RBI MPC: कौन हैं राम स‍िंह, सौगत भट्टाचार्य और नागेश कुमार, ज‍िनकी हुई एमपीसी में हुई एंट्री
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RBI MPC: कौन हैं राम स‍िंह, सौगत भट्टाचार्य और नागेश कुमार, ज‍िनकी हुई एमपीसी में हुई एंट्री

RBI MPC Date: इस बार 7 से 9 अक्‍टूबर तक चलने वाली एमपीसी में आरबीआई के ऊपर ब्‍याज दर में कटौती का दवाब बढ़ गया है. अब यह देखने वाली बात होगी क‍ि केंद्रीय बैंक इस पर क्‍या फैसला लेगा. हालांक‍ि जानकारों का कहना है क‍ि इस बार ब्‍याज दर में कटौती की उम्‍मीद कम है.

RBI MPC: कौन हैं राम स‍िंह, सौगत भट्टाचार्य और नागेश कुमार, ज‍िनकी हुई एमपीसी में हुई एंट्री

RBI MPC New Member: फेड र‍िजर्व ने प‍िछले द‍िनों अमेर‍िका में राहत देते हुए ब्‍याज दर में 0.50% की कटौती की थी. इसके बाद आरबीआई पर नीत‍िगत दर कम करने का दवाब बढ़ गया. आरबीआई एमपीसी की 9 अक्‍टूबर को होने वाली मीट‍िंग में इसको लेकर फैसला होना है. इस बीच खबर आई क‍ि एमपीसी के तीन बाहरी सदस्यों का कार्यकाल 4 अक्टूबर को खत्‍म हो रहा है. ऐसे में यह कहा जाने लगा क‍ि इस बार रेपो रेट की कटौती पर होने वाले क‍िसी भी फैसले को तीन सदस्‍यों की गैरमौजूदगी में टाला जा सकता है. लेक‍िन अब व‍ित्‍त मंत्रालय ने 4 अक्‍टूबर से पहले ही नीतिगत दर तय करने वाली भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की री-स्‍ट्रक्‍चर‍िंग कर दी है.

2020 में टालना पड़ा था ब्याज दर कटौती का फैसला

फाइनेंस म‍िन‍िस्‍ट्री की तरफ से जारी बयान में कहा गया क‍ि राम सिंह, सौगत भट्टाचार्य और नागेश कुमार को एमपीसी का नया बाहरी सदस्य नियुक्त किया गया है. सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत एमपीसी की री-स्‍ट्रक्‍चर‍िंग को नोट‍िफाई क‍िया है. साल 2020 में एमपीसी के बाहरी सदस्‍यों की नियुक्ति नहीं होने से आरबीआई को ब्याज दर में कटौती का फैसला टालना पड़ा था. दरअसल, आरबीआई की मौद्र‍िक नीत‍ि समीक्षा में कुल छह मेंबर होते हैं. छह में से तीन आरबीआई के अध‍िकारी और तीन बाहरी सदस्‍य होते हैं. बाहरी सदस्‍यों का कार्यकाल चार साल का होता है.

7 से 9 अक्टूबर को होगी एमपीसी
पुनर्गठन के तहत दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के निदेशक प्रो. राम सिंह, इकोनॉम‍िस्‍ट सौगत भट्टाचार्य और नई दिल्ली के इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंडस्‍ट्र‍ियल डेवलपमेंट स्‍टडीज के डायरेक्‍टर और सीईओ डॉ. नागेश कुमार इसके बाहरी सदस्य बनाए गए हैं. नीतिगत दर तय करने वाली एमपीसी के प्रमुख भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर हैं. री-स्‍ट्रक्‍चर‍िंग मौद्रिक नीति समिति (MPC) की पहली मीट‍िंग 7 से 9 अक्टूबर को होनी है. मीट‍िंग के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास 9 अक्टूबर को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करेंगे.

प्रो. राम सिंह के बारे में
आरबीआई की एमपीसी में न‍ियुक्‍त प्रो. राम सिंह दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के निदेशक हैं. उन्‍हें श‍िक्षण के क्षेत्र में दो दशक से ज्‍यादा का अनुभव है. उनकी व‍िशेज्ञता पब्‍ल‍िक इकोनॉम‍िक्‍स, फाइनेंश‍ियल रेग्‍युलेशंस और इंड‍ियन इकोनॉमी है. सिंह ने जेएनयू से इकोनॉम‍िक्‍स में पीएचडी और हार्वर्ड यून‍िवर्स‍िटी से पोस्ट-डॉक्टोरल स्‍टडी की. उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी एंड गवर्नेंस के डायरेक्‍टर और एग्रीकल्‍चर इकोनॉम‍िक्‍स र‍िसर्च सेंटर के चेयरमैन समेत कई भूमिकाएं निभाई हैं. वह ब्राउन यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ हैम्बर्ग और पेरिस स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स समेत अन्य संस्थानों में विजिटिंग प्रोफेसर भी रहे हैं.

कौन हैं सौगत भट्टाचार्य?
तीन दशक से ज्‍यादा का अनुभव रखने वाले इकोनॉम‍िस्‍ट सौगत भट्टाचार्य (Saugata Bhattacharya) को शक्‍त‍िकांत दास की टीम में बाहरी सदस्‍य के तौर पर जगह दी गई है. उनकी बैक ग्राउंड इकोनॉम‍िक एनाल‍िस‍िस, पॉल‍िसी एडवोकेसी, कंज्‍यूमर ब‍िहेव‍ियर को लेकर है. एमपीसी में शामिल होने से पहले, भट्टाचार्य एक्सिस बैंक में चीफ इकोनॉम‍िस्‍ट और एग्‍जीक्‍यूट‍िव वाइस प्रेसीडेंट के रूप में काम कर चुके हैं. यहां उन्होंने फाइनेंश‍ियल मार्केट और इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर फाइनेंस में विशेषज्ञता हासिल की थी.

नागेश कुमार कौन हैं?
प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री डॉ. नागेश कुमार को आरबीआई की एमपीसी में जगह दी गई है. मौजूदा समय में वह इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंडस्‍ट्र‍ियल डेवलपमेंट स्‍टडीज (ISID) के डायरेक्‍टर और चीफ एग्‍जीक्‍यूट‍िव के तौर पर काम कर रहे हैं. आईएसआईडी से पहले उन्होंने संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग के लिए एशिया और प्रशांत (UNESCAP) सहित मुख्य अर्थशास्त्री और मैक्रोइकॉनॉमिक नीति के निदेशक के रूप में भूमिका निभाईं. उन्होंने भारत के एक्सिम बैंक, वर्ल्‍ड बैंक और एशियाई विकास बैंक सहित प्रमुख वैश्‍व‍िक संगठनों के बोर्ड में भी सर्व‍िस की है. कुमार दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से इकोनॉम‍िक्‍स में पीएचडी हैं.

केंद्र सरकार की तरफ से तय नियुक्त मौद्रिक नीति समिति के बाहरी सदस्य तत्काल प्रभाव से या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, चार साल की अवधि के लिए पद पर बने रहेंगे. एमपीसी का गठन 2016 में मौद्रिक नीति रूपरेखा समझौते को अंतिम रूप देने के बाद किया गया था. इसमें महंगाई के लक्ष्य का निर्धारण किया गया था. इसके तहत आरबीआई को महंगाई दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत रखने की जिम्मेदारी दी गयी.

अभी एमपीसी में कौन-कौन?
इस समय एमपीसी के बाहरी सदस्यों में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य डॉ. आशिमा गोयल, नेशनल काउंसिल फॉर एप्लॉयड इकनॉमिक रिसर्च में वरिष्ठ सलाहकार शंशाक भिडे और भारतीय प्रबंध संस्थान-अहमदाबाद के प्रोफेसर जयंत आर वर्मा हैं. नये नियुक्त सदस्य इनका स्थान लेंगे. आरबीआई अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, एमपीसी में छह सदस्य होते हैं. तीन सदस्य आरबीआई से और तीन केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं. छह सदस्यीय समति की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर करते हैं. (इनपुट भाषा से भी)

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