Mumbai Update:संजय की दीदा-दिलेरी, 'धृतराष्ट्र' को पड़ेगी भारी

संजय राउत अजीबोगरीब दलील देते हैं. अपने ही कहे हुए शब्दों को तोड़ मरोड़ कर दुबारा उसकी नई व्याख्या करते हैं. कितने विचित्र होते हैं संजय के आख्यान आइए देखते हैं-  

Written by - Anshuman Anand | Last Updated : Sep 9, 2020, 09:01 AM IST
    • संजय राउत की बर्बाद जुबान
    • जब खुलती है तो होता है बवाल
    • क्या है इस कैंची की तरह चलती ज़ुबान का इलाज़?
Mumbai Update:संजय की दीदा-दिलेरी, 'धृतराष्ट्र' को पड़ेगी भारी

मुंबई: संजय भाऊ का नया जुबानी फायर तो आप सुन ही चुके होंगे. उन्हें लगता है कि 'हरामखोर' का मतलब है नॉटी यानी शरारती. ये वही संजय राउत हैं. जिन्होंने एक बार चिकन और अंडे को वेजीटेरियन खाना करार दिया था. वो भी उच्च सदन में.

अपनी सुविधा के हिसाब से अपनी परिभाषाएं गणना कोई संजय भाऊ से सीखे.

जैसे गंदी गाली हो मामूली सी बात 
महाराष्ट्र की राजनीति को अपने वाक्चातुर्य से संभालने वाले संजय राउत ने कमाल ही कर दिया एक गाली को एक मामूली शब्द बता दिया. उन्होंने कंगना राणावत को हरामखोर कहा. जो कि एक बहुत घटिया शब्द है.  लेकिन संजय भाऊ तो संजय भाऊ ठहरे.
उन्होंने हरामखोर की व्याख्या नॉटी के रूप में कर दी नॉटी यानी शरारती.  अब संजय भाई यह तो नहीं बता पाएंगे कि एक हरामखोर और एक नॉटी एक कैसे हो सकते हैं. 

फिसलती रहती है संजय राउत की जुबान
सुशांत सिंह राजपूत के मामले में उल्टी सीधी बयानबाजी करके संजय राउत अपनी लगातार भद् पिट्वा रहे हैं. ऐसे ही महाराष्ट्र में चुनाव के बाद भी संजय रावत ने बहुत घमासान मचाया था.  जुबान कैंची की तरह चल रही थी महाराष्ट्र में एक साथ चुनाव लड़ने के बाद शिवसेना ने भाजपा का दामन छोड़ दिया था. इसी दौर में संजय राउत ज्यादा चर्चा में आए. 
संजय भाऊ के अजीबोगरीब बयानों की बानगी नीचे है. 
संजय राउत ने अगस्त की शुरुआत में शिवसेना के मुखपत्र सामना में एक लेख लिखकर सुशांत के पिता पर दो शादी करने का झूठा आरोप लगाया था. जिसके खिलाफ सुशांत के चचेरे भाई ने मानहानि का मुकदमा दर्ज कराने की धमकी दी थी. 

-संजय राउत ने जनवरी 2020 के मध्य में आरोप लगाया था कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के संबंध मुंबई के खतरनाक माफिया सरगनाओं से थे. वह उनके मुलाकात करती थीं. संजय राउत के इस बयान से कांग्रेस बेहद नाराज हुई थी. तब महराष्ट्र की गठबंधन से बनी उद्धव सरकार की कुर्सी खतरे में पड़ने लगी थी. 
- संजय राउत ने कई बार उद्धव ठाकरे की सरकार के लिए मुश्किलें खडी की हैं. उन्होंने एक बार सावरकर के बहाने कांग्रेस पर तीखा वार किया था. उस समय भी गठबंधन सरकार में आरोपों और आलोचनाओं का बाजार गर्म हो गया था. 

- संजय राउत अपने भाई को उद्धव सरकार में मंत्री नहीं बनाए जाने की वजह से इतने नाराज हो गए कि वह अपनी ही पार्टी की सरकार के शपथग्रहण समारोह में शामिल ही नहीं हुए. 
- संजय राउत की महत्वकांक्षा हमेशा खबरों में बने रहने की होती है. वह खुद को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर देखते हैं. महाराष्ट्र में जब मुख्यमंत्रियों के नाम पर विचार चल रहा था. तो संजय भाऊ ने सूत्रों के जरिए अपना भी नाम उछलवाया था.


लेकिन संजय राउत इस बार जो गलती कर रहे हैं. वह उन्हें बेहद भारी पड़ने वाली है. क्योंकि उन्होंनें कंगना रनौत जैसी बागी तेवरों वाली लड़की से जंग छेड़ दी है. संजय रावत की जुबान किसी दिन उन्हें हमेशा के लिए ले डूबेगी और साथ में महाराष्ट्र की अघाड़ी सरकार को भी.  उद्धव ठाकरे सावधान हो जाइए यह संजय राउत ही भस्मासुर हैं. जो खुद को भी और दूसरों को भी भस्म कर सकते हैं. 

 

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