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EPFO: विपक्ष की ओर से सरकार पर नौकरियों को लेकर आरोप लगते रहे हैं. रोजगार, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर सरकार को खरीखोटी सुनाई जाती रही है, लेकिन ईपीएफओ की ओर से जारी किए गए ताजा आंकड़ों ने जहां सरकार को राहत ही दै तो वहीं विपक्ष को जवाब देने का मौका भी दे दिया है. नौकरियों को लेकर ईपीएफओ की ओर से जारी आंकड़ें दिखाते हैं कि अगस्त में सालाना आधार पर बढ़ोतरी हुई है.
क्या है ईपीएफओ के आंकड़ें
ईपीएफओ के नए सदस्यों की संख्या अगस्त में सालाना आधार पर 9.07 फीसदी बढ़ी है. यह बढ़कर 18.53 लाख हो गई है. रविवार को जारी पेरोल आंकड़ों में यह जानकारी दी गई. श्रम मंत्रालय ने बताया कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ ने अगस्त 2024 में लगभग 9.30 लाख नए सदस्यों को जोड़ा. यह अगस्त, 2023 से 0.48 फीसदी की बढ़ोतरी को दर्शाता है.
18.53 लाख नए सदस्य
ईपीएफओ ने अगस्त महीने में शुद्ध तौर पर 18.53 लाख सदस्य जोड़े हैं. इसमें अगस्त 2023 की तुलना में सालाना आधार पर 9.07 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. ईपीएफओ में अगस्त में लगभग 9.30 लाख नए सदस्य पंजीकृत हुए हैं, जो पिछले वर्ष अगस्त 2023 में जुड़े नए सदस्यों की तुलना में 0.48 प्रतिशत अधिक है. श्रम और रोजगार मंत्रालय ने कहा, ईपीएफओ से अधिक सदस्यों का जुड़ना रोजगार के अवसरों में वृद्धि और कर्मचारी लाभों के बारे में बढ़ती जागरूकता का प्रतीक है, जो ईपीएफओ की प्रभावी आउटरीच पहल से प्रेरित है.
मंत्रालय ने कहा कि इसमें बड़ी बात यह है कि अगस्त 2024 में जुड़े नए सदस्यों में से 59.26 प्रतिशत 18 से 25 वर्ष की उम्र के हैं. अगस्त 2024 के लिए 18-25 आयु वर्ग के लिए शुद्ध पेरोल डेटा 8.06 लाख है. मंत्रालय ने आगे बताया कि यह ट्रेंड दिखाता है कि संगठित वर्कफोर्स में शामिल होने वाले अधिकांश व्यक्ति युवा हैं, जिनकी मुख्य तौर पर पहली बार नौकरी लगी है. अगस्त 2024 में ईपीएफओ में 13.54 लाख सदस्य बाहर निकलकर दोबारा से जुड़े हैं. यह संख्या अगस्त 2023 के मुकाबले 14 प्रतिशत अधिक है.
ईपीएफओ ने लगभग 2.53 लाख नई महिला सदस्यों को जोड़ा है और इसमें सालाना आधार पर 3.75 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इस दौरान शुद्ध तौर पर महिला सदस्य की संख्या लगभग में वृद्धि 3.79 लाख रही. शीर्ष पांच राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में शुद्ध सदस्य वृद्धि में योगदान लगभग 59.17 प्रतिशत है। इसमें 20.59 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ महाराष्ट्र शीर्ष पर था. इसके बाद कर्नाटक, तमिलनाडु, हरियाणा, दिल्ली, गुजरात, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश का स्थान है. एजेंसी- आईएनएनएस