Rising EMI: बढ़ रहा ईएमआई का बोझ, होम लोन लिया है तो अपनाएं ये टिप्स, जरूर कम होगी टेंशन
RBI Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी कर दी है. अब रेपो रेट की दर 4.9 प्रतिशत हो गई है. मई में आरबीआई ने रेपो रेट 40 बेसिस पॉइंट्स बढ़ाया था, जिसके बाद दर 4 प्रतिशत से 4.4 प्रतिशत तक पहुंच गई थी.
RBI Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी कर दी है. अब रेपो रेट की दर 4.9 प्रतिशत हो गई है. मई में आरबीआई ने रेपो रेट 40 बेसिस पॉइंट्स बढ़ाया था, जिसके बाद दर 4 प्रतिशत से 4.4 प्रतिशत तक पहुंच गई थी. इसके बाद आपके होम, ऑटो और पर्सनल लोन महंगे हो जाएंगे. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि बढ़ती महंगाई खासकर ईंधन और खाद्य पर लगाम लगाने के लिए यह कदम उठाया गया है.
क्या है रेपो रेट?
रेपो रेट वो दर है, जिस पर बैंक रिजर्व बैंक से उधार लेते हैं. इसका भार अमूमन आम जनता पर पड़ता है. अगर लोन पर बैंक को ज्यादा ब्याज दर आरबीआई को देनी पड़ेगी तो वे अपने ग्राहकों से भी ज्यादा ही वसूल करेंगे.
आरबीआई के इस ताजा कदम के बाद बैंक अपनी ईएमआई में और बढ़ोतरी करेंगे. मई 2022 के ऐलान के बाद कई बैंकों ने लोन पर अपनी ब्याज दरें पहले ही बढ़ा ली हैं. आरबीआई के आज के ऐलान के बाद ईएमआई और बढ़ सकती हैं.
लेकिन अगर आपने होम लोन लिया है तो क्या होगा? क्या आपकी ईएमआई का बोझ भी बढ़ेगा? क्या उसे कंट्रोल करने का कोई तरीका है? आइए आपको कुछ टिप्स बताते हैं.
1. कम ब्याज दरें चुनें: होम लोन के लिए देश में सभी बैंक एक ही ब्याज दर नहीं रखते. एचडीएफसी बैंक की ब्याज दरें एसबीआई के मुकाबले अलग होंगी. ग्राहक अपना लोन एक कर्जदाता से दूसरे कर्जदाता के पास भी ट्रांसफर कर सकते हैं, जिससे उन्हें कम ब्याज दर मिल सकती है. ज्यादातर बैंकों में ये सुविधा मुफ्त उपलब्ध होती है.
2. अवधि को बढ़वा लें: जितनी लंबी अवधि होगी, उतनी ज्यादा ईएमआई चुकानी होगी. अगर आपको लगता है कि वित्तीय तंगी के कारण आपको ईएमआई चुकाने में दिक्कतें हो रही हैं तो बैंक से कहकर होम लोन की अवधि बढ़वा सकते हैं. ज्यादातर बैंक उधारकर्ता के 60 वर्ष की आयु तक अधिकतम अवधि की पेशकश करते हैं.
3. आंशिक पूर्व भुगतान: ग्राहकों के पास ये भी विकल्प होता है कि वे अपने लोन का कुछ हिस्सा पहली किस्त के साथ दे सकते हैं. इससे ईएमआई का बोझ कम होगा क्योंकि भुगतान की गई राशि को बकाया मूलधन में जोड़ दिया जाएगा. इससे लोन अवधि भी कम हो जाएगी.
4. नया लोन लेने से पहले सोचें: नया लोन लेने से पहले अपनी वित्तीय सेहत भी जरूर देख लें. अगर ब्याज दरें बढ़ीं तो आपको नए लोन पर अधिक ब्याज देना होगा, जिससे आपके मौजूदा लोन पर असर पड़ेगा. इसलिए सलाह यही है कि पहले पुराने लोन को बंद करें.
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5. कम रिटर्न वाले निवेश से निकलें बाहर: अगर निवेश होम लोन पर दिए जा रहे ब्याज से कम रिटर्न दे रहा है, तो उससे बाहर निकल जाएं.इस राशि का इस्तेमाल आंशिक रूप से लोन का भुगतान करने और ईएमआई को कम करने में किया जा सकता है.
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