पटना: मिथिलांचल के लोग अब गूगल पर भी अपनी भाषा में गीता पढ़ और देख सकेंगे. ऑनलाइन 'श्रीमद्भागवत गीता' का मैथिली में अनुवाद अमेरिका के टेक्सास शहर में रहने वाली काजल कर्ण ने किया है. गीता का यूं तो कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है, लेकिन अमेरिका में पहली बार किसी धार्मिक ग्रंथ का मैथिली भाषा में अनुवाद हुआ है. मैथिली 'श्रीमद्भागवत गीता' आम लोगों के लिए अमेजन पर उपलब्ध है. इस पुस्तक को अमेजन पर साढ़े चार रेटिंग मिली है. 'श्रीमद्भागवत गीता' का मैथिली में अनुवाद करने वाली काजल कर्ण जनकपुर (नेपाल) की रहने वाली हैं और पटना में उनका ननिहाल है.


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काजल अमेरिका में अपने पति के साथ 'मैथिली दिवा' के नाम से एक संस्था चलाती हैं
काजल अमेरिका में अपने पति के साथ 'मैथिली दिवा' के नाम से एक संस्था चलाती हैं. उन्होंने फोन पर कहा कि आज भले ही वह अपने क्षेत्र से बहुत दूर, सात समुद्र पार हैं, फिर भी वह मिथिला की संस्कृति को नहीं भूली हैं. वह मिथिला की कला-संस्कृति और मैथिली भाषा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ाने में लगी हुई हैं. 


यह पूछने पर कि धार्मिक ग्रंथ गीता का मैथिली भाषा में अनुवाद करने का विचार मन में कैसे आया, उन्होंने कहा कि एक दिन कई दोस्तों की मदद से उन्होंने इंटरनेट के गूगल सर्च पर मैथिली भाषा में गीता की तलाश की, लेकिन सफलता नहीं मिली.  इसके बाद उन्होंने मैथिली भाषा में गीता का अनुवाद करना ठान लिया. काजल ने फरवरी में अनुवाद का काम शुरू किया और जून में यह काम पूरा हो गया.  उन्होंने कहा, "मैथिली में श्रीमद्भगवत गीता पहली बार आई है. 



पुस्तक के कई पन्नों पर मिथिला पेंटिंग शैली में चित्र भी हैं
इससे पहले हिंदी, सहित कई भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका है.  इस पुस्तक में मिथिला की संस्कृति को भी उकेरा गया है.  पुस्तक के कई पन्नों पर मिथिला पेंटिंग शैली में चित्र भी हैं. " उन्होंने कहा, "पुस्तक के कवर पेज पर कुरुक्षेत्र का चित्रण किया गया है, वह भी मिथिला शैली में ही है.  पहले पन्ने पर मिथिला की लोककला का रंग देखने को मिलता है.  


काजल कर्ण की दिलचस्पी गीत और नृत्य में भी है
इसमें महाभारत के छह प्रसंगों को मिथिला पेंटिंग के जरिए भी बताया गया है.  पहले चित्र में भगवान कृष्ण, अर्जुन को उपदेश दे रहे हैं. " काजल कर्ण की दिलचस्पी गीत और नृत्य में भी है. उनके गीत और वीडियो यूट्यूब पर भी लोकप्रिय हैं. 'श्रीमद्भागवत गीता' का मैथिली संस्करण लाने पर काजल की सराहना हो रही है. 


साहित्य अकादमी का बाल साहित्य पुरस्कार प्राप्त और साहित्य अकादमी के मैथिली भाषा परामर्श मंडल के सदस्य डॉ़ अमलेंदु शेखर पाठक कहते हैं, "गीता का मैथिली में अनुवाद पहले भी हो चुका है. मैथिली के प्रख्यात साहित्यकार उपेंद्रनाथ झा 'व्यास' ने दशकों पूर्व इसका अनुवाद किया था. कई और लोगों ने भी किया है. बावजूद इसके काजल का काम महत्वपूर्ण और उत्साहवर्धक है. " 


उन्होंने कहा, "सर्वाधिक महत्व इस बात को लेकर है कि अब यह गूगल पर उपलब्ध है. इससे मैथिली का और ज्यादा क्षेत्र-विस्तार होगा.  आज कई भारतीय भाषा-संस्कृति के लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि उनके युवा अपनी भाषा व कला-संस्कृति से दूर हो रहे हैं.


मैथिल युवा अपनी माटी की सोंधी खुशबू, अपनी सांस्कृतिक विरासत, अपनी भाषा को संजो रहे हैं
ऐसे समय में अपनी मातृभूमि व मातृभाषा से दूर पाश्चात्य संस्कृति के बीच भी मैथिल युवा अपनी माटी की सोंधी खुशबू, अपनी सांस्कृतिक विरासत, अपनी कला, अपनी भाषा को न सिर्फ संजो रहे हैं, बल्कि इसकी खुशबू भी फैला रहे हैं.  यह अन्य युवाओं को भी प्रेरित-प्रोत्साहित करेगा."


मैथिली के वरिष्ठ साहित्यकार और नाटककार अरविंद कुमार अक्कू भी सात समंदर पार इस धार्मिक ग्रंथ के मैथिली भाषा में हुए अनुवाद पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहते हैं कि यह मैथिली का विस्तार है. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि मैथिली भाषा में गीता का अनुवाद पहली बार हुआ है, लेकिन पहले वाली कृति सोशल साइटों, वेबसाइटों पर उपलब्ध नहीं थी. उन्होंने कहा कि इंटरनेट पर उपलब्ध होने से युवा पीढ़ी भी इससे लाभान्वित होंगे. 


इनपुट आईएएनएस से भी