IIT से पढ़के भी नौकरी न मिले, ऐसा भी होता है क्या? जानिए क्या है कम प्लेसमेंट होने की वजह
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IIT से पढ़के भी नौकरी न मिले, ऐसा भी होता है क्या? जानिए क्या है कम प्लेसमेंट होने की वजह

IIT Bombay Placement 2023-24: भारत में IIT बॉम्बे को तीसरे इंजीनियरिंग कॉलेज (एनआईआरएफ के मुताबिक) का दर्जा प्राप्त है. 

IIT से पढ़के भी नौकरी न मिले, ऐसा भी होता है क्या? जानिए क्या है कम प्लेसमेंट होने की वजह

Job Offers and Salary for IITian: आईआईटी में एडमिशन पाने के लिए स्टूडेंट्स 9वीं 10वीं क्लास से ही तैयारी करना शुरू कर देते हैं. इसके पीछे का मोटिव बस यही होता है कि IIT से पढ़ाई करने के बाद लाइफ सेट हो जाएगी, लेकिन इसमें देखने को कुछ और ही मिला है. इस बार देखने को मिला है कि IIT से भी कैंपस प्लेसमेंट नहीं मिला है. भारत में IIT बॉम्बे को तीसरे इंजीनियरिंग कॉलेज (एनआईआरएफ के मुताबिक) का दर्जा प्राप्त है. 

हर साल, इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) के स्टूडेंट्स बड़ी नौकरियों पर फोकस करते हुए दिसंबर और फरवरी के बाद के प्लेसमेंट सीजन का इंतजार करते हैं. हालांकि, इस साल आईआईटी-बॉम्बे में, 2024 प्लेसमेंट के लिए रजिस्टर्ड लगभग 2,000 स्टूडेंट्स में से 712 लगभग 36% को अभी तक जॉब सिक्योर नहीं हुई है. प्लेसमेंट सीजन आधिकारिक तौर पर मई तक खत्म हो जाएगा.

35.8 फीसदी को अभी तक नहीं मिला प्लेसमेंट

इसका खुलासा संस्थान के पूर्व छात्र और ग्लोबल आईआईटी एलुमनी सपोर्ट ग्रुप के संस्थापक धीरज सिंह द्वारा शेयर किए गए आईआईटी प्लेसमेंट के आंकड़ों से हुआ, जो दो साल से स्टूडेंट्स को गाइड भी कर रहे हैं. इस साल, जब 35.8 फीसदी स्टूडेंट्स बिना प्लेसमेंट के रह गए, तो पिछले सेशन की तुलना में 2.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई.

1485 को मिल गई नौकरी

2023 में आईआईटी बॉम्बे में रजिस्टर्ड 2,209 स्टूडेंट्स में से 1,485 को नौकरी मिल गई, जिसका मतलब है कि पिछले सेशन में भी 32.8 फीसदी को नौकरी नहीं मिली, जिससे कैंपस प्लेसमेंट के माध्यम से भर्ती किए गए स्टूडेंट्स की कम संख्या पर चिंता बढ़ गई है.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, आईआईटी बॉम्बे के प्लेसमेंट सेल के एक अधिकारी ने बताया कि इस साल कंपनियों को कैंपस में बुलाना पिछले साल की तुलना में ज्यादा मुश्किल रहा है. उन्होंने कहा कि इसका कारण दुनियाभर में अर्थव्यवस्था का कमजोर होना है.

कम आईं विदेशी कंपनियां

अधिकारी ने आगे बताया कि "ज्यादातर कंपनियां संस्थान द्वारा पहले से तय की गईं सैलरी देने में असमर्थ थीं. उन्हें (कंपनियों को) कैंपस आने के लिए राजी करने में कई बार बातचीत करनी पड़ी. भर्ती के लिए आईं 380 कंपनियों में से ज़्यादातर भारतीय कंपनियां थीं. आम तौर पर विदेशी कंपनियां भारतीय कंपनियों से ज़्यादा होती हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. इस बार पहली बार, कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग ब्रांच के रजिस्टर्ड स्टूडेंट्स को, जिनकी सबसे ज्यादा डिमांड रहती है, 100% प्लेसमेंट नहीं मिला." नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) के आंकड़ों के मुताबिक, रजिस्टर्ड 2,209 स्टूडेंट्स में से 1,485 स्टूडेंट्स को प्लेसमेंट मिला."

स्टूडेंट्स रिजेक्ट कर रहे जॉब ऑफर

इंस्टीट्यूट के एक प्रोफेसर ने कहा, "संस्थान एवरेज सैलरी पैकेज को हाई रखने के लिए बड़े पैकेजों पर फोकस कर रहा है, लेकिन, यह औसत स्टूडेंट्स को मिलने वाले पैकेज पर ध्यान नहीं दे रहा है. इस वजह से एक ऐसी व्यवस्था बन गई है, जहां ऑफर लेटर मिलने के बावजूद ज्यादातर स्टूडेंट्स बाद में उन्हें रिजेक्ट कर देते हैं और नौकरी पाने के लिए दूसरे तरीके चुनते हैं."

"प्रोपेगेंडा ऑफ प्लेसमेंट" की तरफ इशारा करते हुए, प्रोफेसर ने इस साल प्लेसमेंट सेल द्वारा की गई एक गलती को अंडरलाइन किया. दिसंबर में हुए प्लेसमेंट के पहले फेज में केवल 22 आईआईटी बॉम्बे स्टूडेंट्स को ही 1 करोड़ रुपये से ज्यादा का पैकेज मिला, लेकिन संस्थान ने यह घोषणा कर दी कि 85 स्टूडेंट्स को 1 करोड़ रुपये से ज्यादा का ऑफर आया है. बाद में, संस्थान ने एक नोट जारी करके इस गलती को सुधारा."

प्रोफेसर ने बताया कि, "ज्यादातर स्टूडेंट्स जॉब प्लेसमेंट के संबंध में, विशेष रूप से महामारी के बाद बढ़ते तनाव के लेवल के बारे में चिंता व्यक्त कर रहे हैं. वे ऐसे कैंपस ऑफरों को रिजेक्ट कर रहे हैं जो समान पदों के लिए प्राइवेट कॉलेजों के स्टूडेंट्स को मिल रहे ऑफर्स के बराबर नहीं हैं."

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