MNC की नौकरी छोड़ गांव में शुरू की नींबू की खेती, आज सैलरी से ज्यादा हो रही कमाई
आनंद ने बीबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी किया. साल 2002 में बड़ी फर्नीचर की कंपनी में जॉब की. 6 लाख रुपये की सैलरी पैकेज की नौकरी के बाद भी उन्होंने गांव में नींबू खेती करने का फैसला किया और आज 9 लाख रुपये कमा रहे हैं.
Lemon Cultivation: वो दिन लद गए जब खेती-बाड़ी को लोग छोटा काम समझते थे. लोगों की नजर में खेती करना गांव के लोगों को काम है, लेकिन अब चीजें बदल गई है. लोग मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़कर खेती-बाड़ी कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश के रायबरेली के रहने वाले आनंद मिश्रा लाखों की सैलरी वाली नौकरी छोड़कर अपने गांव में बागवानी कर रहे हैं. आज नींबू से उनकी कमाई इतनी हो रही है कि लोगों ने उन्हें 'लैमन मैन' का नाम दे दिया.
नींबू की खेती
आनंद ने बीबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी किया. साल 2002 में वो एक बड़ी फर्नीचर की कंपनी में जॉब करते थे. 6 लाख रुपये की सैलरी पैकेज के साथ लगभग सारी जरूरतें पूरी हो जाती थी, लेकिन उनका मन नहीं रह रहा था. छुट्टियों में गांव आए तो उन्होंने खेती करने का फैसला किया. रायबरेली जनपद मुख्यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर कचनावा गांव के रहने वाले आनंद ने साल 2016 में नौकरी छोड़ दी और खेती करने का फैसला किया. खेती के लिए धान-गेहूं के बजाए उन्होंने नींबू तो चुना.
नींबू की खेती से मोटी कमाई
आनंद ने खेती से लिए नींबू चुना, क्योंकि इसमें लागत और मेहनत दोनों कम है. एक बार पेड़ लगाने के बाद 25 -30 सालों तक नींबू लगते रहते हैं. इसमें बहुत मेहनत भी नहीं लगती है और पेड़ भी आसानी से लग जाते हैं. नींबू की बागवानी में दूसरे खर्च भी काफी कम होते हैं जिससे मुनाफा बढ़ जाता है. नींबू की डिमांड साल भर रहती है, इसलिए उन्होंने इसी की खेती का फैसला किया. दो एकड़ खेत में 400 से ज्यादा नींबू के पेड़ लगाए. उनके खेत में नींबू के सात तरह की वैराइटी है. उनके खेतों में सीडलेस थाई नींबू, एनआरसीसी-8, प्रामालिनी और कागजी जैसी नींबू की कई वैराइटी लगी है.
4 से 5 सालों के बाद ही पौधे में फल लगने लगे. साल में दो बार पेड़ों पर नीबूं लगते हैं. एक पेड़ से उन्हें 4000 रुपये तक की कमाई हो जाती है. हर साल वो नींबू के फसलों से 9 लाख रुपये तक की शुद्ध कमाई कर लेते हैं. आनंद दूसरों किसानों को भी नींबू की खेती के लिए प्रेरित करते हैं. बाकी फसलों की तरह किसानों को नींबू के लिए बाजार ढूंढने की भी जरूरत होती है, आसानी से खुदरा और थोक बाजार में खरीदार मिल जाते हैं.