संजय राउत गा रहे हैं - हम रह गए अकेले

उद्धव का किंग मेकर अपना दुःख किसे बताये..  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 2, 2020, 06:44 PM IST
    • सोनिया समक्ष उद्धव का पराभव है कारण
    • संजय के भाई को नहीं लिया मंत्रमंडल में
    • संजय राउत शपथ ग्रहण में शामिल नहीं हुए
    • शरद पवार ने भी छोड़ दिया साथ
संजय राउत गा रहे हैं - हम रह गए अकेले

मुंबई. एक वो दिन था जब उद्धव महाराष्ट्र में सरकार बनाने को उद्धत हुए जा रहे थे, उस समय संजय राउत ने उनको धीरज दे कर जल्दबाज़ी में काम लेने से रोका था. देवेंद्र फडणवीस का मामला बिगाड़ कर उद्धव के सर पर महा-ताज धरने वाले संजय राउत आज गा रहे हैं दुःख भरे गीत..

संजय के भाई को नहीं लिया मंत्रमंडल में 

संजय राउत तो खैर किंग मेकर हैं, उनके लिए क्या कहा जाए पर उनके भाई को मंत्री बनाने की बात तो समझ आती है. राजा बन कर मंत्री नहीं बनाया अपने मार्गदर्शक के भाई को तो इसे अहसान-फरामोशी की कांग्रेसी संस्कृति कहें या नए उद्धव की राज-नीति..

संजय राउत शपथ ग्रहण में शामिल नहीं हुए

अब वे शपथ ग्रहण समारोह में शामिल न भी हों, तो क्या फर्क पड़ता है किसी को. उद्धव ने तो सरकार बना ली और बन गाये राजा. हाँ संजय राउत के गम में या अपने गम में कई दूसरे वरिष्ठ नेता भी नहीं पहुंचे राज-समारोह में. 

एनसीपी में भी कुछ लोग गमगीन हैं 

पवार की पार्टी में भी सबको मलाई नहीं मिली. दुखी होना तो बनता है. एनसीपी के प्रकाश सोलंके को तो मंत्री ना बनाये जाने का इतना दुःख हुआ कि उन्होंने विधानसभा से ही इस्तीफा दे दिया. 

शरद पवार ने भी किनार कर लिया 

जिन शरद पवार के लिए संजय राउत कहा करते थे कि वे "बड़े नेता" हैं, उन्होंने भी संजय को धता बता दी. अब जब संजय राउत के मुंह पर चुप्पी का टेप लगा दिया गया है वे प्रदेश की सत्ता के शिखर पर बैठे नेताओं को कुछ भी नहीं कह पा रहे हैं. कहाँ तो वे एक समय मोदी, शाह, फडणवीस और भाजपा को अपशब्द कहने में गुरेज नहीं करते थे. 

शिव सेना पर बन गये हैं बोझ-टाइप 

संजय राउत को लग रहा है उन्हें पार्टी पर बोझ जैसा महसूस कराया जा रहा है. वे भीड़ में अकेले रह गये हैं.  और शायद उनको याद आ रहा होगा कि उन्होंने एक दिन पीएममोदी को अहंकारी कहा था, आज उनका अहंकार पददलित हो गया है.

गुमनामी चाचा बने हुए हैं संजय राउत 

दो हफ्ते से ज्यादा दिन हो गाये, संजय राउत गुम-गीन भी हैं और गम-गीन भी. वजह ये है कि उनसे एक भूल हो गई थी कि उन्होंने राहुल गाँधी को सावरकर पर पलट के वार कर दिया था. वो भूल गाये कि उद्धव ने 'राज'-परिवार ज्वाइन कर लिया है. युवराज हैं राहुल, चाय बेच कर मोदी की तरह सबसे ऊपर नहीं आये हैं.

सोनिया समक्ष उद्धव का पराभव 

कांग्रेस की मालकिन ने उद्धव को निर्देश दिया तो वह भी आज उद्धव के लिए आदेश से बढ़ कर सिद्ध हुआ है. माता ने कहा कि मेरे पुत्र के सामने ऊंची आवाज़ में बोलने वाले तोते का मुँह बंद करो. लो जी हो गया संजय राउत का मुँह बंद.

भाजपा को ठुकराने वाले नेता कहाँ हैं आज

संजय राउत जैसी समझदारी पहले भी नेताओं ने दिखाई है.मगर सिदधू, शत्रुघ्न सिन्हा, कीर्ति आज़ाद जैसे तीरंदाज़ आज कहाँ हैं. क्या उद्धव भी आगे इस सूची में शामिल होंगे- ये समय बताएगा. 

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