Vote Jihad Nexus: पहले यह बात सामने आई कि महाराष्ट्र के मालेगांव में 125 करोड़ का हेरफेर चुनावी फंडिंग में वोट जिहाद के रूप में इस्तेमाल किया गया था. अब इस कथित वोट जिहाद से जुड़े एक और बड़े खुलासे से पर्दा उठ रहा है जिससे राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है.


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असल में मालेगांव, मुंबई और अहमदाबाद में ED ने आज छापे मारे और इस मामले में गहरी जांच की है. शुरुआती जांच में यह पाया गया कि करीब 2200 ट्रांजेक्शंस के जरिए पैसे जमा किए गए थे और 315 ट्रांजेक्शंस से पैसे निकाले गए थे. आरोपी मोहम्मद सिराज के खातों में कुल 112 करोड़ रुपए जमा किए गए थे और करीब 111 करोड़ रुपए की निकासी की गई थी. इन खातों से 14 करोड़ रुपए चेक के जरिए निकाले गए, जिसमें से लगभग साढ़े नौ करोड़ रुपए हवाला के जरिए मुंबई भेजे गए थे.


वोट जिहाद का शक और ED की जांच:
ED ने इस मामले में इंकम टैक्स को भी जांच में शामिल किया है ताकि यह पता चल सके कि क्या इस पैसे का उद्देश्य चुनावी फंडिंग था या फिर टैक्स चोरी. इसके बावजूद इस मामले को वोट जिहाद से जोड़ने वाले सवाल उठ रहे हैं, जिन पर अब भी जांच जारी है.


मालेगांव में क्या हुआ?
मालेगांव से आई तस्वीरों में मोहम्मद सिराज की गिरफ्तारी की खबर भी सामने आई है. इस मामले में बीजेपी नेता किरीट सोमैया उन पीड़ितों से भी मिले हैं, जिनके दस्तावेजों पर मोहम्मद सिराज ने फर्जी बैंक खाते खुलवाए थे. इन खातों से निकाले गए पैसे का इस्तेमाल चुनावी फंडिंग में किया गया था, यह सवाल भी खड़ा हो रहा है.


क्यों फर्जी बैंक खाते खुलवाए?
मोहम्मद सिराज ने फर्जी तरीके से लोगों के आधार और पैन कार्ड जैसे दस्तावेज लेकर खाता खुलवाए थे. उसने दावा किया था कि वह किसानों के लिए काम करना चाहता है और उन्हें बैंक खातों की जरूरत है. खाताधारकों को यह बताया गया कि उन्हें मंडी समिति में काम दिलवाने का लालच दिया जाएगा.


शक और राजनीति का कनेक्शन: इस हेरफेर में एक बड़ा शक तब पैदा होता है जब यह पता चलता है कि सभी खातों को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले, यानी 23 सितंबर से 3 अक्टूबर के बीच खोला गया था. इसी दौरान इन खातों से पैसे भी निकाले गए और दूसरे राज्यों में भेजे गए.


क्या वोट जिहाद का मामला है? बीजेपी नेता किरीट सोमैया का कहना है कि इस हेरफेर के पीछे वोट जिहाद का हाथ हो सकता है, क्योंकि सवाल यह भी है कि क्यों मोहम्मद सिराज ने हिंदू दस्तावेजों का इस्तेमाल किया, जबकि उसका नाम मुस्लिम था. क्या इसे चुनावी फंडिंग से जोड़कर देखा जा सकता है?