Vidisha Seat Lok Sabha Election 2024: अटल-शिवराज और सुषमा की सीट, फिर से मामा मैदान में.. कांग्रेस के लिए तगड़ी चुनौती
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Vidisha Seat Lok Sabha Election 2024: अटल-शिवराज और सुषमा की सीट, फिर से मामा मैदान में.. कांग्रेस के लिए तगड़ी चुनौती

Vidisha Loksabha Seat Elections News: विदिशा सीट ऐसी सीट है, जिसे बीजेपी के बड़े नेताओं ने एक-दूसरे को कई बार गिफ्ट की है. अटल बिहारी वाजपेयी ने शिवराज सिंह चौहान को सौंपी थी. फिर शिवराज सिंह चौहान ने इस सीट को सुषमा स्वराज को गिफ्ट में दिया था. अब शिवराज की वापसी हो रही है.

Vidisha Seat Lok Sabha Election 2024: अटल-शिवराज और सुषमा की सीट, फिर से मामा मैदान में.. कांग्रेस के लिए तगड़ी चुनौती

Vidisha Loksabha Seat Chunav 2024: मध्य प्रदेश की विदिशा लोकसभा सीट, भगवा रंग में रंगी एक ऐसी सीट है, जिसका इतिहास 1967 से शुरू हुआ. तब से लेकर आज तक, सिवाय 1980 और 1984 के दो चुनावों को छोड़कर, यहां हमेशा भाजपा का ही परचम लहराया है.

पंडित शिव शर्मा से लेकर रमाकांत भार्गव तक:  पहले ही चुनाव में जनसंघ के पंडित शिव शर्मा ने जीत का परचम लहराया था. 1991 में जब अटल बिहारी वाजपेयी ने विदिशा से चुनाव जीता, तो उन्होंने लखनऊ को चुना और विदिशा को छोड़ दिया. 1991 से 2005 तक शिवराज सिंह चौहान यहां से सांसद रहे. 2009 और 2014 में सुषमा स्वराज ने विदिशा का प्रतिनिधित्व किया. 2019 में रमाकांत भार्गव जीते.

2024: शिवराज सिंह चौहान की वापसी:
2024 के चुनाव में, शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर विदिशा से चुनावी मैदान में उतर रहे हैं. विदिशा, जिसे उनका गढ़ माना जाता है, भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण सीट है.

प्रारंभिक दौर:
1967 में, जनसंघ के पंडित शिव शर्मा ने विदिशा से पहली जीत दर्ज की. 1971 में भाजपा ने जीत हासिल की, लेकिन 1977 में जनता पार्टी ने बाजी मारी. 1980 और 1984 में कांग्रेस ने वापसी की, लेकिन 1989 के बाद से यह सीट भाजपा का गढ़ बन गया.

प्रमुख हस्तियां:
1991 में, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने विदिशा से चुनाव लड़ा और जीते. उन्होंने लखनऊ सीट भी जीती थी, और लखनऊ को चुनने के बाद, उन्होंने विदिशा सीट छोड़ दी. शिवराज सिंह चौहान 1991 से 2005 तक विदिशा से सांसद रहे. 2009 और 2014 में, सुषमा स्वराज ने यह सीट जीती. 2019 में, रमाकांत भार्गव विजयी हुए.

विदिशा: इतिहास, संस्कृति और दर्शनीय स्थलों का संगम
बेतवा और बेस नदियों के संगम पर बसा विदिशा शहर, सांची से सिर्फ 9 किलोमीटर दूर है. पहले इसे बेसनगर के नाम से जाना जाता था. यह शहर सम्राट अशोक के राज्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था और उनकी पत्नी देवी वेदिसा-महादेवी के नाम पर इसका नाम विदिशा रखा गया था.

5वीं और 6वीं शताब्दी के दौरान, विदिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण केंद्र था. यहाँ के लोगों का कहना है कि यह शहर इतना प्रभावशाली था कि इसका उल्लेख महाकाव्य रामायण और कालिदास की रचना मेघदूत में भी मिलता है.

विदिशा के दर्शनीय स्थल:
उदयगिरि और गिरीधर गुफाएं: इन गुफाओं में 5वीं और 6वीं शताब्दी की कला और मूर्तिकला के शानदार नमूने देखने को मिलते हैं.
विदिशा का किला: यह किला 11वीं शताब्दी में बनाया गया था और यह शहर के शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है.
बीजा मंदिर: यह मंदिर 10वीं शताब्दी में बनाया गया था और यह भगवान विष्णु को समर्पित है.

विदिशा की संस्कृति:
विदिशा में समृद्ध संस्कृति है जो विभिन्न धर्मों और परंपराओं का मिश्रण है. यहाँ के लोग हिंदू, मुस्लिम, सिख और जैन समुदायों से आते हैं. यहाँ के त्योहार और उत्सव भी इस विविधता को दर्शाते हैं.

विदिशा में जातीय समीकरण
2011 की जनगणना के मुताबिक विदिशा की जनसंख्या 2489435 है. यहां की 81.39 फीसदी आबादी ग्रामीण और 18.61 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है. विदिशा में 18.68 फीसदी लोग अनुसूचित जाति के हैं और 5.84 अनुसूचित जनजाति के हैं. हालांकि अब यह आकंड़ा बढ़ा है, जिसके आंकड़े जल्द ही सामने आएंगे.

2024 का समीकरण क्या है?
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के लिए अपनी पहली ही लिस्ट में 195 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. इनमें मध्य प्रदेश की विदिशा सीट से शिवराज सिंह चौहान को उतारा गया है. शिवराज अपनी पुरानी सीट से ही चुनावी मैदान में उतरेंगे, जिससे वो पहले भी 5 बार चुनाव जीतकर संसद जा चुके हैं. ऐसे में कांग्रेस के लिए लगभग नामुमकिन वाली स्थिति बन गई है. लेकिन देखना है कितनी फाइट हो पाती है.

Candidates in 2024 Party Votes Result
  BJP    
  Congress    
       
       

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