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नई दिल्ली: Auto Debit Payments: उन करोड़ों उपभोक्ताओं के लिए काम की खबर है जिनका बिजली, मोबाइल का बिल या दूसरे यूटिलिटी बिल का पेमेंट ऑटो डेबिट होता है. क्योंकि रिजर्व बैंक ने Additional Factor Authentication (AFA) के लिए नई गाइडलाइंस जारी कर दी है जिसके अनुसार, 1 अक्टूबर से ऑटो डेबिट पेमेंट सीस्टम बदल जाएगा.
RBI ने देश में डिजिटल पेमेंट को ज्यादा सुरक्षित बनाने के मकसद से Additional Factor Authentication (AFA) का लागू करने का निर्देश दिया गया है. रेकरिंग ऑनलाइन पेमेंट में ग्राहकों के हितों और सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए और साथ ही उन्हें फ्रॉड से बचाने के मकसद से AFA का इस्तेमाल करते हुए एक फ्रेमवर्क तैयार करने का निर्देश दिया गया था. लेकिन IBA की अपील को देखते हुए इसे लागू करने के लिए डेडलाइन को 31 मार्च 2021 से बढ़ा कर 30 सितंबर कर दिया था, ताकि बैंक इस फ्रेमवर्क को लागू करने की पूरी तैयारी कर सकें.
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हालांकि इससे पहले रिजर्व बैंक ने बैंकों से दिसंबर 2020 में कहा था कि 31 मार्च 2021 तक फ्रेमवर्क को लागू करने की तैयारी कर लें. रिजर्व बैंक का कहना है कि बार बार मौके दिए जाने के बाद भी इस फ्रेमवर्क को लागू नहीं किया गया है, ये बेहद चिंता की बात है, इस पर अलग से बात की जाएगी. बैंकों की तैयारियों में देरी से कस्टमर को दिक्कत पेश न आए इसलिए बैंकों को फ्रेमवर्क में शिफ्ट होने के लिए आरबीआई ने फिर से इसकी डेडलाइन बढ़ा कर 30 सितंबर 2021 तक का मौका दिया है. लेकिन इसके बाद अगर चूक हुई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी.
गौरतलब है कि अगर ये RBI की गाइडलाइंस 1 अप्रैल से लागू हो जातीं तो देश के करोड़ों कस्टमर्स मुश्किल में आ जाते. क्योंकि जिन कस्टमर्स के डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड में ऑटो डेबिट पेमेंट हैं, वो अटक जाते, OTT सब्सक्रिप्शन फेल हो जाता.
इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) ने चेतावनी दी थी कि लाखों कस्टमर्स जिन्होंने ऑनलाइन मंजूरियां (e-mandates) दे रखी हैं, 30 सितंबर के बाद फेल हो सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि कई बैंकों ने e-mandates के लिए RBI की गाइडलाइंस के मुताबिक रजिस्ट्रेशन, ट्रैकिंग, मॉडिफिकेशन और विद्ड्रॉल को एक्टीवेट करने के लिए कदम नहीं उठाए हैं.
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RBI के नए नियम के मुताबिक बैंकों को पेमेंट की तारीख के 5 दिन पहले एक नोटिफिकेशन भेजना होगा, पेमेंट को मंजूरी तभी मिलेगी जब कस्टमर इसकी मंजूरी देगा. अगर रिकरिंग पेमेंट 5000 रुपये से ज्यादा है तो बैंकों को कस्टमर को एक वन टाइम पासवर्ड (OTP) भी भेजना होगा. RBI ने कस्टमर्स की सुरक्षा को देखते हुए ये कदम उठाया है.
इसके पहले रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों, पेमेंट गेटवे और दूसरे सर्विस प्रोवाइडर्स से कहा था कि वो कार्ड डिटेल्स को परमानेंट स्टोर नहीं करें, इससे रेकरिंग पेमेंट और मुश्किल हो गया है. हालांकि RBI ने ये कदम Juspay और नियो बैंकिंग स्टार्टअप Chqbook में डाटा लीक की घटनाओं के बाद उठाया है.
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