एक बार फिर विश्व विजेता बनेगी टीम इंडिया!
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एक बार फिर विश्व विजेता बनेगी टीम इंडिया!

क्रिकेट विश्व कप 2015 अब अंतिम चरण में पहुंच चुका है। क्रिकेट प्रेमियों की निगाहें अपने चहेते टीमों और खिलाड़ियों पर टिकी हैं। भारत जहां क्रिकेट खेल ही नहीं एक धर्म भी है, जो प्रत्येक भारतवासियों के नस-नस में बसता है। ऐसे में भारतीय क्रिकेट टीम के प्रदर्शन पर करोड़ों फैंस की नजरें जमी है। भारत सेमीफाइनल में पहुंच चुका है। जिसका मुकाबला ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम से है और यह टूर्नामेंट उसी के घरेलू मैदान में खेला जा रहा है। एक सवाल बार-बार मन में आता है। क्या धोनी की अगुवाई वाली यह टीम एक बार फिर विश्व विजेता बन पाएगी, लेकिन धोनी एंड कंपनी पर सुबहा करना नाइंसाफी होगी क्यों इस टीम ने इस विश्व कप में जो किया वह आज तक नहीं हो पाया था। टीम इंडिया अभी तक लगातार सभी सातों मैच जीत चुकी है। इसे साफ पता चलता है कि टीम इंडिया बल्लेबाजी, गेंदबाजी और फिल्डिंग में अन्य टीमों से बेहतर है।

एक बार फिर विश्व विजेता बनेगी टीम इंडिया!

क्रिकेट विश्व कप 2015 अब अंतिम चरण में पहुंच चुका है। क्रिकेट प्रेमियों की निगाहें अपने चहेते टीमों और खिलाड़ियों पर टिकी हैं। भारत जहां क्रिकेट खेल ही नहीं एक धर्म भी है, जो प्रत्येक भारतवासियों के नस-नस में बसता है। ऐसे में भारतीय क्रिकेट टीम के प्रदर्शन पर करोड़ों फैंस की नजरें जमी है। भारत सेमीफाइनल में पहुंच चुका है। जिसका मुकाबला ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम से है और यह टूर्नामेंट उसी के घरेलू मैदान में खेला जा रहा है। एक सवाल बार-बार मन में आता है। क्या धोनी की अगुवाई वाली यह टीम एक बार फिर विश्व विजेता बन पाएगी, लेकिन धोनी एंड कंपनी पर सुबहा करना नाइंसाफी होगी क्यों इस टीम ने इस विश्व कप में जो किया वह आज तक नहीं हो पाया था। टीम इंडिया अभी तक लगातार सभी सातों मैच जीत चुकी है। इसे साफ पता चलता है कि टीम इंडिया बल्लेबाजी, गेंदबाजी और फिल्डिंग में अन्य टीमों से बेहतर है।

बल्लेबाजी की बात की जाए तो भारतीय टीम दुनिया की शेष टीमों से कहीं आगे नजर आती है। भारतीय टीम ने 85वीं बार 300 से अधिक का स्कोर खड़ा करने का कारनामा किया। अंतर्राष्ट्रीय वनडे में सर्वाधिक बार 300 या उससे अधिक स्कोर खड़ा करने की उपलब्धि भारत के नाम है। साथ ही भारत के नाम 300 से अधिक के लक्ष्य का पीछा करते हुए सर्वाधिक बार जीत हासिल करने की उपलब्धि भी है। विश्वकप में पहली बार 400 से अधिक का स्कोर खड़ा करना का रिकॉर्ड भी भारत के ही नाम है। वनडे में सर्वाधिक बार 400 से अधिक स्कोर खड़ा करने के मामले में भारत, दक्षिण अफ्रीका के साथ संयुक्त रूप से शीर्ष पर है। दोनों ही टीमें 5-5 बार यह कारनामा कर चुकी हैं। जाहिर है बल्लेबाजी में टीम इंडिया के शेर सबसे आगे है, जो किसी भी परिस्थिति में टीम को मझधार से बाहर निकालने की क्षमता रखते हैं।

गेंदबादी की बात की जाए तो, यह भारत की सबसे कमजोर कड़ी मानी जा रही थी। खासकर तेज गेंदबाजी। लेकिन इस विश्व कप में मोहम्मद शमी, मोहित शर्मा और उमेश यादव टीम इंडिया की ओर से सुपरस्टार बनकर उभरे हैं। किसी का योगदान किसी से कम नहीं है। शमी, उमेश और मोहित की तिकड़ी अब तक अपनी लाइन और लेंथ पर नियंत्रण रखने में कामयाब हुए हैं। इसका फायदा इन तीनों को भी खूब हुआ है। विश्व कप से ठीक पहले खेली गई ट्राई सीरीज़ में इन तीनों का प्रदर्शन अच्छा नहीं था। स्पिन गेंदबाजी की बात करें तो रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा अभी विश्व के बेतरीन स्पिनरों में उनकी गिनती होती है। जो किसी भी टीम पर हावी होने का माद्दा रखते हैं। फिल्डिंग में सुरेश रैना, जडेजा, कोहली ने दूसरी टीमों को सकते में डाला है।
 
इतिहास की बात की जाए तो विश्व कप 2011 में धोनी की अगुवाई में टीम इंडिया ने श्रीलंका को फाइनल में 6 विकेट से हराकर दूसरी बार विश्व कप जीतने का इतिहास रचा था। 1983 में कपिलदेव की कप्तानी भारत लगातार दो बार विश्व कप जीत चुकी वेस्टइंडीज जैसी शानदार टीम को रौंदकर पहली बार विश्व विजेता बना था। 2006-07 के विश्व कप में राहुल द्रविड़ की कप्तानी में भारत अपने तीन लीग मैच हारकर विश्व कप से बाहर हो गया था। 2003 के वर्ल्ड कप में सौरभ गांगुली की कप्तानी में भारत फाइनल में पहुंचा लेकिन ऑस्ट्रेलिया से हारकर विश्व विजेता बनने से चुक गया था। 1999 विश्व कप में भारत सेमीफाइनल तक पहुंच नहीं पाया था। 1996 विश्व कप में मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में भारत सेमीफाइनल तक का रास्ता सफर किया, लेकिन श्रीलंका से हार कर बाहर हो गया। 1992 के विश्व कप में सेमीफाइनल में पहुंचने से चूक गया था। भारत 1987 विश्व कप में सेमीफाइनल तक पहुंचा था लेकन इंग्लैंड ने भारत से फाइनल में पहुंचने का मौका छीन लिया था।
 
विश्व कप के इतिहास में टीम इंडिया ने अब तक तीन बार फाइनल खेला है, जिसमें दो बार खिताब जीतने में भी कामयाब रही है। 1983 में पहली बार भारत ने कपिल देव की कप्तानी में वर्ल्ड कप जीता। 2003 में सौरव गांगुली की कप्तानी में भारत वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचा लेकिन वहां भारत ऑस्ट्रेलिया से हार गया। 2011 में धोनी की कप्तानी में फिर भारत विश्व कप का फाइनल खेला और चैंपियन बना। इतिहास को देखें तो जब भी टीम इंडिया किसी विश्व कप के फाइनल में पहुंची, उससे ठीक पहले की सीरीज में उसे शर्मानाक हार का सामना करना पड़ा है। इस बार भी विश्व कप से ठीक पहले टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के सामने बुरी तरह पिट चुकी थी। ऐसे में हम भारतवासी एक बार फिर विश्व विजेता बनने का सपना पाल ही सकते हैं।
 

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