Work From Home के चलते लोगों में पेन की डिमांड काफी कम हो गई है. वहीं स्कूल बंद से होने से भी इसका असर देखने को मिला है. कोरोना के चलते फिलहाल पेन बनाने वाली कंपनियों पर भी कर की दोहरी मार पड़ने से इंडस्ट्री पर काफी संकट आ गया है.
फिलहाल कलम या फिर पेन पर 12 फीसदी जीएसटी लगता है. हालांकि उद्योग से जुड़े लोगों का आरोप है कि कई अधिकारी इस नियम की गलत व्याख्या करते हुए पेन से जुड़े कैप, क्लिप और रिफिल पर 18 फीसदी जीएसटी लगा रहे हैं. उद्योग का कहना है कि नियम में पेन से जुड़े अन्य सामान पर ज्यादा जीएसटी लगाने का कहीं भी प्रावधान नहीं है.
कलकत्ता पेन मैन्युफैक्चरर्स एंड डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेश जालान ने कहा, ‘गलत व्याख्या का मसला वर्ष 2020 के शुरुआती दिनों में सामने आया लेकिन महामारी के दौरान यह समस्या और बढ़ गई है. उद्योग की मांग में 50 फीसदी की गिरावट देखी गई है क्योंकि शिक्षण संस्थान बंद हैं और ‘घर से काम’ करने की अवधारणा को लोग चुन रहे हैं.’
पेन उद्योग की ओर से अखिल भारतीय व्यापर मंडल महासंघ के सचिव वी के बंसल ने कहा कि बोर्ड को एक ज्ञापन दिया गया है, जिसमें उससे अनुरोध किया गया है कि वे अपने सभी क्षेत्रीय आयुक्त कार्यालयों को अधिसूचना के अनुसार कर लगाने की सलाह दें.
जालान ने कहा, सरकार के ऐप, 'निर्यात मित्र' में 9608 शीर्षक के विभिन्न उप-शीर्षकों के तहत आने वाले सभी सामानों के लिए आईजीएसटी दर 12 फीसदी है. फाउंटेन और स्टाइलोग्राफ पेन 18 फीसदी आईजीएसटी हैं.
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