Jacqueline Fernandez Film: श्रीलंकाई सुंदरी जैकलीन फर्नांडिस एक मॉडलिंग असाइनमेंट पर भारत आई हुई थीं और उन्हें बॉलीवुड में डेब्यू का मौका मिल गया. रितेश देशमुख के अपोजिट वह फिल्म अलादीन में राजकुमारी जास्मीन बनकर पर्दे पर तो आईं मगर दर्शकों ने फिल्म को नकार दिया. इसकी ठोस वजह भी थी.
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Ritesh Deshmukh Film: अगर किसी आउटसाइडर एक्टर या एक्ट्रेस की पहली ही फिल्म फ्लॉप हो जाए तो उसके लिए बॉलीवुड के दरवाजे खुलने से पहले ही बंद होने के रास्ते दिखने लगते हैं. ऐसा ही कुछ हुआ था जैकलीन फर्नांडीज के साथ. उनकी पहली फिल्म फ्लॉप नहीं बल्कि डिजास्टर साबित हुई थी. फिल्म थी 2009 में आई, अलादीन. यह फेंटेसी एक्शन कॉमेडी थी. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर इतनी बुरी तरह से फ्लॉप साबित हुई कि 42 करोड़ की लागत में से सिर्फ 10.9 करोड़ का ही बिजनेस कर पाई. जैकलीन के साथ अमिताभ बच्चन, संजय दत्त तथा रितेश देशमुख की फिल्म में मुख्य भूमिकाएं थी. सुजॉय घोष ने फिल्म का निर्देशन किया था. सुजॉय ने सुरेश नायर तथा रितेश शाह के साथ मिलकर स्क्रिप्ट लिखी थी. जैकलीन की आवाज इस फिल्म में डब की गई थी क्योंकि उन्हें ठीक से हिंदी नहीं आती थी.
नहीं मिल रहा था प्रोड्यूसर
अलादीन की मेकिंग में लगभग चार साल का लंबा समय लगा. दो साल फिल्म की स्क्रिप्टिंग में तथा दो साल मेकिंग में. पहले यह फिल्म रमेश सिप्पी प्रोड्यूस करने वाले थे लेकिन फिल्म का ओवर बजट तथा सुजॉय घोष जैसे नए डायरेक्टर को देखते हुए जिसकी पहली दो फिल्में (झंकार बीट्स और होम डिलेवरी) फ्लॉप हो चुकी थी, उन्होंने अपने हाथ खींच लिए. बाद में कोई प्रोड्यूसर न मिलने पर सुजॉय घोष ने ही फिल्म को इरोज एंटरटेनमेंट की मदद से प्रोड्यूस किया. शुरुआत में अमिताभ बच्चन भी इस फिल्म को करने में अनिच्छुक थे. लेकिन बाद में उन्होंने फिल्म के लिए हां कर दी.
अलादीन का चिराग
फिल्म ख्वाहिश नगर में रहने वाले अलादीन (रितेश देशमुख) नामक ऐसे लड़के की कहानी थी, जिसे उसके नाम के कारण स्कूल से कॉलेज तक क्लासमेट्स चिढ़ाते हैं ‘अलादीन, अलादीन, कहां है तेरा जिन्न’. चमत्कार तब होता है जब अलादीन के साथ पढ़ने वाली जास्मीन (जैकलीन फर्नांडिस), अलादीन के जन्मदिन पर एक लैंप उपहार में देती है, जिसे रगड़ने पर सूट-बूट पहना, इंग्लिश बोलने वाला जिन्न उसके सामने आ जाता है. उसे अलादीन की तीन ख्वाहिशें पूरी करनी हैं. अमिताभ बच्चन ने जिन्न की भूमिका निभाई थी. फिल्म की सबसे बड़ी कमी यह थी कि सुजॉय यह तय नहीं कर पाए कि ये फिल्म किस दर्शक वर्ग को ध्यान में रखकर बना रहे हैं. दूसरी बात यह कि फिल्म को जरूरत से ज्यादा खींचा गया. फिल्म करीब 133 मिनट की थी. अमिताभ बच्चन और रितेश देशमुख फिल्म में ओवर एक्टिंग करते दिखाई दिए. अरेबियन नाइट्स की इस कहानी के उतार-चढ़ाव लोग पहले से जानते थे और सुजॉय भी नई थाली में पुरानी कहानी को दर्शकों के सामने सही ढंग से नहीं परोस पाए.
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