भाद्रपद माह की पूर्णिमा से अश्विन माह की अमावस्या के 16 दिन तक पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म और तर्पण आदि किए जाते हैं. बता दें कि इस बार 29 सितंबर शुक्रवार के दिन से पितृ पक्ष की शुरुआत हो रही है. इस दौरान 4 जीवों का विशेष महत्व बताया गया है. पितृ पक्ष में पितरों के तर्पण, श्राद्ध और पिंड़दान आदि कर्म किए जाते हैं और नाराज पितरों को प्रसन्न किया जाता है. ऐसे में अगर ये 4 जीव आपके हाथ से खाना खा लेते हैं, तो समझ लें कि पितरों के आशीर्वाद से आपकी किस्मत चमकने वाली है.
पितृ पक्ष में कौआ का महत्व और अधिक बढ़ जाती है. इस दौरान कौए की प्रतीक्षा उन सभी लोगों को होती है, जो पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म करते हैं. मान्यता है कि कौआ पितरों से जुड़े संकेत लाता है. पितरों के लिए निकाला गया भोजन का कुछ अंश अगर कौआ खा लेता है तो समझ लें वे भोजन आपके पितरों को प्राप्त हो गया है. इससे वे प्रसन्न और तृप्त हो जाते हैं. साथ ही, वंशजों को खुशहाली, उन्नति, वंश और धन में वृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
हिंदू धर्म में गाय को पवित्र और पूजनीय माना गया है. कहते हैं कि गाय में देवों का वास होता है. पितृ पक्ष के दौरान आप गाय के लिए भोजन निकालते हैं और वे उसे खा लेती है, तो वह पितरों को प्राप्त होती है. ऐसे में ये पितरों के प्रसन्न होने की ओर इशारा करता है.
पितृ पक्ष में पितरों की मृत्यु तिथि वाले दिन श्राद्ध किया जाता है. इस दौरान पितरों के खाने का कुछ अंश कुत्ते के लिए भी निकाला जाता है. अगर कुत्ता उस भोजन का खाल लेता है, तो वे सीधा पितरों को प्राप्त होता है, जिसे पाकर पितर तृप्त हो जाते हैं और वंश को खुशहाली का आशीर्वाद देते हैं.
पितृ पक्ष में पितरों को याद कर उनके निमित्त तर्पण और श्राद्ध कर्म आदि किया जाता है. इस दौरान भोजन का एक हिस्सा चीटियों के लिए भी निकाला जाता है. ताकि वे उसे का सके. चीटियों के माध्यम से ये भोजन पितर प्राप्त करते हैं और तृप्त हो जाते हैं. अगर ये जीव आपके द्वारा दिए गए भोजन को नहीं खाते तो ये पितरों के अतृप्त होने की ओर इशारा करता है.
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