किया कि गंगूबाई का कोई झूठा प्रतिनिधित्व (Representation) नहीं है.
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इस मौके पर न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी ने कहा, 'यदि आप मुझसे व्यक्तिगत रूप से पूछें तो मेरे मन में उन महिलाओं के लिए पूरा सम्मान है जिन्हें जीवन के ऐसे हिस्से में धकेला जाता है.' उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल (West Bengal) में कानूनी सेवा प्राधिकरण (Legal Services Authority) का उन्होंने नेतृत्व किया था और वहां कानूनी सहायता समिति (Legal Aid Committee) की अध्यक्षता भी की थी. न्यायमूर्ति बनर्जी ने कहा, 'मुझे एक तस्करी वाली लड़की मिली और मेरे रोंगटे खड़े हो गए. 14 साल की बच्ची को 4 वक्त का खाना नहीं मिल रहा था. वह अपनी मौसी के साथ रह रही थी जो उसे खाना नहीं खिला सकती थी.'
उन्होंने आगे कहा कि बाद में चाची को नौकरी के लिए मुंबई (Mumbai) आने के लिए कहा गया और वह उसके साथ वहां चली गई और मुंबई में एक ही रात में कई पुरुषों द्वारा लड़की के साथ दुर्व्यवहार किया गया. 'हर कोई एक युवा लड़की चाहता था. कुछ उसके साथ असुरक्षित यौन संबंध (Unprotected Sex) बनाना चाहते थे. वह एक पत्रकार (Journalist) की मदद से भाग गई और फिर उसे एक एनजीओ (NGO) को सौंप दिया गया. उसे एचआईवी (HIV) भी हो गया.' उन्होंने आगे कहा, 'उसने मेरा हाथ पकड़ा और कहा कि मैं सिर्फ खाना चाहती हूं. मैंने क्या गलत किया है? यह लोगों की दुर्दशा है. मैं किसी को नीची नजर से नहीं देखती.'
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सुंदरम ने कहा कि अगर कोई इस तरह की कहानी दिखाता है तो यह समस्या कैसे हो सकती है. उन्होंने इन मुद्दों पर जागरूकता (Awareness) पैदा करने की जरूरत पर जोर दिया. इस पर जस्टिस बनर्जी ने कहा, 'लेकिन मैंने पीड़िता (Victim) का नाम या गांव का नाम नहीं बताया.' सुंदरम ने कहा कि इस फिल्म में एक महिला की कहानी है जो बाधाओं को पार करती है और यह एक प्रेरक कहानी (Inspirational Story) है और गंगूबाई की एक मूर्ति भी है. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता (Petitioner) को यह साबित करना होगा कि वह एक बेटे के रूप में महिला के चित्रण के कारण प्रभावित हुआ है. उन्होंने कहा, 'इस मामले में जो चीज पूरी तरह से गायब है वह प्रथम दृष्टया सबूत (Prima Facie Evidence) है कि वह एक दत्तक पुत्र (Adopted Son) है. राशन कार्ड (Ration Card) दिखाना पर्याप्त नहीं है.'
पीठ (Bench) ने याचिकाकर्ता से यह दिखाने को कहा कि उसे कब गोद (Adopt) लिया गया था और किस माध्यम से उसे गोद लिया गया था. याचिकाकर्ता के वकील (Advocate) ने कहा कि 1956 में महिलाओं द्वारा गोद लिए जाने की अनुमति नहीं थी और उन क्षेत्रों में ज्यादातर बच्चे अनाथ (Orphan) थे. वकील ने कहा, 'ये उन क्षेत्रों के रीति-रिवाज थे.' शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने विस्तृत दलीलें सुनने के बाद गंगूबाई के दत्तक पुत्र (Adopted Son) द्वारा दायर एक याचिका को खारिज (Dismissed) कर दिया जिसमें भंसाली प्रोडक्शंस के खिलाफ फिल्म रिलीज (Movie Release) करने पर रोक लगाने की मांग की गई थी. गंगूबाई के अडॉप्टेड पुत्र बाबूजी रावजी शाह ने वकील अरुण कुमार सिन्हा और राकेश सिंह के माध्यम से दायर अपील में दावा किया कि उपन्यास और फिल्म ने उनकी छवि खराब की.
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याचिका में कहा गया है, 'चूंकि उच्च न्यायालय (High Court) को पहली अपील को लंबित रखते हुए वर्तमान मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में प्रतिवादियों (Defendants) को छपाई, प्रचार, बिक्री, असाइनमेंट आदि से रोकने के लिए अस्थायी निषेधाज्ञा (Temporary Injunction) देनी चाहिए थी, अंग्रेजी उपन्यास 'माफिया क्वींस ऑफ मुंबई' या फिल्म, जिसका नाम 'गंगूबाई काठियावाड़ी' है, स्वाभाविक रूप से मानहानिकारक (Defamatory) हैं.' शीर्ष अदालत उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एक अपील पर सुनवाई कर रही थी. उसने आलिया भट्ट, निर्माता और लेखक जैदी और बोर्गेस के खिलाफ आपराधिक मानहानि शिकायत (Criminal Defamation Complaint) में मुंबई की एक अदालत द्वारा जारी समन पर रोक जारी रखी.
(इनपुट - आईएएनएस)
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