Pakistan Spy Agency: दुनिया ज्यादातर देशों ने अपनी आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के लिए कड़े बंदोबस्त कर रखे हैं. भारत के पास भी एक ऐसी खुफिया एजेंसी है, जिसका लोह पूरी दुनिया मानती है. रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) देश की प्रमुख अंतरराष्ट्रीय खुफिया एजेंसी है. इसी तरह पाकिस्तान के पास भी अपनी एक खुफिया एजेंसी है, जो अक्सर चर्चा में रहती है. आइए जानते हैं कि इस पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के बारे में और यह कैसे काम करती है. 


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इंटर सर्विस इंटेलिजेंस 
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी है इंटर सर्विस इंटेलिजेंस, जिसे आईएसआई भी कहते हैं. आईएसआई पाकिस्तान की सबसे बड़ी इंटेलिजेंस सर्विस है, जिसे साल 1950 में पाकिस्तान की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा का जिम्मेदारी सौंप दी गई थी.  पाकिस्तान में सबसे ज्यादा भारत के ​खिलाफ काम करने के लिए जाना और माना जाता है. इन दिनों यह सुर्खियों में है अपने चीफ के कारण, जिसे हाल ही में पाकिस्तान सरकार ने बदल दिया है.  लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद असिम मलिक को नया आईएसआई चीफ चुना गया है, जो 30 सितंबर को अपना कार्यभार संभालेंगे. 


ऐसे चुना जाता है ISI चीफ 
जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान की इस खुफिया एजेंसी का चीफ लेफ्टिनेंट जनरल रैंक का 3 स्टार ऑफिसर होता है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इसकी नियु​क्ति आर्मी प्रमुख की रिकमंडेशन पर करते हैं. आईएसआई चीफ डायरेक्ट पीएम और सेना प्रमुख को रिपोर्ट करता है. चीफ के नीचे तीन डिप्टी चीफ होते हैं, जिन्हें आतंरिक, बाहरी और विदेशी मामलों से जुड़े दायित्व सौंपे जाते हैं. इनके अंडर 11 डायरेक्टरेट के महानिदेशक होते हैं, जो मेजर जनरल या रियर एडमिरल रैंक के अधिकारी होते हैं.


जानकारी के मुताबिक आईएसआई में सेना और वि​भिन्न पैरा मिलिट्री यूनिट्स के साथ-साथ ही कस्टम, रक्षा मंत्रालय कानूनी विशेषज्ञ भी होते हैं, जिन्हें फेडरल प​ब्लिक सर्विस कमीशन के जरिए चुना जाता है. इसके बाद उन्हें डिफेंस सर्विस इंटेलिजेंस एकेडमी में 6 महीने की ट्रेनिंग दी जाती है और फिर 5 साल के लिए इंफॉर्मेशन इकट्ठी करने का काम सौंप दिया जाता है. इसके बाद उन्हें बड़े टास्क दिए जाते हैं. 


कहलाती है सबसे बड़ी एजेंसी
कहा जाता है कि आईएसआई दुनिया की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी है. वॉशिंगटन स्थित फ़ेडरेशन ऑफ़ अमेरिकन साइंटिस्ट्स की कई साल पहले की जाने वाली पड़ताल के अनुसार इसमें तकरीबन 10,000 लोग काम करते हैं. इनके अलावा मुखबिर नेटवर्क की गिनती करें तो यह संख्या और ज्यादा हो सकती है.
 
आतंकियों को मिलती है पनाह
आईएसआई की एक पहचान आतंकियों को पनाह देने के रूप में भी होती है. हक्कानी नेटवर्क, हरकत उल मुजाहिद्दीन, अल बद्र, अल कायदा और ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में शरण मिलने के बाद अमेरिका ने भी इसकी कार्य शैली पर सवाल खड़े किए थे.