Work From Home नहीं Office से काम करना चाहते हैं 72% भारतीय, Hybrid कल्चर की बढ़ रही मांग
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Work From Home नहीं Office से काम करना चाहते हैं 72% भारतीय, Hybrid कल्चर की बढ़ रही मांग

Linkedin के इस सर्वे में कहा गया है कि कर्मचारियों को ये महसूस हो रहा है कि Work from Home से उनके करियर पर Negative असर पड़ रहा है. सर्वे में शामिल 71% लोगों को लगता है कि घर के बजाए ऑफिस में काम करने से उन्हें उनके बॉस और सीनियर्स से ज्यादा फायदा मिलेगा. 

Work From Home नहीं Office से काम करना चाहते हैं 72% भारतीय, Hybrid कल्चर की बढ़ रही मांग

नई दिल्ली: Work From Home Survey: कोरोना महामारी (Coronavirus Pandemic) की वजह से शुरू हुए Work From Home कल्चर से अब डेढ़ साल के बाद भारतीय ऊबने लगे हैं. अब वो घर से नहीं बल्कि ऑफिस जाकर काम करना चाहते हैं. इसे लेकर अमेरिकी Business and Employment Oriented Online Service कंपनी Linkedin ने एक सर्वे किया है. 

  1. Work From Home पर Linkedin ने एक सर्वे किया है.
  2. 72% लोग ऑफिस से काम करना ज्यादा बेहतर मानते हैं.
  3. 1000 से ज्यादा लोगों पर किया गया सर्वे

72% लोग ऑफिस से काम करना चाहते हैं

Linkedin की ओर से किए गए सर्वे में अलग अलग सेक्टर की की कंपनियों के बीच कराए गए सर्वे में ये बात निकलकर सामने आई कि 72 परसेंट लोग Work From Home की जगह ऑफिस से काम करना ज्यादा बेहतर मानते हैं. इस सर्वे में एक हजार से ज्यादा कर्मचारियों ने हिस्सा लिया. 

'करियर पर निगेटिव असर पड़ रहा है'

Linkedin के इस सर्वे में कहा गया है कि कर्मचारियों को ये महसूस हो रहा है कि Work from Home से उनके करियर पर Negative असर पड़ रहा है. सर्वे में शामिल 71% लोगों को लगता है कि घर के बजाए ऑफिस में काम करने से उन्हें उनके बॉस और सीनियर्स से ज्यादा फायदा मिलेगा. इसी तरह 72% लोगों को लगता है कि ऑफिस में जाकर काम करने से वो ऑफिस में होने वाले मजेदार पलों में भी शामिल हो सकते हैं.जो कि घर से काम करने पर वो मिस कर रहे हैं.

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'बॉस से मिलना नहीं हो पाता'

नोएडा में रहने वाले रविकांत बरुआ जो एक मल्टीनेशनल कंपनी (MNC) में काम करते हैं. कोरोना की पहली लहर के बाद से ही वो वर्क फ्रॉम कर रहे हैं. रवि के मुताबिक सर्वे के नतीजों से वो पूरी तरह सहमत हैं क्योंकि जब कोई व्यक्ति रोज ऑफिस जाता है तो रोजाना अपने बॉस से भी मिलता है, बातचीत करता है, जिससे ना सिर्फ वो व्यक्ति बॉस की गुड बुक्स में आ सकता है बल्कि उसे प्रमोशन से लेकर सैलरी बढ़ने तक के फायदे मिलने की संभावना बढ़ जाती है, क्योंकि आप रोजाना अपने बॉस के टच में रहते हैं. वर्क फ्रॉम होम की वजह से मिलना जुलना कम होता है, होता भी है तो ऑनलाइन माध्यम से, जिससे उतना प्रभाव नहीं पड़ पाता है.

'साथियों से नई चीजें नहीं सीख पाते'

इसी सर्वे में शामिल 55% कर्मचारियों को लगता है ऑफिस में साथियों के साथ काम करने से वो साथियों से नई नई चीजें सीख सकतें हैं जो कि प्रोफेशनली उन्हें फायदा पहुंचा सकती हैं, लेकिन यह सभी चीजें घर से काम करने पर बिल्कुल भी सम्भव नहीं हैं क्योंकि साथियों से भी रोज मुलाकात बन्द हो जाती है.

'वर्क फ्रॉम होम से काम भी बढ़ गया'

सर्वे में बताया गया कि 35% कर्मचारियों का कहना था कि घर से काम करने की वजह से उनका काम भी बढ़ गया है, और उन्हें शिफ्ट टाइम से ज्यादा काम करना पड़ता है. वही 89% कर्मचारियों का मानना था कि घर के बजाए ऑफिस से काम करने पर अगर वो शिफ्ट टाइम से ज्यादा काम करेंगे उन्हें अतिरिक्त बोनस भी मिलेगा. वहीं 34% कर्मचारियों ने बताया की घर से काम करने पर उन्हें तनाव जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है.

'घर और ऑफिस के बीच बैलेंस नहीं बन रहा'

दिल्ली की डिफेंस कॉलोनी में रहने वाले आयुष कोरोना से पहले जिस मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते थे, वहां ना सिर्फ रोज दफ्तर जाते थे बल्कि हर महीने उन्हें टूर पर भी भेजा जाता था. टूर की वजह से वो सैकड़ों लोगों से भी मिलते थे और बातचीत करते थे, लेकिन देश मे लगे पहले लॉकडाउन के बाद से वो घर से ही काम कर रहें हैं. घर से काम करने की वजह से उन्हें तनाव और लोगों से बात करने में एक हड़बड़ी जैसी समस्या आने लगी है. आयुष बताते हैं कि उनकी कंपनी उनका और साथ साथ सभी कर्मचारियों का पूरा ध्यान रखती है, लेकिन फिर भी घर से काम करना इतना चैलेंजिंग हो गया है कि पर्सनल लाइफ और प्रोफेशनल लाइफ का बैलेंस नहीं बन पा रहा.

हाइब्रिड कल्चर की वकालत

भारत मे किए गए इस सर्वे में शामिल 86% लोगों ने Hybrid Work कल्चर की वकालत की है. 86% कर्मचारी चाहते हैं कि अगर उन्हें घर से या फिर ऑफिस से काम करने की छूट होगी तो फिर वो अपनी Personal Life और Professional Life में एक बैलेंस बना पाएंगे, जो फिलहाल Work From home से बनाना मुश्किल है.

दिल्ली के मनिपाल अस्पताल की मनोचिकित्सक डॉ. रुचि शर्मा के मुताबिक डेढ़ साल के बाद अब समय शायद समय आ गया है कि कंपनियां एक ऐसा मॉडल तैयार करें जिसमें कंपनियों के हित के साथ साथ कर्मचारियों का भी हित हो, क्योंकि अवसादग्रस्त या फिर काम से परेशान कर्मचारी कंपनी की Performance बढ़ाने के बजाए घटा सकता है. कंपनियों को हाइब्रिड मॉडल के अलावा भी ऐसी चीज़ें सोचने और लागू करने की जरूरत है जिससे उनके कर्मचारी मानसिक रूप से स्वस्थ रहें और अच्छा परफ़ॉर्म कर सकें. इसके लिए सबसे जरूरी है कि कंपनियां कर्मचारियों की राय और उनकी जरूरतों के बारे में जानें और उनके मन मुताबिक काम करने का मॉडल तैयार करें.

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