Lok Kavi Haldhar Nag: हर कोई आज केवल पैसों के पीछे भाग रहा है, लेकिन देश-दुनिया में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो इतनी काबिलियत के बावजूद दुनिया भर की इस मोह माया से खुद को दूर रखते हैं. ये लोग आज इस दिखावे की दुनिया में भी 'सादा जीवन, उच्च विचार' जैसी कहावत को चरितार्थ करते हैं. इतना ही नहीं ये चंद लोग अपने काम के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं, इन्हीं में से एक हैं पद्मश्री से सम्मानित लोक कवि हलधर नाग. आइए जानते हैं कौन हैं हलधर नाग...


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पद्मश्री पुरस्कार से किया गया सम्मानित
कुछ साल पहले हलधर नाग तब लाइमलाइट में आते हैं, जब उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान के लिए उनका नाम सामने आया. हालांकि, इससे पहले भी उन्हें लोग जानते थे, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में नहीं, तो बात उस समय की है जब सफेद धोती और बनियान पहने, गले में गमछा डाले हलधर नाग नंगे पांव राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से 'पद्मश्री पुरस्कार' ग्रहण करने पहुंचे, उन्हें देखकर हर किसी की आंखें फटी की फटी रह गई थीं. 


मरने नहीं दिया लिखने का शौक 
1950 में ओडिशा के बारगढ़ जिले में जन्मे हलधर नाग 'कोसली भाषा' के प्रसिद्ध कवि हैं. वह बहुत छोटे थे तभी उनके मां-पिता की मृत्यु हो गई थी. ऐसे में वह केवल तीसरी कक्षा तक ही पढ़ाई कर पाए. हलधर नाग एक स्कूल के सामने ही एक छोटी सी स्टेशनरी की दुकान चलाते थे. इस दौरान उन्होंने अपना लिखने का शौक को मरने नहीं दिया. स्कूली बच्चों को कॉपी, पेन, पेंसिल और किताबें उपलब्ध कराने वाले हलधर खुद भी कुछ न कुछ लिखते ही रहते थे.


उनकी रचनाओं पर हो रही पीएचडी
उन पर कविताएं लिखने का ऐसा जुनून सवार हुआ कि आगे चलकर अपनी बेहतरीन रचनाओं के कारण ही उन्हें इतने बड़े सम्मान से नवाजा गया. आज कई स्टूडेंट्स उनकी लिखी कविताओं पर पीएचडी कर रहे हैं. इतनी ही नहीं नाग की कई प्रसिद्ध रचनाओं को लेकर संकलित हलधर ग्रंथावली-2 कई विश्वविद्यालयों के कोर्स में भी शामिल की गई है.  


साल 1990 में नाग ने अपनी पहली कविता 'धोडो बरगच' (The Old Banyan Tree) लिखी. साथ ही अपनी चार और रचनाएं स्थानीय पत्रिका में प्रकाशन के लिए भेजी, तब से उनके लिखने का सिलसिला कभी खत्म नहीं हुआ.


याद हैं अपने लिखे हर एक शब्द 
नाग ने धीरे-धीरे आसपास के गांवों में जाकर अपनी कविताएं सुनानी शुरू की और उन्हें लोगों से सकारात्मक प्रतिक्रिया भी मिली. हलधर की सबसे खास बात ये है कि उन्हें अपनी लिखीं सभी कविताएं ज़ुबानी याद हैं. क्योंकि वह लिखते समय ही उसे याद कर लेते हैं. 


इन विषयों पर रहता है फोकस
हलधर अपने लेखन के जरिए सामाजिक सुधार को बढ़ावा देने वालों में से एक हैं. वह ओडिशा में 'लोक कवि रत्न' के नाम से मशहूर हैं, जो ज्यादातर प्रकृति, समाज, पौराणिक कथाओं और धर्म आधारित कविताएं रचते हैं. लोककवि हलधर नाग ने बताया था कि पद्मश्री पुरस्कार से पहले से ही ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की ओर से उन्हें कलाकार भत्ता दिया जा रहा था.