UPSC Without Coaching: किसी के सपनों को पूरा करने की चाह में, कोई बाधा बहाने के रूप में काम नहीं करनी चाहिए. इस धारणा को सिद्ध करने वाली प्रेरक कहानियां अक्सर सामने आती हैं और ऐसी ही एक स्टोरी सौम्या शर्मा की है. आज, हम भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की एक अधिकारी सौम्या शर्मा की स्टोरी में तल्लीन हैं, जिन्होंने बिना किसी कोचिंग के यह उपलब्धि हासिल की. विशेष रूप से, सौम्या को तेज बुखार से जूझते हुए परीक्षा में बैठने की अतिरिक्त चुनौती का सामना करना पड़ा.


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Education and Background
सौम्या शर्मा ने दिल्ली में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (NLU) में कानून की पढ़ाई की. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, वह एनएलयू में अपने समय के तुरंत बाद, 2017 में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में शामिल हुई. उन्होंने 22 साल की छोटी सी उम्र में इस जर्नी की शुरुआत की.


Preparation Without Coaching
कई उम्मीदवारों के विपरीत, सौम्या शर्मा ने यूपीएससी की तैयारी के लिए किसी भी कोचिंग संस्थान में शामिल होने का फैसला नहीं किया. इसके बजाय, उन्होंने परीक्षा के लिए अपनी तैयारी बढ़ाने के लिए अलग-अलग टेस्ट सीरीज पर भरोसा किया. यह सेल्फ स्टडी अप्रोच फायदेमंद साबित हुई क्योंकि उन्होंने प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली थी.


Battling Fever During the Main Exam
मुख्य परीक्षा से ठीक एक सप्ताह पहले सौम्या को तेज बुखार हो गया. हालांकि, उनका दृढ़ संकल्प अटूट रहा. अपनी बीमारी के बावजूद, वह लगातार 102-103 डिग्री टेंपरेचर के साथ परीक्षा में बैठीं. सौम्या को दिन में तीन बार सेलाइन ड्रिप दी गई, यहां तक ​​कि परीक्षा हॉल में ब्रेक के दौरान भी.


Academic Strengths and Adaptability
सौम्या शर्मा की शैक्षणिक शक्ति यूपीएससी परीक्षा के दौरान साफ हो गई. सुनने में अक्षमता से पीड़ित होने के बावजूद, उन्होंने किसी भी रियायत पर भरोसा नहीं किया और जनरल कैटेगरी के तहत आवेदन किया. सवालों को शीघ्रता से समझने और उनका विश्लेषण करने की उनकी क्षमता के साथ-साथ जनरल नॉलेज में उनकी मजबूत नींव ने उनकी सफलता में मदद की. इतिहास और भूगोल जैसे सब्जेक्ट, जहां सामान्य ज्ञान पर उनकी पकड़ विशेष रूप से मजबूत थी, ने उनके प्रदर्शन में महत्वपूर्ण योगदान दिया.


The Result
अपने पहले प्रयास में, सौम्या शर्मा ने 23 साल की उम्र में यूपीएससी 2017 की परीक्षा में देश भर में 9वीं रैंक हासिल करके एक शानदार मुकाम हासिल किया. ​​उनका समर्पण और दृढ़ता प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए एक प्रेरणा के रूप में काम करती है.