भारत-पाक वार्ता में कश्मीर की अनदेखी नहीं की जा सकती: जर्मनी
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भारत-पाक वार्ता में कश्मीर की अनदेखी नहीं की जा सकती: जर्मनी

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की वार्ता के रद्द होने के बाद जर्मनी ने सोमवार को कहा कि कश्मीर जैसे ‘गहन मुद्दों’ को भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत का हिस्सा होना चाहिए तथा बातचीत ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है। जर्मन विदेश मंत्री फ्रैंक-वाल्टर स्टेनमेयर ने यहां पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज के साथ साझा संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘कश्मीर जैसे गहन मुद्दे हैं जिनकी बातचीत में अनदेखी नहीं की जा सकती।’ 

भारत-पाक वार्ता में कश्मीर की अनदेखी नहीं की जा सकती: जर्मनी

इस्लामाबाद: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की वार्ता के रद्द होने के बाद जर्मनी ने सोमवार को कहा कि कश्मीर जैसे ‘गहन मुद्दों’ को भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत का हिस्सा होना चाहिए तथा बातचीत ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है। जर्मन विदेश मंत्री फ्रैंक-वाल्टर स्टेनमेयर ने यहां पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज के साथ साझा संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘कश्मीर जैसे गहन मुद्दे हैं जिनकी बातचीत में अनदेखी नहीं की जा सकती।’ 

जर्मनी के सांसदों के एक शिष्टमंडल का नेतृत्व करते हुए रविवार रात अफगानिस्तान से पाकिस्तान पहुंचे स्टेनमेयर ने कहा कि दक्षिण एशिया के इन दो पड़ोसी देशों के बीच बातचीत ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है। उनसे भारत और पाकिस्तान के बीच एनएसए स्तर की बातचीत के रद्द होने के बाद तनाव बढ़ने के बारे में सवाल पूछा गया था। 

दोनों देशों के बीच 23 अगस्त को एनएसए स्तर की बातचीत प्रस्तावित थी। भारत ने स्पष्ट कर दिया था कि कश्मीर मुद्दे पर चर्चा और अलगाववादी नेताओं के साथ मुलाकात को स्वीकार नहीं किया जाएगा। इसके बाद बातचीत रद्द हुई। जर्मन विदेश मंत्री ने पाकिस्तान से यह भी कहा कि वह आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई तेज करे और बिना किसी भेदभाव के उनको निशाना बनाये। 

स्टेनमेयर ने कहा, ‘दोनों पड़ोसी देशों अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच निकट सहयोग शांति एवं स्थिरता के लिए अनिवार्य शर्त होनी चाहिए। आतंकवाद सीमाओं पर नहीं रूकता है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई कानून और मानवाधिकार के अनुसार चलनी चाहिए।’ 

पाकिस्तान और जर्मनी के बीच निकट सहयोग के बारे में विदेश मंत्री ने कहा कि जर्मनी पाकिस्तान के उर्जा क्षेत्र में सक्रिय है तथा उसके यहां मुफ्त में शिक्षा देने वाले प्रमुख विश्वविद्यालय पाकिस्तानी छात्रों के लिए लोकप्रिय गंतव्य बने हुए हैं। जर्मन विदेश मंत्री ने मौत की सजा के प्रावधान का विरोध किया और पाकिस्तान से आग्रह किया कि वह फिर से मौत की सजा के तामील पर रोक लगाए।

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