छोटे उद्यमों के लिए नए समाधान पेश करें उद्योग समूह: PM
Advertisement
trendingNow182809

छोटे उद्यमों के लिए नए समाधान पेश करें उद्योग समूह: PM

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज उद्योग मंडलों और संघों से कहा कि वे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की समस्यायें दूर करने के लिये नये समाधान पेश करें और उनके लिये नीतिनिर्माण में सहयोग करें।

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज उद्योग मंडलों और संघों से कहा कि वे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की समस्यायें दूर करने के लिये नये समाधान पेश करें और उनके लिये नीतिनिर्माण में सहयोग करें। सिंह ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग क्षेत्र के निर्यात को प्रोत्साहित करने पर भी जोर दिया। प्रधानमंत्री आज यहां लघु उद्योगों के पुरस्कार समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि एमएसएमई क्षेत्र राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। सरकार की प्रयास तभी सफल हो सकते हैं जब इसमें निजी क्षेत्र और नागरिकों की भागीदारी हो। उन्होंने ने कहा, मैं भारत के उद्योग संघों और मंडलों से अपील करूंगा कि वे एमएसएई क्षेत्र के विकास के आड़े आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए नवीन विचार और समाधान लाएं और नीतिनिर्माण और कार्यान्वयन में रचनात्मक सहयोग दें।
प्रधानमंत्री ने कहा, वैश्वीकरण की प्रक्रिया से जो अवसर सामने आये उनका लाभ उठाने का कौशल, जोखिम क्षमता और संसाधन इस क्षेत्र के उद्यमों के एक हिस्से के पास ही है। हमें इन हालातों को बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि एमएसएमई क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद में आठ प्रतिशत का योगदान रखता है। विनिर्माण में 45 प्रतिशत और निर्यात में क्षेत्र का 43 प्रतिशत योगदान है। क्षेत्र में आठ करोड़ लोग काम करते हैं।
सिंह ने कहा कि सरकार का मानना है कि इस क्षेत्र की तीव्र वृद्धि भारत की तेज और समावेशी वृद्धि के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा, यह हमारे लिए संतोष का विषय है कि एमएसएमई क्षेत्र ने हाल के वर्षों में 10 प्रतिशत की अच्छी वृद्धि दर्ज की है। प्रधानमंत्री ने लघु क्षेत्र के उद्यमों और बैंकों को अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए 37 पुरस्कार दिये। मनमोहन ने कहा कि सरकार ने एमएसएमई क्षेत्र के तेज विकास के आड़े आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
उन्होंने कहा, एमएसएमई विकास अधिनियम 2006 में पारित हुआ था और यह इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम था। बाद में हमने राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्धा कार्यक्रम लागू करना शुरू किया जो इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने की रूपरेखा है। सरकार ने 2010 में गठित कार्यबल के महत्वपूर्ण सुझावों को भी लागू किया। इस कार्यबल को एमएसएमई क्षेत्र को मजबूत करने के सुझाव देने का जिम्मा सौंपा गया था।
सिंह ने कहा कि 2012 में घोषित सार्वजनिक खरीद नीति से सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों की बाजार पहुंच और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने में मदद मिलेगी। ऐसा सरकारी खरीद में इन उपक्रमों की हिस्सेदारी बढ़ाकर और बड़े उपक्रमों से ताल्लुक बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर किया जाएगा।
प्रधानमंत्री के रोजगार सृजन कार्यक्रम से दो लाख सूक्ष्म इकाईयों की स्थापना और 21 लाख लोगों को रोजगार के मौके प्रदान करने में मदद मिली। इस कार्यक्रम की शुरआत वर्ष 2008-09 में हुई। इस अवसर पर एमएसएमई मंत्री के एच मुनियप्पा ने कहा कि सरकार ने 12वीं योजना में इस क्षेत्र के लिए आवंटन बढ़ाकर 24,124 करोड़ रपए कर दिया जो पिछली योजनावधि में 11,500 करोड़ रपए रहा था।
मंत्री ने प्रधानमंत्री से अपील की कि वे खादी एवं ग्रामीण उद्योग को दिया गया 286.5 करोड़ रपए का रिण माफ कर दें। इस पहल से क्षेत्र के करीब 2,000 संस्थानों को रिण-मुक्त करने और 10 लाख बुनकरों और सूत कातने वालों को मदद मिलेगी। (एजेंसी)

Trending news