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यरुशलम: वैसे तो कहा जा रहा है कि इजरायल और फिलिस्तीनियों (Israel-Palestine Conflict) के बीच ताजा खूनी संघर्ष पिछले हफ्ते शुरू हुआ. लेकिन सच तो ये है कि रमजान के आखिरी शुक्रवार को पूर्वी यरुशलम की अल अक्सा मस्जिद (Al-Aqsa Mosque) में फिलिस्तिनियों और इजरायल के सुरक्षाबलों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इसके बाद फिलिस्तीनी सेना ने इजरायल पर रॉकेट से हमले शुरू कर दिए, जिसके जवाब में इजरायल ने भी हवाई हमले किए.
फिलिस्तीन (Palestine) और इजरायल (Israel) के बीच विवाद एक हफ्ते या एक महीने पुराना नहीं है, बल्कि ये झगड़ा करीब-करीब 100 साल पुराना है और इस झगड़े की जड़ में है एक शहर और धर्म. आतंकवादी संगठन हमास (Hamas) के कब्जे वाले गाजा (Gaza) शहर में इजरायल ने एयर स्ट्राइक की. इजरायल और फिलिस्तीन के बीच पिछले कुछ दिनों से जो जंग चल रही है, उसका एक छोटा सा ट्रेलर है ये बर्बादी.
इससे कहीं ज्यादा बर्बादी और गम इजरायल और गाजा शहर में देखने को मिल रहा है. फिलिस्तीन और इजरायल के बीच दुश्मनी का इतिहास दशकों पुराना है. इस दुश्मनी की जड़ में यरुशलम शहर है.
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साल 1948 में इजरायल एक राष्ट्र के तौर पर स्थापित हुआ, लेकिन उसे मिडिल ईस्ट के इस्लामिक देशों ने कभी भी मान्यता नहीं दी. हालांकि काफी संघर्ष के बाद तय हुआ कि पश्चिमी यरुशलम के हिस्सों पर इजरायल का कब्जा होगा और पूर्वी यरुशलम के हिस्सों पर जॉर्डन का कब्जा होगा.
1967 में जब इजरायल ने सीरिया, जॉर्डन और फिलिस्तीनियों से युद्ध लड़ा तो उसने पूर्वी यरुशलम और वेस्ट बैंक पर भी कब्जा कर लिया. यानी ये दोनों इलाके जो जॉर्डन के पास थे, वो इजरायल ने उससे छीन लिए और तभी से इन इलाकों में इजरायल और फिलिस्तीनियों के बीच हिंसक टकराव होता आ रहा है.
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इजरायल दावा करता है कि पूरा यरुशलम उसकी राजधानी है जबकि फिलिस्तीनी पूर्वी यरुशलम को भविष्य के फिलिस्तीन राष्ट्र की राजधानी मानते हैं. पूर्वी यरुशलम को लेकर फिलिस्तीन और इजरायल एक-दूसरे से जंग लड़ते हैं. उसकी सबसे बड़ी वजह धार्मिक भी है. पूर्वी यरुशलम ईसाई, इस्लाम और यहूदी तीनों के लिए अहम है.
ईसाई धर्म के लोगों का जुड़ाव इस क्षेत्र से इसलिए है क्योंकि उनका मानना है कि ये वही जगह है जहां कलवारी की पहाड़ी पर ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था. उनका मकबरा Church Of The Holy Sepulchre (सेपल्का) के अंदर स्थित है और यह उनके पुनरुत्थान का स्थल भी था. इसलिए ईसाई इस जगह को मानते हैं.
मुसलमानों के लिए ये जगह इसलिए अहम है क्योंकि Dome of Rock और अल-अक्सा मस्जिद यहीं पर स्थित है. ये मस्जिद मक्का और मदीना के बाद इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है.
और यहूदी यरुशलम को इसलिए अपना बताते हैं क्योंकि उनका मानना है कि यही वो जगह है जहां आधारशिला रख पूरी दुनिया का निर्माण किया गया था. यहूदियों वाले हिस्से में कोटेल या Western Wall है, ये दीवार पवित्र मंदिर का अवशेष है.
यानी यरुशलम ईसाई, इस्लाम और यहूदी तीनों धर्मों के केंद्र में है और सारे विवाद भी यहीं से शुरू होते हैं. ताजा विवाद में पूर्वी यरुशलम में यहूदी फिलिस्तीनियों को उनके घर छोड़ने की धमकी दे रहे हैं और वो उन्हें अल अक्सा मस्जिद में जाने से भी रोकते हैं. क्योंकि उनका कहना है कि ये जगह Western Wall की है. यानी उनकी धार्मिक भावनाओं से जुड़ी है.
शुक्रवार रात को रमजान के आखिरी जुम्मे के मौके पर हजारों लोग अल अक्सा मस्जिद पर जमा हुए, जिसके बाद हिंसा शुरू हुई. वैसे तो हर साल रमजान के महीने में यहां पर हिंसा होती है, लेकिन इस बार इजरायल के दुश्मन आतंकी संगठन हमास ने इजरायल पर रॉकेट हमला करके हालात युद्ध जैसे कर दिए.
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