वाईएसआर कांग्रेस के सांसद वाई वी सुब्बा रेड्डी ने लोकसभा सचिवालय को नोटिस दिया कि इस प्रस्ताव को सदन के शुक्रवार (16 मार्च) के कामकाज में शामिल किया जाए.
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नई दिल्ली: वाईएसआर कांग्रेस ने भाजपा नीत राजग सरकार के खिलाफ गुरुवार (15 मार्च) को अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया. यह कदम आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने से केंद्र के इंकार करने की पृष्ठभूमि में उठाया गया है. पार्टी के सांसद वाई वी सुब्बा रेड्डी ने लोकसभा सचिवालय को नोटिस दिया कि इस प्रस्ताव को सदन के शुक्रवार (16 मार्च) के कामकाज में शामिल किया जाए. यह जानकारी रेड्डी के कार्यालय ने दी. प्रस्ताव को तभी स्वीकार किया जा सकता है जब सदन में उसे कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन हासिल हो. वाईएसआर कांग्रेस के लोकसभा में 9 सदस्य हैं.
अगर इसे स्वीकार कर लिया जाता है तो यह मोदी सरकार के खिलाफ लाया जाने वाला पहला अविश्वास प्रस्ताव होगा. वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगन मोहन रेड्डी ने विभिन्न दलों के नेताओं को पत्र लिखकर प्रस्ताव के लिये समर्थन मांगा है. पत्र में उन्होंने कहा है कि अगर केंद्र राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने को लेकर अनिच्छुक रहता है तो उसके सभी सांसद छह अप्रैल को इस्तीफा दे देंगे.
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जहां सुब्बा रेड्डी के कार्यालय ने कहा कि नोटिस सदन के 16 मार्च के कामकाज में प्रस्ताव को शामिल करने के लिये दिया गया है, वहीं, वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि उनकी पार्टी 21 मार्च को प्रस्ताव पेश करेगी. संसद के अगले सप्ताह के एजेंडा पर शुक्रवार (16 मार्च) को फैसला होगा. विशेष राज्य के दर्जे के मुद्दे को विभिन्न दलों का समर्थन प्राप्त होने को देखते हुए तेदेपा के सांसद टी नरसिम्हम ने पीटीआई-भाषा से कहा कि उनकी पार्टी प्रस्ताव का समर्थन करेगी. वाईएसआर कांग्रेस राज्य में तेदेपा की मुख्य प्रतिद्वंद्वी है.
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तेदेपा करेगी वाईएसआर कांग्रेस का समर्थन
बाद में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने भी कहा कि तेदेपा आंध्र प्रदेश के हित में केंद्र में भाजपा नीत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेगी. नायडू ने आंध्र प्रदेश विधानसभा में कहा, ‘‘जो भी अविश्वास प्रस्ताव लाएगा हम उसका समर्थन करेंगे. हम उसके लिए तैयार रहेंगे और हमारे 16-17 सांसद उसका पूरी तरह समर्थन करेंगे. हम राज्य के अधिकारों के लिये जो भी लड़ेगा उसका समर्थन करेंगे.’’ 536 सदस्यीय लोकसभा में भाजपा के 274 सदस्य हैं, जबकि सहयोगी दलों के 56 सदस्य हैं. अगर अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार किया जाता है तो निश्चित तौर पर यह गिर जाएगा, लेकिन विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर आंध्र प्रदेश जैसे राज्य में भगवा दल को मुश्किल स्थिति में डाल देगा.
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आंध्र में 2019 में विधानसभा चुनाव
तेदेपा ने केंद्र सरकार से अपने मंत्रियों को हटा लिया जब केंद्र ने साफ कर दिया कि वह राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा नहीं दे सकता. राज्य में सत्तारूढ़ तेदेपा अब राजग छोड़ने पर विचार कर रही है. अगर अविश्वास प्रस्ताव को तेदेपा के 16 सदस्यों का भी समर्थन मिल जाता है तो भी राजग सरकार को संख्या बल के मामले में कोई परेशानी नहीं होने वाली है. वाईएसआर कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाकर राज्य में अपनी प्रतिद्वंद्वी तेदेपा को बचाव की मुद्रा में लाने की कोशिश कर रही है. राज्य में लोकसभा चुनावों के साथ अगले साल विधानसभा के चुनाव भी होने हैं.