RBI MPC Meeting: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गर्वनर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समीक्षा को जारी कर दिया. उन्होंने प्रमुख नीतिगत दर रेपो रेट में इस बार भी किसी तरह का बदलाव नहीं किया.
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RBI Repo Rate: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गर्वनर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समीक्षा को जारी कर दिया. प्रमुख नीतिगत दर रेपो रेट में इस बार भी किसी तरह का बदलाव नहीं किया और रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर ही बरकरार रखा गया है. रेपो रेट के पुराने स्तर पर ही बने रहने का फायदा लोन लेने वाले ग्राहकों को मिलेगा. होम लोन, ऑटो लोन या पर्सनल लोन की ब्याज दर पहले जैसी ही रहेगी. यह लगातार छठा मौका है जब रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया. दास ने बताया कि एमपीसी मीटिंग के दौरान सहमति से रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं करने का फैसला किया गया. केंद्रीय बैंक ने आखिरी बार फरवरी, 2023 में रेपो रेट को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था.
विश्लेषकों के अनुमान से आगे निकल रही ग्रोथ
मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए केंद्रीय बैंक के गवर्नर दास ने कहा कि वैश्विक स्तर पर अनिश्चतता के बीच देश की इकोनॉमी मजबूती दिखा रही है. एक तरफ इकोनॉमिक ग्रोथ बढ़ रही है, दूसरी ओर महंगाई में कमी आई है. महंगाई को काबू में रखने और इकोनॉमिक ग्रोथ को रफ्तार देने के लिए रेपो रेट को बरकरार रखा गया है. उन्होंने कहा, वृद्धि की गति तेज हो रही है और यह अधिकतर विश्लेषकों के अनुमान से भी आगे निकल रही है.
ग्लोबल ग्रोथ रेट के स्थिर रहने का अनुमान
इसके अलावा आरबीआई ने एमएसएफ (सीमांत स्थायी सुविधा दर) और बैंक दर को 6.75 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. आरबीआई गवर्नर ने कहा 2024 में ग्लोबल ग्रोथ रेट के स्थिर रहने का अनुमान है. उन्होंने बताया कि एमपीसी महंगाई दर को चार प्रतिशत पर लाने को लेकर प्रतिबद्ध है. इस पर लगातार काम किया जा रहा है. दास ने इंस्ट्रियल एक्टिविटी की रफ्तार 2024-25 में भी जारी रहने की उम्मीद जताई.
आपको बता दें पिछले साल जुलाई 2023 में महंगाई दर बढ़कर रिकॉर्ड लेवल 7.44 परसेंट पर पहुंच गई थी. इसके बाद इसमें गिरावट देखी गई और यह दिसंबर 2023 में 5.69 प्रतिशत पर आ गई. रिजर्व बैंक को महंगाई दर 4-6 प्रतिशत के दायरे के अंदर रखने का टारगेट मिला हुआ है.
क्या होता है रेपो रेट?
जिस रेट पर आरबीआई की तरफ से बैंकों को लोन दिया जाता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है. रेपो रेट बढ़ने का मतलब है कि बैंकों को आरबीआई से महंगे रेट पर कर्ज मिलेगा. इससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन आदि की ब्याज दर बढ़ जाएगी, जिससे आपकी ईएमआई पर सीधा असर पड़ेगा.