How to Save Income Tax: दिल्ली में रहने के लिए कितने पैसों की जरूरत पड़ेगी? 40 हजार, 50 हजार या फिर 1 लाख? यह सवाल इसलिए उठा है क्योंकि सोशल मीडिया पर इस पर बहस छिड़ी हुई है. कारण है एक ट्वीट, जो फाइनेंशियल इन्फ्लूएंसर अक्षत श्रीवास्तव ने किया है. उन्होंने एक ब्योरा पेश किया है, जिसमें दिल्ली में चार लोगों के परिवार के खर्च के बारे में बताया है. उनके मुताबिक, राशन, बच्चों की फीस, ट्रांसपोर्ट और बाकी खर्चों को जोड़ने पर हर महीने में 1 लाख रुपये खर्च हो जाते हैं. जबकि कुछ भी बचत नहीं हो पाती. 


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हालांकि अक्षत श्रीवास्तव के ट्वीट पर लोग असहमति भी जता रहे हैं कि उनका मैथ्स ठीक नहीं है. अगर आंकड़ों की मानें तो दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय 2,71,019  रुपये हो गई है. लेकिन क्या वाकई महंगाई इतनी ज्यादा हो गई है कि जो परिवार एक लाख रुपये कमा रहा है, वह भी बचत नहीं कर पा रहा?


अक्षत श्रीवास्तव ने जो गणित बताया है, वह एक लाख रुपये महीने की सैलरी पर आधारित है. उन्होंने घर का किराया 25-30 हजार बताया. टैक्स के नाम पर 20 हजार रुपये कट गए. ग्रोसरी पर 15 हजार, दो बच्चों की स्कूल फीस 10 हजार रुपये, यूटिलिटी 10 हजार, ट्रांसपोर्ट 5 हजार और अन्य खर्च 10 हजार रुपये बताया है.इन सबका जोड़ बना 1 लाख रुपये और बचत जीरो.



ये गणित कितना सही है?


श्रीवास्तव के ट्वीट के नीचे काफी कमेंट्स आए हैं. इसमें लोगों ने लिखा कि टैक्स कुछ ज्यादा ही जोड़ लिया गया है. जबकि कुछ लोगों ने इसको भ्रामक भी बताया. एक यूजर रोहित ने लिखा कि अगर कोई सेविंग्स करना चाहता है तो किराये में इतना पैसा क्यों देगा. कई लोगों ने अपने पैरेंट्स का उदाहरण दिया कि उन्होंने इससे कम तनख्वाह में काफी अच्छी सेविंग्स की है. एक यूजर अजय ने कहा कि हर साल 12 लाख रुपये की कमाई पर 20 हजार रुपये का टैक्स भरने वाले को इनकम टैक्स रिटर्न्स फाइल करना चाहिए. पुरानी टैक्स स्कीम में कई तरीकों से टैक्स बचाया जा सकता है. 





हालांकि अक्षत श्रीवास्तव ने स्कूलों की फीस को कम आंका. एनसीआर में दो बच्चों को स्कूल में पढ़ाने के लिए 20 हजार रुपये फीस में चले जाते हैं. एक यूजर ने कहा कि हर फैमिली अपनी आय के हिसाब से रहती है. किसी को बिना जाने उसकी इनकम का अंदाजा कैसे लगा सकते हैं?


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