रेलवे अपनाने जा रहा है यह तरकीब, एक घंटे जल्दी पहुंचेंगे दिल्ली टू मुंबई
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रेलवे अपनाने जा रहा है यह तरकीब, एक घंटे जल्दी पहुंचेंगे दिल्ली टू मुंबई

यात्रा का समय कम करने के लिए अब रेलवे राजधानी ट्रेन में दो इंजन का इस्‍तेमाल करेगी. 

ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने लिए रेलवे ट्रेनों मे पीछे भी इंजन लगाने की तैयारी में है.

नई दिल्ली:  मुसाफिरों का समय बचाने के लिए रेलवे अब ट्रेन के आगे ही नहीं, पीछे भी इंजन लगाने की तैयारी में है. रेलवे ने अपनी इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए 'पुश एण्‍ड पुल' तकनीक तैयार की है. इस तकनीकि का पहला ट्रायल मुंबई के बांद्रा टर्मिनस से दिल्‍ली के हजरत निजामुद़दीन के बीच चलने वाली स्‍पेशल राजधानी ट्रेन में किया जाएगा. इसका फैसला हाल में सेंट्रल रेलवे के जनरल मैनेजर डीके शर्मा के नेतृत्‍व में गठित रेलवे की एक कमेटी ने लिया है.  उल्‍लेखनीय है कि इस तकनीक का सफल प्रयोग पूर्व में मालगाड़ियों में किया जा चुका है.

  1. दिल्‍ली से मुंबई के बीच चलने वाली स्‍पेशल राजधानी में होगा ट्रायल
  2. मालगाड़ी में  हो चुका है दो इंजन के प्रयोग का सफल परिक्षण
  3. परीक्षण सफल रहा तो मुसाफिरों का बचेगा एक घंटे से अधिक का समय 

बचेगा 30 से 60 मिनट का अतिरिक्‍त समय
रेलवे के वरिष्‍ठ अधिकारी के अनुसार मुंबई से दिल्‍ली के बीच का सफर तय करने में स्‍पेशल राजधानी मौजूदा राजधानी की तुलना में दो घंटे कम समय ले रही है. इस तकनीकि के लागू होने के बाद यात्रा समय में कितनी कटौती होगी, इसकी सही गणना ट्रायल शुरू होने के बाद ही पता चल सकेगा. हालांकि रेलवे सूत्रों का मानना है कि इस तकनीकि के लागू होने के बाद दिल्‍ली से मुंबई के बीच के सफर में लगने वाला समय आधे से एक घंटा और कम हो जाएगा.   

टेक्निकल अपग्रेडेशन की होगी जरूरत
रेलवे के अधिकारियों के अनुसार नई व्‍यवस्‍था को लागू करने से पहले कुछ टेक्नि‍कल अपग्रेडेशन की जरूरत होगी. जिसके तहत ट्रेन के इंजन का स्‍पीड और ब्रेकिंग के बीच बेहतर सामांजस्‍य बैठाया जा सके. मौजूदा तैयारियों के तहत ट्रेन के पिछले हिस्‍से में इस इंजन को जोड़ा जाएगा. जिसका परिचालन आगे की इंजन में मौजूद लोको पायलट करेगा.

नई व्‍यवस्‍था के ये हैं फायदे
रेलवे के अनुसार इस योजना के लागू होने से ट्रेन को प्‍लेटफार्म में लाने और हटाने के लिए बार बार इंजन बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी. अब इस काम को बिना किसी देरी के पूरा किया जा सकेगा. 
जहां भी 160 किमी की रफ़तार स्‍वीकृत है, वहां पर ट्रेन को इस रफ़तार पर सफलता पूर्वक दौडाया भी जा सकेगा. इसके अलावा, ट्रेन के ब्रेकिंग सिस्‍टम को अधिक पावरफुल बनाने में भी मदद मिलेगी.

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