Jammu Kashmir Elections results: जम्मू-कश्मीर में मंगलवार को किसका `मंगल`? चुनावी नतीजों से स्थिरता आएगी या उथल-पुथल?
Jammu Kashmir Elections results 2024: जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में वोटिंग हुई थी. आज की रात लोगों को नींद नहीं आएगी. क्योंकि सुबह नतीजों के लिए मतगणना होगा. क्या राज्य में भाजपा, एनसी-कांग्रेस या कोई और पार्टी सरकार बनाएगी?
Jammu Kashmir Elections results 2024 : जम्मू-कश्मीर में राज्य के विधानसभा चुनावों के लिए वोटिंग पूरी हो चुकी है. यह वोटिंग तीन चरणों में हुई. राज्य के प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है. क्या राज्य में भाजपा, एनसी-कांग्रेस या कोई और पार्टी सरकार बनाएगी? या फिर राज्य में कोई और फैसला होगा? इसका जवाब 8 अक्टूबर को मतगणना के बाद पता चलेगा. लोग जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजों पर उत्सुकता से नजर रखे हुए हैं, क्योंकि केंद्र शासित प्रदेश की खुशहाली, शांति और सुरक्षा बहुत कुछ दांव पर लगी है.
राज्य में 10 साल के बाद विधानसभा चुनाव हुए हैं. यह विधानसभा चुनाव राज्य में अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद पहली बार हो रहे हैं. इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी जम्मू-कश्मीर से एक स्पष्ट संदेश था कि वे मतपत्र चाहते हैं, न कि गोली.
राज्य में पिछले चुनाव नवंबर- दिसंबर 2014 में हुए थे. तब राज्य विधानसभा चुनावों में पाकिस्तान समर्थित अलगाववादी समूहों और आतंकी धमकियों के बहिष्कार के आह्वान के कारण मतदाता मतदान से दूर रहते थे.अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से कोई बहिष्कार का आह्वान नहीं हुआ है और लोग स्वेच्छा से मतदान कर रहे हैं.
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इस बार तीन चरणों में हुए इन चुनावों में कुल 63.45 प्रतिशत मतदान हुआ है,जो 2014 के 65 प्रतिशत से थोड़ा कम है. यहां तक कि सोपोर जैसे कश्मीर के पारंपरिक बहिष्कार गढ़ में भी पिछले 30 वर्षों में विधानसभा चुनावों में सबसे अधिक मतदान हुआ.
बता दें कि सोपोर में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के दिवंगत अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी रहते थे और 1989 में आतंकवाद के आगमन के बाद से लगभग तीन दशकों तक बहिष्कार ब्लैकमेल करते रहे. लेकिन, इस बार सोपोर में भी मतदान हुआ.
राज्य में किन लोगों ने किसे वोट दिया है और मतगणना का नतीजा क्या होगा, यह अनुमान लगाना मुश्किल है. लेकिन, जो भी नया गठबंधन सत्ता संभालेगा, वह केंद्र शासित प्रदेश के भविष्य की दिशा को काफी हद तक निर्धारित करेगा.
अनुच्छेद 370 के निरस्त होने और राज्य के पुनर्गठन के बाद से, जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश है. इस नए बने केंद्र शासित प्रदेश के दोनों क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास हुआ है, पर्यटन फल-फूल रहा है और अन्य व्यवसाय भी अच्छा चल रहे हैं. आतंकी घटनाओं और पाकिस्तान के दुष्प्रचार के बावजूद कश्मीर घाटी शांतिपूर्ण बनी हुई है. केंद्र शासित प्रदेश, विशेष रूप से घाटी में सभी सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों में जनता की भागीदारी बढ़ी है.
वर्तमान में, राज्य में काफी हद तक शांतिप्रिय माहौल है. इस समय राज्य में पर्यटन और अन्य व्यवसाय फल-फूल रहे हैं. राज्य में अनुच्छेद 370 खत्म होने के पहले की अशांति अब लगभग खत्म हो चुकी है. राज्य में पत्थरबाजी बंद चुकी है और लोगों को भड़काने वाले लोग अब जेल में हैं और पूर्व पत्थरबाज अब पढ़ाई, व्यवसाय या नौकरी करने का काम कर रहे हैं. कुछ राजनेता अभी भी पाकिस्तान के साथ बातचीत या एलओसी खोलने के आह्वान के साथ लोगों को भड़काने की कोशिश करते हैं, लेकिन वे अब सनसनी पैदा करने में सफल नहीं होते हैं.
एक अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2025 में जम्मू-कश्मीर का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2.63 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. यह पिछले वित्त वर्ष 2024 की तुलना में 7.5 प्रतिशत अधिक है. जम्मू-कश्मीर आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के अनुसार, सेवा क्षेत्र, उद्योग, कृषि, बागवानी और पर्यटन पर जोर देने के साथ अगले पांच वर्षों में जीडीपी दोगुनी होने की संभावना है. पिछले पांच वर्षों में सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 2018-19 में 1.60 लाख करोड़ रुपये से 54 प्रतिशत बढ़ा है.
इसके अलावा पिछले कुछ वर्षों में राज्य के पर्यटन क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है. पिछले तीन वर्षों के दौरान राज्य ने 15.13 प्रतिशत की वार्षिक औसत वृद्धि दर दर्ज की है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से जून के बीच 1,08,41,009 पर्यटकों ने यहां आकर सैर की है. 2023 में यह संख्या 2,11,24,674 थी. 2022 में 1,88,64,332 पर्यटक; 2021 में 1,13,14,884 और 2020 में 34,70,834 पर्यटक आए. पर्यटन लगातार बढ़ रहा है और इसी तरह बागवानी और हस्तशिल्प क्षेत्रों में भी वृद्धि हो रही है.
राज्य में वर्तमान में कई चुनौतियां भी हैं. इनमें से प्रमुख हैं शांति और सुरक्षा बनाए रखना, पाकिस्तान के आतंकी हमलों और दुष्प्रचार से निपटना और विकास की गति को बनाए रखना.
राज्य में आने वाली सरकार के लिए केंद्र शासित प्रदेश को राज्य का दर्जा बहाल करना सबसे बड़ी परीक्षा होगी. केंद्र ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के कामकाज के नियमों में संशोधन किया है, ताकि पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था, तबादलों और पोस्टिंग से संबंधित सभी मामलों में एलजी की शक्तियों को अंतिम रूप से शामिल किया जा सके, और इस फैसले ने विधानसभा में पांच सदस्यों के नामांकन को भी मंजूरी दी है. अगर नतीजों के बाद गैर-भाजपा गठबंधन सत्ता में आता है, तो एलजी और नई सरकार के बीच अक्सर तकरार और तनाव की संभावना है.
यहां, देश विरोधी तत्व केंद्र शासित प्रदेश और केंद्र के बीच दरार पैदा करने की कोशिश करेंगे. इतिहास में हम सबने देखा है कि कैसे राज्य में इन अलगाववादी और पाकिस्तान समर्थित तत्वों ने बेईमानी की है और जन भावनाओं का शोषण किया है. नई सरकार के लिए असली चुनौती यही है कि शांति और सुरक्षा की भावना बनाए रखें और घाटी को फिर से पाकिस्तान प्रायोजित जाल में न फंसने दें.
8 अक्टूबर के नतीजे जम्मू-कश्मीर के हालिया इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण होंगे.
(पूरा इनपुट: न्यूज़ एजेंसी IANS)