कन्नौज लोकसभा चुनाव 2024: 5 साल पहले भाजपा ने जीता था किला, सपा के लिए बना नाक का सवाल नतीजे आए सामने
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कन्नौज लोकसभा चुनाव 2024: 5 साल पहले भाजपा ने जीता था किला, सपा के लिए बना नाक का सवाल नतीजे आए सामने

Kannauj Lok Sabha Election 2024: यूपी के 80 लोकसभा सीटों में इत्र की खुशबू समेटे है कन्नौज. कभी यह सपा का गढ़ कहा जाता था लेकिन अब वो किला भाजपा के खेमे में जा चुका है. भाजपा के सुब्रत पाठक को इस बार भी टिकट दिया गया. 

कन्नौज लोकसभा चुनाव 2024: 5 साल पहले भाजपा ने जीता था किला, सपा के लिए बना नाक का सवाल नतीजे आए सामने

Kannauj Lok Sabha Chunav 2024 News: कन्नौज का नाम जेहन में आते ही इत्र की खुशबू आने लगती है. प्राचीन काल में इसका नाम 'कन्याकुज्जा' या 'कान्यकुब्ज' संस्कृत शब्द से मिलता है. माना जाता है कान्यकुब्ज ब्राह्मण मूल रूप से यहीं के हैं. कभी यह हिंदू साम्राज्य की राजधानी भी रहा. राजनीति की बात करें तो हाल के दशकों में यहां समाजवादियों का झंडा बुलंद रहा लेकिन पिछले चुनाव में चली मोदी लहर ने सपा के 'किले' को जीत लिया. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के सुब्रत पाठक (Kannauj MP Subrat Pathak) यहां से जीतकर संसद पहुंचे. इस बार भी भाजपा ने उन पर भरोसा जताया है. 

कन्नौज लोकसभा चुनाव 2024 रिजल्ट

कन्नौज लोकसभा सीट पर चौथे चरण में वोटिंग हुई है. 13 मई 2024 को यहां कुल 61.08 प्रतिशत वोट पड़े. पांचों विधानसभाओं में 59 प्रतिशत से लेकर 62 प्रतिशत तक मतदान हुआ. 4 जून को काउंटिंग शुरू होने के बाद नतीजे सामने आएंगे. 

कन्नौज से लोकसभा उम्मीदवार
भाजपा सुब्रत पाठक
सपा (इंडिया गठबंधन) अखिलेश यादव
बसपा अकील अहमद पट्टा

 

लोहिया-मुलायम की सीट

एक समय यहां कांग्रेस के दबदबा को राममनोहर लोहिया ने खत्म किया था. 1998 के बाद सपा ही जीतती आ रही थी. मुलायम सिंह यादव के बाद अखिलेश यादव जीते. वह प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए तो पत्नी डिंपल यादव यहां से जीतीं. यह सिलसिला भाजपा ने तोड़ा. इस बार फिर अखिलेश यादव यहां से लड़ने आए.  

मोदी लहर में हारीं डिंपल यादव

पिछले चुनाव में डिंपल यादव 12 हजार वोटों से हारी थीं. बाद में मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए तो नेताजी की बहू को जनता ने जिताकर संसद भेजा. अखिलेश यादव को कन्नौज हार की टीस तो जरूर होगी. ऐसे में सपा की कोशिश अपनी पारंपरिक सीट को वापस हासिल करने की होगी. 

1967 तक कन्नौज क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा रहा. यहां से कई दिग्गज नेताओं ने जीत हासिल कर संसद की सीढ़ियां चढ़ीं. इसमें राम मनोहर लोहिया के बाद दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का भी नाम आता है. जी हां, दिल्ली में रहने वाली आज की पीढ़ी को शायद नहीं पता होगा कि 1984 में शीला दीक्षित ने कन्नौज से ही लोकसभा चुनाव जीता था. 

कन्नौज लोकसभा सीट से कब कौन जीता
1967  डॉ. राम मनोहर लोहिया  संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी
1971  सत्य नारायण मिश्र  भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1977  राम प्रकाश त्रिपाठी  जनता पार्टी
1980  छोटे सिंह यादव  जनता पार्टी
1984  शीला दीक्षित  भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1989  छोटे सिंह यादव  जनता दल
1991  छोटे सिंह  जनता पार्टी
1996  चंद्र भूषण सिंह  भारतीय जनता पार्टी
1998  प्रदीप यादव  समाजवादी पार्टी
1999  मुलायम सिंह यादव  सपा
2000  अखिलेश यादव  सपा
2004  अखिलेश यादव  सपा
2009  अखिलेश यादव  सपा
2012  डिंपल यादव  सपा
2014  डिंपल यादव  सपा
2019  सुब्रत पाठक  भाजपा

 

यहां गौरीशंकर मंदिर, पुरातत्व संग्रहालय, लाख बहोसी वन्य जीव अभ्यारण देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. राजा हर्षवर्धन की नगरी कन्नौज संसदीय सीट में करीब 19 लाख मतदाता हैं. कन्नौज लोकसभा में कन्नौज सदर, छिबरामऊ और तिर्वा विधानसभा सीट आती है. एक सीट कानपुर देहात की रसूलाबाद और एक सीट औरैया की बिधूना है. मुख्य रूप से मुकाबला सपा और बसपा के बीच ही रहा है. इस बार कांग्रेस और सपा मिलकर चुनाव मैदान में हैं. ओपिनियन पोल कुछ भी कह रहे हों लेकिन यूपी में सपा का कॉन्फिडेंस अलग लेवल पर है.  

जातीय समीकरण भी जान लीजिए

कन्नौज लोकसभा सीट पर मुस्लिम और यादव मतदाता 16-16 प्रतिशत हैं. ब्राह्मण 15 प्रतिशत, राजपूत 10 प्रतिशत हैं. जब जाति के हिसाब से वोट पड़ते थे सपा यहां से जीतती थी लेकिन पिछली बार के नतीजों ने बता दिया कि भाजपा ने सपा के वोटबैंक में भी सेंध लगा ली है. 

अखिलेश यादव ने जब पीडीए के फॉर्मूले की बात कही तो यहां के भाजपा सांसद सुब्रत पाठक ने कहा कि पिछड़ा और दलित तो पहले से ही भाजपा के साथ हैं. उन्होंने दावा किया कि कन्नौज से कई बड़े नेता सपा छोड़कर भाजपा के साथ आ गए हैं. भाजपा में उम्मीदवारों के नाम पर मंथन चल रहा था तभी यहां के सांसद सुब्रत पाठक ने क्षेत्र में जनसंपर्क शुरू कर दिया था.

कन्नौज जिले का मैप यहां देखें

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