नई दिल्ली: संसद का मॉनसून सत्र शुरू हो चुका है. 5 जुलाई को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण पहली बार नई सरकार के लिए बजट पेश करेंगी. उम्मीद की जा रही है कि आर्थिक सुस्ती को दूर करने के लिए बजट में बड़े फैसले लिए जा सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक, आर्थिक विकास को गति देने और रोजगार पैदा करने के अवसर तलाशने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अर्थशास्त्रियों और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ 22 जून को बैठक करेंगे. इससे पहले नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार अलग-अलग सेक्टर के विशेषज्ञों और स्टेक होल्डर्स के साथ मुलाकात कर उनके सुझाव मांगेंगे.


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भारती अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त हो चुकी है. इंटरनेशनल रेटिंग एजेंसी Fitch ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए आर्थिक विकास दर की संभावनाओं को 6.8 से घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया है. इससे पहले फरवरी में फिच ने विकास दर को 7 फीसदी से घटाकर 6.8 फीसदी किया था. वित्त वर्ष 2018-19 में विकास दर 6.8 फीसदी रहने का अनुमान है. जनवरी-मार्च तिमाही में तो विकास दर घटकर 5.8 फीसदी पर आ गई जो पिछले पांच सालों में सबसे न्यूनतम स्तर पर है.


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बेरोजगारी और निवेशकों का नहीं आना सरकार के सामने दो बड़ी चुनौती है. इसलिए, प्रधानमंत्री मोदी ने दो नए कैबिनेट कमेटी- रोजगार और निवेश को लेकर गठन किया. खुद प्रधानमंत्री मोदी इसकी अध्यक्षता कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, इस प्रस्तावित बैठक में विकास दर गिरने पर विशेषज्ञों से चर्चा की जाएगी. बेरोजगारी और निवेश का नहीं आने के अलावा अन्य चुनौतियों की बात करें तो, बैंकिंग सेक्टर की हालत खराब है उनपर NPA का भारी दबाव है. यही हाल NBFC सेक्टर का भी है. अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि पर संकट जारी है. कमजोर मॉनसून से इस पर और खतरा बढ़ गया है. मांग की कमी की वजह से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भी सुस्ती है.