Budget 2022 : वित्त 2022-23 के लिए आम बजट की तैयारियां तेज हो गई हैं. आज के समय में आम बजट में ही रेलवे को लेकर प्रोजेक्ट्स की भी घोषणाएं हो जाती हैं. लेकिन 2017 के पहले भारतीय रेलवे के लिए अलग से रेल बजट पेश होता था. इसे आमतौर पर यूनियन बजट के एक दिन पहले सदन में पेश किया जाता था.
मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में रेल बजट को भी आम बजट का ही हिस्सा बना दिया. तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 1 फरवरी, 2017 को आजाद भारत का पहला संयुक्त बजट पेश किया था. आइए जानते हैं कि कैसे 92 साल से अधिक इतिहास वाला रेलवे बजट 'आम बजट' हो गया.
रेलवे के लिए अलग से बजट पहली बार 1924 में अंग्रेजों के समय पेश हुआ था. उस समय सरकार की कमाई में काफी हद तक रेलवे पर निर्भर करती थी और रेलवे का देश की GDP में काफी योगदान रहता था. ऐसे में 1924 से रेलवे के लिए अलग बजट पेश होने लगा था.
मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में बजटीय सुधारों के तहत 2016 में देश के आम बजट में ही रेलवे बजट को मिला देने का फैसला किया. समय के साथ देश की इकोनॉमी में रेलवे की हिस्सेदारी क होती गई, जिस कारण से अब अलग से रेलवे बजट पेश करने की आवश्यकता महसूस नहीं हो रही थी. ऐसे में सरकार ने यह फैसला लिया.
नीति आयोग ने सरकार को सलाह दी थी कि अब देश में अलग से रेलवे बजट पेश करने की आवश्यकता नहीं है. तत्कालीन नीति आयोग के सदस्य विवेक देबरॉय की अध्यक्षता वाली समिति ने इसे खत्म करने की सलाह दी थी, जिसे कफी विचार विमर्श के बाद 21 सितंबर, 2016 में मान लिया गया था.
इसी के साथ 1924 से चली आ रही रेलवे बजट की प्रथा समाप्त हो गई और इसे आम बजट के साथ पेश किया जाने लगा. उसके बाद हर साल आम बजट के साथ ही रेल बजट को भी पेश किया जाता है.
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