MCD Geo Tagging News: अगर आप भी द‍िल्‍ली नगर न‍िगम के क्षेत्र में रहते हैं तो यह खबर आपके काम की है. एमसीडी की तरफ से आपके घरों की की जिओ टैगिंग (Geo Tagging) का काम शुरू कर द‍िया गया है. एमसीडी ने दो महीने के अंदर दिल्ली की 15 लाख प्रॉपर्टी की जिओ टैगिंग कराने का आदेश द‍िया है. इसके तहत सबसे पहले गैर रिहायशी इलाके की 4 लाख प्रॉपर्टी की ज‍िओ टैगिंग की जाएगी. इस पूरे काम को 30 जनवरी 2024 तक ऐप के जर‍िये पूरा करने का लक्ष्‍य रखा गया है.


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लोगों की प्रॉपर्टी को यूनिक एड्रेस म‍िलेगा


एमसीडी के ऐप के जर‍िये ओला-उबर की तरह जिओ टैगिंग की जा सकेगी. इसके माध्‍यम से बेहतर तरीके से अर्बन प्लानिंग में मदद मिलेगी. इस प्रक्र‍िया के पूरा होने के बाद लोगों की प्रॉपर्टी को यूनिक एड्रेस म‍िलेगा. ज‍िस प्रॉपर्टी की जिओ टैगिंग हो जाएगी, उसके माल‍िक को प्रॉपर्टी टैक्स में रिबेट भी दी जाएगी.‌ जो लोग प्रॉपर्टी टैक्स पेयर हैं वो यूपिक / प्रॉपर्टी नंबर के जर‍िये आसानी से जिओ टैग‍िंग कर पाएंगे.


20000 प्रॉपर्टी की जिओ टैग‍िंग का काम पूरा
एप के जर‍िये ज‍िओ टैग‍िंग का काम पूरा होने पर एमसीडी का एक भी रुपया खर्च नहीं होगा. जबकि मुंबई-बेंगलोर जैसे शहरों में इसके ल‍िए करोड़ों रुपये का खर्च क‍िया गया है. प‍िछले सात द‍िनों में अब तक 20000 प्रॉपर्टी की जिओ टैग‍िंग का काम हो चुका है. ‌प‍िछले द‍िनों दिल्ली नगर निगम ने इसके ल‍िए मोबाइल ऐप लॉन्‍च क‍िया था. इसके जर‍िये प्रॉपर्टी टैक्‍स देने वालों को यूनिक प्रापर्टी आइडेंटीफिकेश कोड (UPIC) नंबर से जीओ टैग कराना होगा.


क्‍यों की जा रही ज‍िओ टैगिंग
एमसीडी का कहना है क‍ि इससे प्रॉपर्टी टैक्‍स स‍िस्‍टम में पहले से ज्‍यादा पारदर्शिता आएगी. इसके अलावा भविष्य की योजनाएं बनाने में ज‍िओ टैग‍िंग उपयोगी साबित होगा. निगम के अनुसार, टैक्‍सपेयर्स की तरफ से संपत्तियों की जिओ-टैगिंग व्यक्तिगत संपत्तियों के अनुसार पहचान भी देगी. आप इस एप को https://mcdonline.nic.in/mcdapp.html वेबसाइट के जर‍िये भी डाउनलोड कर सकते हैं.