Haldiram Business success story: कुछ दिनों पहले ही बिकाजी की लिस्टिंग शेयर मार्केट में हुई है. अब कंपनी के प्रमोटर शिव रतन अग्रवाल के भाइयों ने भी आईपीओ ( IPO) का प्लान बनाना शुरू कर दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वे आगामी 18 महीनों में आईपीओ पेश कर सकते हैं. वे स्नैक के बड़े ब्रांड हल्दीराम्स (Haldiram's) के मालिक हैं. इन्‍होंने दिल्ली और नागपुर का बिजनेस विलय कर दिया है. अब इनका लक्ष्‍य है कि हल्दीराम्स को इंडिया में और भी मजबूत बनाना है. आपको बता दें कि नागपुर के हल्दीराम फूड्स इंटरनेशनल (Haldiram Foods International) को उनके सबसे बड़े भाई शिव किशन अग्रवाल देखते हैं. वहीं दिल्ली की हल्दीराम स्नैक्स को छोटे भाई मनोहर अग्रवाल और मधुसूदन अग्रवाल देखते हैं. क्‍या आप जानते हैं हल्दीराम की दो कंपनियां है. इसके अलावा बीकाजी और हल्दीराम के मालिक भाई-भाई हैं. जानते हैं इनकी सक्‍सेस स्‍टोरी.  


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बीकाजी नाम कैसे पड़ा? 


उस समय शिवरतन अग्रवाल का परिवार भुजिया और स्‍नैक्‍स की बड़ी स्वदेशी कंपनी चला रहा था, लेकिन उन्हें अपनी अलग पहचान बनानी थी. इस वजह से ही साल 1987 में शिवरतन हल्दीराम ब्रांड से अलग हो गए और खुद का बीकानेरी भुजिया का कारोबार शुरू कर दिया. साल 1993 में उन्होंने अपने ब्रांड का नाम 'बीकाजी' दिया. उन्‍होंने ये नाम इसलिए रखा था क्‍योंकि बीकानेर शहर के संस्थापक का नाम राव बीकाजी था. 


80 लाख दुकान तक पहुंचा हल्‍दीराम प्रोडक्‍ट 


बीकाजी के प्रोडक्‍ट ऑस्‍ट्रेलिया, अमेरिका, रूस और मिडिल ईस्‍ट तक जाते हैं. दुनिया के जिन हिस्‍सों में भी भारतीय रहते हैं, वहां इन प्रोडक्ट्स की खुब डिमांड है. बीकाजी के 250 प्रोडक्‍ट देश भर की 80 लाख दुकानों में बिकते हैं. इसके अलावा कई शहरों में बीकाजी के आउटलेट्स हैं. कई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर भी बीकाजी के आउटलेट्स देखने को मिल जाएंगे.   


आज 40 देशों में फैला कारोबार


सिर्फ 8वीं पास करने वाले शिवरतन अग्रवाल द्वारा शुरु की गई इस कंपनी का कारोबार आज 40 से भी ज्‍यादा देशों में फैल चुका है. बिजनेस इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1992 में बीकाजी का सालाना टर्नओवर 6 करोड़ रुपये था, जो 2020 में बढ़कर 1,074 करोड़ रुपये पर आ गया है. 


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