Medical Graduate Stipend from India: उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि विदेश से मेडिकल ग्रेजुएशन करने वालों के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जा सकता. विदेश से पढ़ाई करने वालों को इंटर्नशिप के दौरान भारत से मेडिकल की पढ़ाई करने वालों की तरह ही स्टाइपेंड दिया जाना चाहिए. 


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न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति प्रसन्ना भालचंद्र वराले की पीठ ने कुछ डॉक्टर्स की ओर से पक्ष रख रही वकील तन्वी दुबे की दलीलों पर संज्ञान लिया कि कुछ मेडिकल कॉलेजों में विदेश से मेडिकल ग्रेजुएट्स को उनकी इंटर्नशिप के दौरान 'स्टाइपेंड' नहीं दिया जा रहा है.


पीठ ने राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) से तीन कॉलेजों का ब्योरा मांगा जिसमें विदेश से मेडिकल ग्रेजुएट्स को स्टाइपेंड के भुगतान की जानकारी हो. इन कॉलेज में अटल बिहारी वाजपेयी सरकारी मेडिकल कॉलेज, विदिशा; डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडेय सरकारी मेडिकल कॉलेज, रतलाम और कर्मचारी राज्य बीमा निगम मेडिकल कॉलेज, अलवर शामिल हैं.


सबसे पहले करें स्टाइपेंड का भुगतान


अदालत ने कहा कि यह सबसे पहले है कि स्टाइपेंड का भुगतान किया जाए और कॉलेजों को चेतावनी दी कि अगर स्टाइपेंड के भुगतान पर उसके पहले के आदेश का पालन नहीं किया गया तो सख्त कदम उठाए जाएंगे. पीठ ने कहा, "मेडिकल कॉलेज एमबीबीएस स्टूडेंट्स और विदेश से मेडिकल ग्रेजुएशन करने वाले स्टूडेंट्स को अलग-अलग करके नहीं देख सकते."


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कितना मिलता है स्टाइपेंड


1 जनवरी, 2022 तक, केंद्र सरकार के संस्थानों में एमबीबीएस इंटर्न को 30,070 रुपये  का मंथली स्टाइपेंड मिलता है. इसमें नई दिल्ली में ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) के इंटर्न्स भी शामिल हैं.


भारत में मेडिकल इंटर्न को आमतौर पर लिविंग एक्सपेंसेज में मदद करने और ट्रेनिंग के दौरान उनके एफर्ट्स को पहचानने के लिए स्टाइपेंड मिलता है. स्टाइपेंड की राशि एक संस्थान से दूसरे संस्थान में अलग अलग हो सकती है और समय के साथ बदल सकती है. उदाहरण के लिए, सितंबर 2021 तक, सरकारी अस्पतालों ने इंटर्न को लगभग 15,000 रुपये से 25,000 रुपये महीना का भुगतान किया गया. कर्नाटक, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और केंद्रीय संस्थानों के सरकारी कॉलेज इंटर्न को लगभग 20,000 रुपये से 26,000 रुपये महीना का भुगतान करते हैं, लेकिन कुछ राज्य 20,000 रुपये से भी कम वेतन देते हैं.


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