देश के 4 सरकारी बैंकों को बड़ी राहत देने के मूड में RBI : सूत्र
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देश के 4 सरकारी बैंकों को बड़ी राहत देने के मूड में RBI : सूत्र

कुछ सरकारी बैंकों को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की तरफ से जल्द ही राहत मिल सकती है. फाइनेंस मिनिस्ट्री को उम्मीद है कि मौजूदा वित्त वर्ष में तीन से चार बैंक आरबीआई की त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (PCA) निगरानी सूची से बाहर हो जाएंगे.

देश के 4 सरकारी बैंकों को बड़ी राहत देने के मूड में RBI : सूत्र

नई दिल्ली : कुछ सरकारी बैंकों को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की तरफ से जल्द ही राहत मिल सकती है. फाइनेंस मिनिस्ट्री को उम्मीद है कि मौजूदा वित्त वर्ष में तीन से चार बैंक आरबीआई की त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (PCA) निगरानी सूची से बाहर हो जाएंगे. मंत्रालय का मानना है कि दिशा-निर्देशों में जरूरी बदलाव और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मुनाफे में सुधार के बाद ऐसा संभव है. सूत्रों की तरफ से इस बारे में जानकारी दी गई है.

11 बैंकों को पीसीए के अंतर्गत रखा है
आरबीआई ने 21 सरकारी बैंकों में से 11 बैंकों पर शिकंजा कसते हुए पीसीए के अंतर्गत रखा है. ये कमजोर बैंकों पर कर्ज और अन्य अंकुश लगाता है. इनमें इलाहाबाद बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, कॉरपोरेशन बैंक, आईडीबीआई बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, देना बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल हैं. पिछले सप्ताह आरबीआई ने केंद्रीय बोर्ड की बैठक में निर्णय लिया कि पीसीए के तहत बैंकों के मुद्दे की जांच केंद्रीय बैंक का वित्तीय निगरानी बोर्ड (बीएफएस) करेगा.

बैंकिंग के लिए यही पैमाना अपनाने के पक्ष में सरकार
पीसीए के तहत बैंकों को तब रखा जाता है जब कि तीन प्रमुख नियामकीय बिंदुओं का उल्लंघन करते हैं. ये बिंदु हैं जोखिम परिसंपत्तियों के एवज में रखी जानी वाली पूंजी, गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) और परिसंपत्ति पर रिटर्न (आरओए). वैश्विक स्तर पर बैंकों को पीसीए के तहत केवल एक ही पैमाने पूंजी पर्याप्तता अनुपात के आधार पर रखा जाता है. सरकार और एस गुरुमूर्ति जैसे आरबीआई के कुछ स्वतंत्र निदेशक घरेलू बैंकिंग के लिये यही पैमाना अपनाने के पक्ष में हैं.

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फंसे कर्ज पर लगाम लगाने में मदद मिली
हालांकि, आरबीआई अतीत में भी पीसीए रुप रेखा की मजूबती से वकालत कर चुका है. सूत्रों ने कहा कि दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (IBC) के क्रियान्वयन समेत सरकार की ओर से उठाए गए विभिन्न कदमों से फंसे कर्ज पर लगाम लगाने में मदद मिली है और वसूली में सुधार आया है. उन्होंने कहा कि इसलिए आईबीसी के चलते बैंकों के प्रदर्शन और वसूली में सुधार को देखते हुए उम्मीद है कि आरबीआई के बीएफएस की समीक्षा में 3 से 4 बैंक मार्च, 2019 के अंत तक त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई की रुपरेखा से बाहर आ जाएंगे.

बैंकों ने पहली तिमाही के दौरान 36,551 करोड़ रुपये की वसूली की, जो कि पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही से 49 प्रतिशत अधिक है. उन्होंने कहा कि इस अवधि में बैंकों का परिचालन लाभ 11.5 प्रतिशत बढ़ा है जबकि तिमाही आधार पर घाटा 73.5 प्रतिशत कम हुआ है.

(इनपुट एजेंसी से)

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